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राजनीति

भाजपा नेतृत्व ने पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चे पर लगायी इतनी ज्यादा पा​बंदियां कि भोपाल में 50 से ज्यादा पदाधिकारियों ने सौंप दिया सामूहिक इस्तीफा

Prema Negi
12 Jan 2020 12:09 PM IST
भाजपा नेतृत्व ने पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चे पर लगायी इतनी ज्यादा पा​बंदियां कि भोपाल में 50 से ज्यादा पदाधिकारियों ने सौंप दिया सामूहिक इस्तीफा
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पदाधिकारी बोले भाजपा में रहकर सोशल मीडिया पर कुछ लिखना, अपनी बात रखना, अपने मन का पढ़ना और अपने मन का बोलना अगर आप करते हैं तो वह गिना जाता है पार्टी की अनुशासनहीनता में...

रोहित शिवहरे की रिपोर्ट

भोपाल, जनज्वार। मध्य प्रदेश के भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा के 50 पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने सामूहिक रूप से एनआरसी सीए और एनपीआर के विरोध में इस्तीफा दे दिया है। जिसमें राजधानी भोपाल के अल्पसंख्यक मोर्चा के जिला महामंत्री, जिला उपाध्यक्ष और प्रदेश मीडिया प्रभारी भी शामिल हैं।

पनी ही पार्टी के खिलाफ जाकर दिये गये सामूहिक इस्तीफे पर आदिल खान ज़िला उपाध्यक्ष अल्पसंख्यक मोर्चा कहते हैं, भाजपा की जिन रीति-नीतियों को लेकर अल्पसंख्यक तबका पार्टी के साथ खड़ा हुआ था, वह अब कहीं नजर नहीं आती हैं। श्यामा प्रसाद मुखर्जी और अटल बिहारी वाजपेयी के जमाने के आदर्श अब पार्टी से छिटकते नजर आ रहे हैं। धार्मिक आधार पर भेदभाव के हालात चरम पर पहुंच चुके हैं। सरकार द्वारा बनाए जा रहे कानून को मानने के लिए लोगों के घरों-घर जाकर समझाने के हालात बन गए हैं। मुस्लिम भाजपाई अपनी कौम के बीच ऐसे कानून और उसके प्रावधानों को समझाने के लिए जाने में जहां शर्म महसूस कर रहे हैं, वहीं उनके लिए सामाजिक तिरस्कार जैसे हालात भी बन रहे हैं। हमारा पार्टी के साथ बने रहना संभव नहीं इसलिए हम लोगों ने इस्तीफा दे दिया।

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इस संबंध में प्रदेश मीडिया प्रभारी अल्पसंख्यक मोर्चा मध्य प्रदेश जावेद बेग ने जनज्वार से हुई बातचीत में कहा, सोशल मीडिया पर कुछ लिखना, अपनी बात रखना, अपने मन का पढ़ना और अपने मन का बोलना अगर आप करते हैं तो वह वर्तमान समय में पार्टी की अनुशासनहीनता में आ जाता है। इसका मतलब यह है कि जो वह कहें वही आपको पढ़ना है वही लिखना है और वही बोलना है। हम तो आजाद भारत के वासी हैं, जो हमें ठीक लगता है अपनी आजादी के साथ वही बात रखते हैं। गलत लगता है उसे गलत लिखते हैं, जो अच्छा लगा उसे अच्छा लिखते हैं।'

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के मीडिया प्रभारी आगे कहते हैं, बीजेपी का हमने हर मौके पर साथ दिया। 370 पर साथ दिया, बाबरी मस्जिद पर साथ दिया। एजेंडा भी चलाया मीटिंग भी की, जब नमामि गंगे परियोजना चली उस पर भी साथ दिया। जितनी भी जिम्मेदारियां मिलती थीं सब हमने पूरी कीं। आज हमें CAA-NRC ठीक नहीं लगा तो उसके लिए हमने बोला और फेसबुक पर लिखा। उन्होंने कहा यह अनुशासनहीनता हो गई।'

