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इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, 5 मई तक वकीलों को दे आर्थिक मदद बार एसोसिएशन
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी बार एसोसिएशनो के मार्फत तैयार कार्य योजना के तहत कोरोना वायरस महामारी के चलते आर्थिक तंगी से जूझ रहे प्रदेश के वकीलों को 5 मई अगली सुनवाई की तिथि तक आर्थिक सहायता देने को कहा है...
जे.पी.सिंह की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो, प्रयागराज। वैश्विक महामारी कोरोना के चलते देशव्यापी लाक डाउन में जरूरतमंद वकीलों एवं पंजीकृत अधिवक्ता लिपिको की मदद के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंभीर रूख अपनाया है। हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश अधिवक्ता कल्याण कोष अधिनियम 1974 के अंतर्गत गठित ट्रस्टी कमेटी, बार काउंसिल आफ इंडिया, उत्तर प्रदेश बार काउंसिल, हाई कोर्ट बार एसोसिएशन एवं अवध बार एसोसिएशन को योजना तैयार कर आर्थिक सहायता देने का निर्देश दिया है।
चीफ जस्टिस गोविंद माथुर तथा जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है। कोर्ट ने ट्रस्टी कमेटी को तत्काल बैठक कर जरूरतमंदों की सहायता के लिए कार्य योजना तैयार करने को कहा है । प्रदेश के सभी बार एसोसिएशनो के मार्फत तैयार कार्य योजना के तहत कोरोना वायरस महामारी के चलते आर्थिक तंगी से जूझ रहे प्रदेश के वकीलों को 5 मई अगली सुनवाई की तिथि तक आर्थिक सहायता देने को कहा है।
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खंडपीठ ने आदेश दिया है कि समिति एक पूर्ण योजना तैयार करने और सदस्यों को सहायता के अनुदान के उद्देश्य से एसोसिएशन के खातों को संचालित करने के लिए एक संवादात्मक निकाय के रूप में कार्य करेगी। खंडपीठ में शामिल जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा ने उत्तर प्रदेश एडवोकेट्स वेलफेयर फंड एक्ट, 1974 के तहत ट्रस्टी कमेटी को आदेश दिया कि जल्द से जल्द एक बैठक बुलाई जाए, ताकि जरूरतमंद अधिवक्ताओं को सहायता प्रदान करने के लिए एक योजना तैयार की जा सके, जो कोविड- 19 के कारण लगाए गए लॉकडाउन की वजह से वित्तीय रूप से प्रभावित हुए हैं। पीठ ने यह निर्देश वरिष्ठ अधिवक्ता बीके श्रीवास्तव के यह कहने पर दिया कि राज्य की ओर से यूपी एडवोकेट्स वेलफेयर फंड एक्ट के तहत वकीलों को सहायता प्रदान करने के लिए जिम्मेदार ट्रस्टीज कमेटी का कामकाज सतोषजनक नहीं है।
खंडपीठ ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के पास पर्याप्त धनराशि है, लेकिन कुछ अजीब परिस्थितियों के कारण, यह जरूरतमंद सदस्यों की मदद करने की स्थिति में नहीं है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए, हम निम्नलिखित सदस्यों की एक निगरानी समिति का गठन करना उचित समझते हैंजिसमें राकेश पांडे, वरिष्ठ अधिवक्ता और नामित अध्यक्ष, इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन, अमरेन्द्र नाथ सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता और नामित अध्यक्ष, इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन, जे.बी. सिंह, एडवोकेट और जनरल सेक्रेटरी, इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, प्रभा शंकर मिश्र, इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अधिवक्ता और नामित महासचिव, वी.पी. श्रीवास्तव, वरिष्ठ अधिवक्ता, इलाहाबाद, विकाश चंद्र त्रिपाठी, मुख्य स्थायी वकील, इलाहाबाद शामिल होंगे।
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खंडपीठ ने कहा कि अधिवक्ताओं की विधवाओं को सहायता के लिए और अन्य दावेदारों को भी ट्रस्टीस कमेटी ने आगे लंबित सभी आवेदनों पर विचार करने और निर्णय लेने के लिए निर्देशित किया है। ट्रस्टी कमेटी द्वारा आज से एक महीने की अवधि में इस तरह के आवेदनों पर विचार और निर्णय लिया जाना आवश्यक है।
