बाल ठाकरे की मूर्ति के लिये औरंगाबाद महानगरपालिका काटेगी 5 हजार पेड़
बाल ठाकरे की मूर्ति बनाने के लिए 5,000 पेड़ों की कटाई की तैयारी औरंगाबाद महानगरपालिका, काटे गए 443 पेड़, ग्रीन औरंगाबाद फोरम से जुड़े लोग कर रहे प्रदर्शन....
जनज्वार। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले शिवसेना ने मुंबई के आरे में पेड़ों की कटाई का खूब विरोध किया था। ठीक यही स्थिति अब औरंगाबाद में होने जा रही है। औरंगाबाद के प्रियदर्शनी पार्क में बाल ठाकरे का स्मारक बनाने के लिए महानगरपालिका 5,000 पेड़ों की कटाई में जुट गई है लेकिन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और शिवसेना चुप्पी साधे हुए है। प्रियदर्शनी पार्क में 70 से अधिक प्रजातियों के पक्षी और 40 प्रकार की तितलियां हैं।
प्रियदर्शनी पार्क में स्थित पेड़ों को औरंगाबाद माहानगरपालिका तेजी से काट रही है। अब तक कुल 443 पेड़ों की कटाई हो चुकी है। वहीं पेड़ों की कटाई के विरोध में ग्रीन औरंगाबाद फोरम के लोग आंदोलन कर रहे हैं।
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मुंबई की आरे कॉलोनी के पेड़ों को जब मेट्रो परियोजना लिये काटा जा रहा था तब शिवसेना ने जमकर विरोध जताया था। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा था कि जब वो सत्ता में आएंगे तो उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे जो पेड़ों की हत्या के लिए जिम्मेदार हैं।
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प्रियर्दशनी पार्क में 70 आधिक प्रजातियों के पक्षियों का बसेरा है, जिसमें 40 प्रकार की रंगबिरंगी तितलियों और अन्य जीव शामिल हैं। पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि यदि प्रियर्दशनी पार्क के 5 हजार पेड़ों को काटा गया तो लोगों के दर्शन के लिये कुछ भी नहीं बचेगा। पेड़ नष्ट होने के वजह से सभी जीवजंतुओं की भारी हानी होगी।
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बाल ठाकरे का स्मारक बनाने के लिये कुल 65 करोड़ की लागत आएगी। स्मारक को खड़ा करने के लिये कम से कम 1 हजार वर्ग मीटर जगह को घेरा जायेगा। स्मारक के साथ-साथ फूड पार्क बनाने की भी तैयारी है। इसमें 2 हजार 220 मीटर जमीन का इस्तेमाल किया जायेगा।
लोग बाल ठाकरे के बारे में विस्तार में जान सके इसके लिये 2 हजार 600 वर्ग मीटर में म्यूजियम भी बनाया जायेगा। तो वहीं लोगों की सुविधा के लिये 3 हजार वर्ग मीटर जगह को विश्राम के लिये खुला छोड़ दिया जायेगा। मेट्रों परियोजना के लिये आरे जंगल के 2,700 पेड़ों को काटा गाया था। पेड़ों की कटाई के विरोध में उतरे पर्यावरण प्रेमियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।
औरंगाबाद में पेड़ों की कटाई पर बॉम्बे एनवायर्नमेंटल एक्शन ग्रुप के चेयरमैन देबी गोयनका ने जनज्वार से बातचीत में कहा, 'ये केवल पेड़ों को नहीं काट रहें हैं। उसमें रहने वाले सभी प्रकार के जीव-जंतुओं को भी मार रहे हैं। आने वाले समय में पर्यावरण को नष्ट करने का परिणाम लोगों को भुगतना पड़ेगा। साथ ही उन्होंने कहा अगर मूर्ति ही बनानी है तो वो कहीं भी बना सकते हैं लेकिन पर्यावरण को नष्ट करके मूर्ति या स्मारक बनाना, ये सही नहीं है’।
देबी गोयनका सरकार की चुप्पी पर कहते हैं कि पर्यावरण को बचाने के लिये लोगों को खुलकर सामने आना पड़ेगा और सरकार को एहसास दिलाना पड़ेगा की राजनीति को पर्यावरण से अलग रखें।