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उत्तर प्रदेश

न्यूज 18 ने दारुल उलूम देवबंद में 47 कोरोना संक्रमितों पर छापी फर्जी खबर, मांगी माफी

Nirmal kant
21 April 2020 3:30 AM GMT
न्यूज 18 ने दारुल उलूम देवबंद में 47 कोरोना संक्रमितों पर छापी फर्जी खबर, मांगी माफी
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कोरोना के साथ-साथ फर्जी खबरों का भी तेजी से फैल रहा संक्रमण, न्यूज 18 ने फर्जी खबर प्रकाशित कर बताए दारुल उलूम देवबंद में 47 कोरोना मरीज, दारुल उलूम देवबंद ने दर्ज कराई शिकायत...

जनज्वार ब्यूरो, सहारनपुर। इस समय जब कोरोना को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। प्रत्येक देश अपने-अपने तरीके से इसके खिलाफ संजीदासे लड़ाई लड़ रहे हैं। वहीं भारत की स्थिति थोड़ा अलग है यहां कोरोना वायरस के संक्रमण उतनी चर्चा में नहीं है जितनी एक खास समुदाय को बदनाम करने के लिए लगातार फर्जी खबरें और अफवाहें चर्चा में हैं।

पिछले दिनों तब्लीगी जमात की आड़ में एक खास अल्पसंख्यक समुदाय को जिस तरह से निशाना बनाया गया, वह वैश्विक मीडिया में भी छा गया था। इसी कड़ी में 'न्यूज 18 उत्तर प्रदेश' ने सोमवार 20 अप्रैल को एक फर्जी खबर प्रकाशित की जिसमें पहले दावा किया गया कि दारुल उलूम देवबंद में कोविड-19 के 47 मरीजों की पुष्टि की गई है, जबकि हकीकत यह है कि दारुल उलूम देवबंद में एक भी कोविड-19 का मरीज नहीं पाया गया है।

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न्यूज 18 उत्तर प्रदेश ने 'दारुल उलूम देवबंद बना सबसे बड़ा कोरोना का हॉटस्पॉट, अबतक 47 में हुई संक्रमण की पुष्टि' शीर्षक के साथ यह खबर प्रकाशित की थी। रिपोर्ट में बताया गया कि तब्लीगी जमात के डेढ़ सौ से दो सौ लोग 11 ग्रुप में शामिल होकर मरकज से देवबंद में जमात के लिए आए थे। इनमें एक ग्रुप मुंबई से, एक इंडोनेशिया से और 1 जमात दिल्ली से तो वहीं गुजरात से सात जमाती दिल्ली मरकज होते हुए देवबंद थाना क्षेत्र में आए थे। ये लोग देवबंद थाना क्षेत्र की अलग-अलग मस्जिदों में ठहरे थे।

न्यूज 18 की रिपोर्ट में आगे कहा गया, 'जो 47 मरीज पॉजिटिव पाए गए हैं उनमें 12 विदेशी हैं और 33 लोग अलग-अलग प्रदेश से हैं। वहीं इनके कांटेक्ट में आने वाले पिता पुत्र भी हैं, जो जमातीयों की सेवा में लगे थे। अब इनके क्लोज कांटेक्ट में कितने लोग आए इसकी जांच खुफिया विभाग और देवबंद पुलिस लगातार कर रही है। ड्रोन कैमरे से आसपास नजर रखी जा रही है।'

हालांकि इस फर्जी खबर के बाद चौतरफा आलोचनाओं से घिरने के बाद न्यूज 18 उत्तर प्रदेश ने माफी मांगी है, लेकिन इस फर्जी खबर को अपनी वेबसाइट से डिलीट नहीं किया है। खबर के अंत में माफी मांगते हुए लिखा गया है, 'भूल सुधार: 'दारुल उलूम देवबंद बना कोरोना का हॉटस्पॉट, अब तक 47 में पुष्टि' शीर्षक में दारुल उलूम का जिक्र गलती से हुआ था। जिसे अब सुधार लिया गया है।'



