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UP में काउंसलिंग से ठीक पहले कोर्ट ने लगायी 69 हजार शिक्षकों की भर्ती पर रोक, आंसर की पर उठे थे सवाल
आज से शिक्षकों की भर्ती की काउंसिलिंग होनी थी शुरू लेकिन अब कोर्ट के इस आदेश के बाद शिक्षकों की भर्ती लटकती नजर आ रही है...
मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार। प्रदेश की योगी सरकार में दूसरी बड़ी सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा अब अंतिम चरण में थी। 69 हज़ार पदों की जिस भर्ती के पूरा होने का इंतजार अभ्यर्थी लंबे समय से कर रहे थे, उसकी काउंसलिंग आज सुबह 10 बजे से शुरू होनी थी। 6 जून तक प्रदेश के स्कूलों को 67,867 नए शिक्षक मिलने थे। भर्ती परीक्षा का आयोजन 6 जनवरी 2019 को हुआ था। मेरिट लिस्ट में शामिल अभ्यर्थियों की खुशी का ठिकाना नहीं था। उनका कहना है कि आखिरकार वो दिन आने वाला है, जिसका डेढ़ साल से उन लोगों ने इंतजार किया।
लेकिन अब उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती पर तलवार लटकती नजर आ रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने रोक का यह आदेश आंसर की पर उठे विवाद के बाद दिया है। जस्टिस आलोक माथुर की बेंच ने यह आदेश दिया। आपको बता दें कि एक तरफ आज से शिक्षकों की भर्ती की काउंसिलिंग शुरू होनी थी, लेकिन अब कोर्ट के इस आदेश के बाद शिक्षकों की भर्ती लटकती नजर आ रही है।
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उत्तर प्रदेश शिक्षक भर्ती प्रक्रिया बुधवार 3 जून को 10 बजते ही शुरू हो चुकी थी। जनज्वार ने इस संबंध में बीएसए से बात की तो उन्होंने कहा आज बहुत अधिक उलझे हैं। प्रक्रिया चालू हो चुकी है, लेकिन 12 बजते बजते हर उस उम्मीद पर पानी फिर गया, जो पिछले डेढ़ साल से लटकी हुई थी। भर्ती को लेकर काउंसलिंग शुरू हो चुकी थी, लेकिन फिलहाल इस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि विवादित प्रश्नों पर आपत्तियों को अभ्यर्थी एक सप्ताह के अंदर राज्य सरकार के सामने प्रस्तुत करें। सरकार आपत्तियों को निस्तारण के लिए यूजीसी को भेजे। मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 12 जुलाई रखी गई है।
दरअसल बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए छह जनवरी 2019 को लिखित परीक्षा कराई गई थी। इन पदों के लिए करीब चार लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। परीक्षा के बाद सरकार ने भर्ती का कटऑफ सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी के लिए 65 प्रतिशत व आरक्षित वर्ग के लिए 60 प्रतिशत की अनिवार्यता के साथ तय की थी। इस आदेश को लेकर अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में चुनौती दी थी।
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कोर्ट में दी गई याचिका में याचिकाकर्ताओं की मांग थी कि सरकारी नियमों के हिसाब से भर्ती के लिए डाली गई याचिका पर सुनवाई हो और महाधिवक्ता हर सुनवाई में मौजूद रहें। हाई कोर्ट की एकल पीठ में इस तरह कई याचिकाएं दायर हुईं। एकल पीठ के फैसले को पुनर्याचिका के लिए दायर किया था। जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल और जस्टिस करुणेश सिंह पवार की खंडपीठ ने 6 मई को केस में फैसला सुनाया था।
आज 3 जून को हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कोर्ट नम्बर 26 में केस नंबर 8063/2020, अमिता त्रिपाठी व अन्य पर फैसला सुनाते हुए भर्ती प्रक्रिया स्थगित कर दी है। यूजीसी के चेयरमैन को पत्र लिखकर सारे विवादित प्रश्नों पर एक्सपर्ट ओपिनियन लिया जाएगा। 69 हजार सहायक अध्यापक शिक्षक भर्ती परीक्षा पर माननीय उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ द्वारा रोक लगाई गई। गलत प्रश्नों, प्रश्नों के गलत उत्तर पर याचिका दाखिल थी, माननीय उच्च न्यायालय ने संशोधन कर परिणाम जारी करने का आदेश दिया है।
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इस बारे में संतकबीर नगर हाई एजुकेशन के एसोसिएट प्रोफेसर राजेश मिश्रा ने जनज्वार से हुई बातचीत में कहा, 'पहली बात तो ये की यह मामला प्राइमरी शिक्षकों का है, और आज तक उत्तर प्रदेश में कोई भी वैकेंसी ऐसी नहीं हुई वो भी प्राइमरी की। इसके लिए लंबी प्रक्रिया चलती है। इसके अलावा 90 प्रतिशत से अधिक की जो शिक्षा है, वह निजी हाथों में है, इसलिए कुछ भी बनने बिगड़ने वाला नहीं है इस 69000 में। इसलिए शिक्षा और शिक्षक का जो आपसी संबंध है उसकी व्यवस्था में इसका कोई मतलब ही नहीं है।
अगर लीगली बात करें तो इसमें आरक्षण का मामला भी उलझा हुआ है। कुछ परीक्षा में धांधली के मामले हैं। एक ही परिवार एक ही घर के बलिया में तीन बच्चे सेलेक्ट हो गए, तो कुछ लोग कह रहे नकल हुआ है, फर्जीवाड़ा हुआ है। अब इसमें जब पूरी रिट पढ़ने को मिले तो पता चले असल मे मामला है क्या?