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राजनीति

कोर्ट ने दिए कानपुर में दैनिक जागरण परिवार के अवैध मल्टीप्लेक्स रेव-3 को तत्काल गिराने के निर्देश

Prema Negi
27 March 2019 10:53 PM IST
कोर्ट ने दिए कानपुर में दैनिक जागरण परिवार के अवैध मल्टीप्लेक्स रेव-3 को तत्काल गिराने के निर्देश
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राजनेता, सरकार और अधिकारियों की मिलीभगत से खुलेआम उड़ी थीं कानून की धज्जियां

वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट

सरकार, राजनेता, पत्रकार और उनके इशारे पर नाचनेवाले आला अधिकारियों की यदि दुरभिसन्धि हो जाए तो किसी भी काम में कानून और अन्य विधिक प्रावधानों की जमकर धज्जियां उड़ने लगती हैं। ऐसे में केवल वही मामले न्यायालय की चौखट तक पहुंच पाते हैं, जहाँ व्हिसिल ब्लोअर निडर और दमदार होता है। कहीं भी सरकारी जमीन पर कोई भी हो अवैध निर्माण न्यायालय कभी भी स्वीकार नहीं करता, फिर चाहे उसके पीछे कितने भी शक्तिशाली और प्रभावी लोग क्यों न हों।

कुछ ऐसा ही कानपुर में भैरव घाट पर बने जागरण परिवार के मल्टीप्लेक्स काम्प्लेक्स रेव-3 के साथ भी हुआ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 18 नवंबर 1999 के शासनादेश को अवैध करार दिया, इसे रद्द क़र दिया और रेव-3 को तत्काल गिराने का निर्देश पारित कर दिया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर में भैरव घाट पर बने मल्टीप्लेक्स काम्प्लेक्स रेव-3 को तत्काल गिराने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने आयुर्वेदिक गार्डन की ज़मीन का भू प्रयोग व्यावसायिक रूप में करने के शासनादेश को भी अवैध मानते हुए रद क़र दिया। साथ ही कानून के विपरीत हुई इस पूरी कार्रवाई के लिए राज्य सरकार, कानपुर विकास प्राधिकरण और रेव इंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड पर 15 लाख रुपए का हर्जाना भी लगाया है। रेव इंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक शैलेश गुप्त दैनिक जागरण के पूर्व सम्पादक और भाजपा के तत्कालीन राज्यसभा सदस्य नरेंद्र मोहन के भतीजे हैं।

ये आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल एंव न्यायमूर्ति अजीत कुमार की खंडपीठ ने कृषक /मज़दूर एवं पशुपालक विकास सेवा समिति कानपुर नगर व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया।कोर्ट ने रेव के पक्ष में भूमि के आवंटन और मल्टीप्लेक्स निर्माण को मास्टर प्लान 1977 व 1999 के विपरीत भी पाया, क्योंकि उनमें भी ये ज़मीन आयुर्वेदिक गार्डेन के लिए थी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि इस तरह रेव द्वारा उस ज़मीन पर हुआ पूरा निर्माण और मल्टीप्लेक्स काम्प्लेक्स का संचालन पूरी तरह अवैध और कानून का उल्लंघन है। खंडपीठ ने ये भी कहा कि इस तरह का अवैध निर्माण जब भी कोर्ट या किसी अन्य सक्षम प्राधिकारी के संज्ञान में आये तो उसे ध्वस्त कराना चाहिए।

कोर्ट ने ये भी कहा कि मामले में उच्चस्तरीय जांच की आवश्यकता है और ये राज्य सरकार पर छोड़ती है कि प्रकरण की विधि अनुसार उच्चस्तरीय स्वतंत्र जांच कराकर दोषी पाए जाने वालों के ख़िलाफ़ उचित कार्रवाई करे। आरोप है कि जागरण के मालिकों ने श्मशान घाट की जमीन और एक तरफ की पूरी सड़क पर कब्जा कर रेवथ्री मल्टीप्लेक्स का निर्माण किया।

फैसले के पैरा 16 में कहा गया है कि प्रतिवादी संख्या चार मेसर्स रेव एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक शैलेष गुप्ता, जो नरेंद्र मोहन के भतीजे हैं, द्वारा नियंत्रित किया जाता है। नरेंद्र मोहन भारतीय जनता पार्टी से राज्यसभा के सदस्य और एक बड़े अख़बार समूह दैनिक जागरण के प्रधान सम्पादक हैं। उन्होंने न केवल कानपुर विकास प्राधिकरण को सांसद होने के नाते प्रभावित किया बल्कि शासनादेश (जीओ) जारी करने के लिए तत्कालीन रामप्रकाश गुप्ता नीत भाजपा सरकार को भी प्रभावित किया। शासनादेश 18 नवम्बर 1999 को जारी किया गया।

फैसले के पैरा 42 में कहा गया है कि इस प्रस्ताव को 15 नवम्बर 1999 को तत्कालीन मुख्यमंत्री ने मंजूरी दी थी और तीन दिनों के भीतर, 18 नवम्बर 1999 को शासनादेश जारी कर दिया गया। इस प्रस्ताव को तत्कालीन सचिव, हाउसिंग ने तैयार किया और इसमें कानपुर विकास प्राधिकरण को भूमि हस्तांतरित करने का जो सुझाव दिया था, उसे मुख्यमंत्री ने जस का तस स्वीकार करते हुये स्वयं मंजूरी दी थी।

फैसले में कहा गया है कि सोसाइटी में यह संदेश जाना चाहिए जो व्यक्ति अपने निजी लाभ के लिए भवन निर्माण की गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त हैं और भ्रष्ट साधनों और उपायों से, यहाँ तक कि अपने गैरकानूनी कार्यों को छिपाने के लिए वैधानिकता खरीदने की हद तक चले जाते हैं,जैसा कि वर्तमान मामले में हुआ है, को बख्शा नहीं जायेगा और उनसे सख्ती से निबटा जायेगा।

गौरतलब है कि वर्ष 1934 में भैरव घाट पर आयुर्वेदिक गार्डेन के लिए पांच एकड़ से ज़्यादा ज़मीन 30 साल के लिए लीज़ पर दी गई। इस नजूल ज़मीन पर किसी भी तरह का पक्का निर्माण न करने और केवल आयुर्वेदिक पेड़ पौधे लगाने कि शर्त रखी गई थी। यह भी शर्त थी कि उसके बाद लीज़ 30 साल फिर से बढ़ाने और अधिकतम 90 साल तक की बढ़ाई जा सकेगी। उसके बाद ज़मीन सरकार को सौंप दी जाएगी।1970 में कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) बना और लीज़ खत्म करके उसने ज़मीन अपने कब्ज़े में ले ली।

केडीए ने कानपुर हाट के लिए प्रस्ताव सरकार को भेजा। सरकार ने दिल्ली के क्राफ्ट म्यूज़ियम कि तर्ज पर दिए गए इस प्रस्ताव को स्वीकार क़र लिया गया। केडीए ने विज्ञापन जारी किया, जिसके बाद रेव ने इस ज़मीन पर मल्टीप्लेक्स काम्प्लेक्स बनाने का ठेका हासिल क़र लिया और रेव ने यहां शॉपिंग काम्प्लेक्स, मल्टीप्लेक्स बना दिया।

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