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हीं इस खबर से आहत दारुल उलूम देवबंद के कुलपति मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने न्यूज 18 के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में उन्होंने लिखा, 'न्यूज 18 उत्तर प्रदेश के ट्विटर हैंडल से आज दारुल उलूम देवबंद के संबंध में एक फेक न्यूज पोस्ट की गई है, जिसमें लिखा गया है कि 'दारुल उलूम देवबंद बना सबसे बड़ा कोरोना का हॉटस्पॉट, अबतक 47 में हुई संक्रमण की पुष्टि', जो कि सरासर गलत और घातक है, ऐसा प्रतीत होता है कि यह न्यूज समाज में एक समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने और समाज को तोड़ने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से फैलाई जा रही हैं। इससे संस्था व संस्था परिवार को आघात पहुंचा है। इस का संज्ञान लिया जाना जरुरी है। अतः श्रीमान जी से प्रार्थना है कि न्यूज 18 उत्तर प्रदेश के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर उचित कानूनी कार्रवाई करने की कृपा करें।'

कोरोना वायरस को लेकर प्रकाशित इस फर्जी खबर को लेकर दारुल उलूम देवबंद के एक मौलाना ने कहा, 'कोविड-19 संक्रमण एक आलमी मसला है, बहुत संगीन मसला है। सभी को इस पर बहुत संजीदगी से काम लेना चाहिए। लेकिन कुछ चैनल्स और मीडिया ग्रुप्स ऐसे हैं जो इसमें संजीदगी से काम नहीं ले रहे हैं, बल्कि इसको भी मजहबी एंगल से दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, उनकी समाज में नफरत फैलाने की कोशिश है। इसी सिलसिले में हमने आज एक चैनल के खिलाफ मुकदमा दायर करने के लिए थाने को दरखास्त दी है। उसने दारुल उलूम देवबंद को कोरोना वायरस का सबसे बड़ा हॉटस्पॉट बताया है और 47 मरीज यहां पर पॉजिटिव दिखाए हैं जबकि दारुल देवबंद के अंदर एक भी पॉजिटिव नहीं है।'

न्होंने आगे कहा, 'जो एक पॉजिटिव आया भी है तो वो दारुल देवबंद से बाहर रहने वाला बच्चा है। शहर और दारुल देवबंद में उन्हें फर्क करना चाहिए। इतना गैर संजीदा मामला नहीं अख्तियार करना चाहिए कि हमको कानूनी कार्रवाई करनी पड़े। अब हम मजबूर होकर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया जा रहे हैं। आज थाने में भी रिपोर्ट दी है। हम एफआईआर भी कराएंगे, मुकदमे भी कराएंगे और जो कुछ हो सकता है सब करेंगे। एक तरफ हमारे प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि कोरोना का कोई मजहब नहीं होता, वह किसी को भी हो सकता है, दूसरी तरफ उसके खिलाफ जाकर कुछ मीडिया समूह अफवाहें फैला रहे हैं और एक खास तबके को निशाना बनाकर खास एजेंडा चलाकर बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। ये मुल्क बर्दाश्त नहीं कर सकता है।'

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स घटना को लेकर दारुल उलूम के एक दूसरे मौलाना कहते हैं, 'हम तो इसके मुंतजिर थे कि ऐसा होगा। तब्लीगी जमात का मुद्दा बासी हो जाएगा तो दूसरा मुद्दा मीडिया को चाहिए। वो मुद्दा तैयार है। मुसलमान की गर्दन को काटने के लिए और उसको मुताहम बनाने के लिए तब्लीग का मुद्दा पहले आया, उससे पहले तो एनपीआर का मुद्दा आया। जब वह बासी हो गया तो तब्लीगी जमात का मुद्दा मिल गया। अब तब्लीगी जमात का मुद्दा जा रहा है तो यह नया मुद्दा मिल गया है।

ह आगे कहते हैं, 'मैं फिर वहीं बात कहूंगा, अगर सरकार चाहे तो एक दिन नहीं चल सकता। जिस टीवी चैनल ने कहा है उसका लाइसेंस को ले लें। जो कह रहा है उसको गिरफ्तार कर जेल भेज दे। सरकार चाहे तो चुटकी बजाते ही यह काम हो सकता है। लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया और हमें नहीं लगता कि वह आज भी करेगी। जब नहीं करेगी तो दस पंद्रह दिन में किसी सियासी आदमी का यह कह देना कि ऐसा नहीं होना चाहिए, ये तो मगरमच्छ के आंसू हैं जो बहाए जा रहे हैं।'

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