खंडपीठ ने कहा कि जैसा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा किए गए उपायों के संबंध में अदालत को सूचित किया गया था कि उसने अधिवक्ताओं की अपनी ताकत के अनुपात में प्रत्येक राज्य बार काउंसिल को 1 करोड़ रुपये के अधिकतम अनुदान के अधीन वित्तीय सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया था। इसके अलावा परिषद ने आर्थिक रूप से कमज़ोर अधिवक्ताओं को प्रधानमंत्री से 20,000 / - रुपये प्रति माह एक न्यूनतम निर्वाह भत्ते के रूप में देने करने की अपील की थी।अपने निर्णय के अनुसार, बार काउंसिल ऑफ इंडिया, नई दिल्ली उत्तर प्रदेश के बार काउंसिल को धनराशि जल्द से जल्द, 27 अप्रैल, 2020 को या उससे पहले जारी करेगा।
खंडपीठ ने कहा कि इस बीच में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश, अदालत से जुड़ी बार एसोसिएशनों के माध्यम से जरूरतमंद अधिवक्ताओं को सहायता वितरित करने के लिए एक योजना तैयार करे। स्टेट बार काउंसिल यह सुनिश्चित करेगी कि धनराशि को उनके दुरुपयोग को रोकने के लिए निष्पक्ष और समान रूप से पूरी सावधानी के साथ वितरित किया जाए। बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश जरूरतमंद अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए उन्हें जारी राशि का पूरा हिसाब रखने या उनके उपयोग के लिए बार एसोसिएशन को आवश्यक निर्देश जारी करेगा।
पीठ ने कहा कि समिति इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के सदस्यों को सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से एसोसिएशन के खातों को संचालित करने के लिए एक संवादात्मक निकाय के रूप में कार्य करेगी। निगरानी समिति इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के जरूरतमंद सदस्यों को सहायता के वितरण के लिए एक पूरी योजना तैयार करेगी। निगरानी समिति को 25 अप्रैल, 2020 को या उससे पहले इलाहाबाद में जरूरतमंद अधिवक्ताओं को सहायता के वितरण को सुनिश्चित करना आवश्यक है। ऐसा करते समय यह सहायता का उचित और एक समान अनुदान सुनिश्चित करेगी और इसका पूरा लेखा-जोखा भी रखेगी। उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (प्रोटोकॉल) समिति के सदस्यों को सामाजिक दूरी को बनाए रखते हुए बार एसोसिएशन के कार्यालय को खोलने और उपयोग करने की अनुमति देंगे।
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खंडपीठ ने न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया है कि वे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं क्लर्कों (एडवोकेट्स क्लर्कों का पंजीकरण) नियमावली, 1997 के अनुसार अधिवक्ता क्लर्कों को पंजीकृत करने की प्रक्रिया शुरू करें। हम उत्तर प्रदेश राज्य के सभी नामित वरिष्ठ अधिवक्ताओं और अधिवक्ताओं से यह अनुरोध करना चाहते हैं कि उनके पास बार एसोसिएशनों की सहायता के लिए पर्याप्त संसाधन हों, इसके लिए वे एडवोकेट क्लर्कों की मदद ले सकते हैं। मामले के साथ भागीदारी करते हुए, हम उत्तर प्रदेश राज्य में विभिन्न अदालतों में काम करने वाले पंजीकृत अधिवक्ता क्लर्कों के कल्याण के लिए एक व्यवहार्यता की जांच करने के लिए राज्य सरकार से अनुरोध करते हैं।यह मामला अब 5 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
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जनहित याचिका की सुनवाई दिल्ली लखनऊ इलाहाबाद कुल 7 जगहों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए की गई। बार काउंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष मनन मिश्र, उत्तर प्रदेश बार काउंसिल की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता वी के श्रीवास्तव व अनादि नारायण, अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल, अवध बार एसोसिएशन के परिहार, हाईकोर्ट एल्डर कमेटी के तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता टी पी सिंह, पूर्व अध्यक्ष राकेश पांडेय, निर्वाचित अध्यक्ष अमरेन्द्र नाथ सिंह ने बहस की।कोर्ट ने लम्बी बहस के बाद कल ही फैसला सुरक्षित कर लिया था ।