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बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की हकीकत : उत्तराखंड के 133 गांवों में पिछले 3 माह में नहीं पैदा हुई एक भी बेटी

Prema Negi
20 July 2019 4:07 AM GMT
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की हकीकत : उत्तराखंड के 133 गांवों में पिछले 3 माह में नहीं पैदा हुई एक भी बेटी
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कोख में बेटियां कत्ल न की जातीं तो ऐसा नहीं होता कि देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखण्ड राज्य के उत्तरकाशी जिले के एक भी नहीं 133 गांवों में पिछले 3 महीनों में एक भी बेटी का जन्म न होता...

उत्तरकाशी, जनज्वार। देश में एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा बुलंद किया जा रहा है, दूसरी तरफ उन्हें कोख में ही कत्ल कर दिये जाने का सिलसिला अनवरत जारी है। कोख में बेटियां कत्ल न की जातीं तो ऐसा नहीं होता कि पूरे 133 गांवों में पिछले 3 महीनों में एक भी बेटी का जन्म न होता।

बेटियों के जन्म न लेने वाला यह प्रदेश है उत्तराखण्ड। यह बात स्वास्थ्य विभाग के सर्वे से उजागर हुआ कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 133 गांव ऐसे हैं, जहां पर सिर्फ बेटे जन्म ले रहे हैं। शक ही नहीं इस बात की 100 फीसदी संभावना जताई जा रही है कि गांवों में कन्या भ्रूण हत्या का सिलसिला जारी है।

रकारी रिपोर्ट के मुताबिक उत्तरकाशी जनपद के 133 गांवों में पिछले 3 महीने में 216 बच्चों ने जन्म लिया, मगर हैरतनाक तरीके से ये सभी लड़के थे। अस्पतालों से मिली रिपोर्ट के मुताबिक सभी जगह सिर्फ लड़कों ने ही जन्म लिया है। 216 बच्चों में एक भी बेटी का जन्म नहीं हुआ है, जिस पर हैरत हो रही है।

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गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग सभी जिलों के हर गांव में होने वाले संस्थागत एवं घरेलू प्रसवों का ब्योरा तैयार करता है। बीते अप्रैल से जून के बीच उत्तरकाशी जिले के विभिन्न गांवों में हुए प्रसव की रिपोर्ट सामने आई तो प्रशासनिक अधिकारियों की भी आंखें खुली की खुली रह गयीं, क्योंकि यह रिपोर्ट यहां बड़े पैमाने पर चल रहे कन्याभ्रूण हत्या के रैकेट का खुलासा कर रही थी।

पिछले 3 महीनों में वो भी 133 गांवों में 216 सिर्फ बेटे पैदा होने की खबर जब सामने आयी तो मुख्यमंत्री महोदय ने भी यह कहते हुए अफसोस जताया है कि यह आंकड़े चौकाने वाले हैं। यह हमारी सरकार के 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान के लिए भी बहुत चिंताजनक है।

रकारी रिपोर्ट में ही बिगड़ते लिंगानुपात की यह स्थिति सामने आने से जिला प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के नारों की असलियतसामने आने के बाद उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने इन 133 गांवों की आशा कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर यह जानने की कोशिश की आखिर 3 महीनों में इन गांवों में एक भी बेटी पैदा क्यों नहीं हुई।

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शा कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग करने के बाद डीएम ने कहा कि सभी संबंधित गांवों को रेड जोन में शामिल कर लिया गया है। डीएम ने आशा कार्यकर्ताओं की ओर से भेजी गई रिपोर्ट नियमित रूप से मदर चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश भी जारी कर दिये हैं।

2011 की जनगणना में उत्तरकाशी जनपद में महिला एवं पुरुष लिंगानुपात में बहुत ज्यादा अंतर नहीं था। यहां एक लाख 68 हजार 597 पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की जनसंख्या एक लाख 61 हजार 489 थी। इसके बाद उम्मीद जतायी जा रही थी कि सरकार द्वारा ‘कन्या भ्रूण हत्या निषेध’ को लेकर चलाए गए जागरुकता अभियान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान से बेटियों की जन्मदर में बढ़ोत्तरी होगी और लिंगानुपात ​ठीक हो जायेगा, मगर बिगड़ते लिंगानुपात के यह जो भयावह आंकड़े और तस्वीर सामने आयी है उन्होंने शासन—प्रशासन के तमाम दावों की पोल खोल दी है।

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