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भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का नाम लिये बिना जावेद बेग आगे कहते हैं, उन्हें पता था कि हम 4:00 बजे मीटिंग करके उनसे बात रखने वाले हैं। उन्होंने 3:00 बजे ही हमारा बजे निष्कासन कर दिया। निष्कासन भी अभी तक उन्होंने मुझे नहीं भेजा, मुझे लोगों से पता चला। उन्होंने अभी तक हमारे व्हाट्सएप नंबर पर भी पर्सनल मैसेज नहीं भेजा है। हमारे दोस्तों ने बताया कि फेसबुक पर और बाकी जख्मों पर कि हमारा निष्कासन हो चुका है।'

जावेद दुखी होकर कहते हैं, 'मैं 4 सालों से पार्टी से जुड़ा रहा हूं। मैंने हजारों कार्यकर्ता तैयार किए हैं और ना जाने कितने लोगों को भाजपा की सदस्यता दिलवाई है। इसके पहले भी मैं 10 साल पहले से एबीवीपी से जुड़ा रहा हूं, लेकिन अब पार्टी 10 साल पुरानी पार्टी जैसी नहीं रह गई है। हमने प्रदेश अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष उपाध्यक्ष और महामंत्री सामने बात की पर कोई स्पष्ट बात हो नहीं पाई। हम बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष से मिलना चाहते ,थे उनके सामने बात रखना चाहते थे अभी हम आज हमें पार्टी से इस्तीफा देने का कोई इरादा नहीं था। आज 11 तारीख को हम मिलकर चर्चा करने वाले थे कि जो हमारी समस्याएं हैं उसका पार्टी निवारण करें, पर पार्टी ने मुझे निष्कासित कर दिया। यह घटना दिखाती है कि पार्टी के अंदर अब पहले जैसा लोकतंत्र बचा ही नहीं हैं।

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वे आगे कहते हैं, मैं लंबे समय से संघ से जुड़ा रहा हूं और आगे भी उनकी विचारधारा से जुड़ा रहूंगा। वह मुझे निष्कासित कर देते हैं तो करें, लेकिन मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मेरे बोलने का हक जो मुझे भारतीय संविधान ने दिया है, मैं बोलूंगा। गलत को गलत बोलूंगा और सही को सही बोलूंगा।'

पार्टी से इस्तीफे की शुरुआत पुराने और वरिष्ठ नेताओं से हुई, जिनमें जनसंघ के जमाने से भाजपा से जुड़े वरिष्ठ मुस्लिम भाजपाई अब्दुल हकीम कुरैशी ने पार्टी से इस्तीफा देने का पहला ऐलान किया था। इसके बाद मध्य प्रदेश मदरसा बोर्ड में सदस्य और मसाजिद कमेटी के अध्यक्ष रहे हकीम ने इस्तीफा दिया, जो कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बचपन के दोस्त माने जाते हैं। उन्होंने कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया। इसके बाद मोर्चा की प्रदेश कार्यकारिणी में शामिल अकरम खान ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

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सामूहिक इस्तीफा सौंपने वालों में ज़िला उपाध्यक्ष अल्पसंख्यक मोर्चा आदिल खान, उमर अली ज़िला मंत्री अल्पसंख्यक मोर्चा, जावेद बेग प्रदेश मीडिया प्रभारी अल्पसंख्यक मोर्चा मप्र, ज़ीशान सिद्दीकी मंडल अध्यक्ष बरखेड़ी साथ मे पूरा मंडल, उबेदुल्ला खान ज़िला प्रवक्ता अल्पसंख्यक मोर्चा, बबलू खान ज़िला कार्यरणी सदस्य अल्पसंख्यक मोर्चा, ज़िरहान हसन ज़ोला मीडिया प्रभारी अल्पसंख्यक मोर्चा, बसूरतुल्ला खान सोहेल ज़िला मंत्री अल्पसंख्यक मोर्चा, ज़फर खान ज़िला प्रवक्ता अल्पसंख्यक मोर्चा, शाहवर खान जिला कोषाध्यक्ष अल्पसंख्यक मोर्चा, आसिफ कुरेशी ज़िला कार्यकारणी सदस्य अल्पसंख्यक मोर्चा, अब्दुल हकीम कुरेशी प्रदेश कार्यकारणी सदस्य अल्पसंख्यक मकरच प्रदेश, डॉ समीर शाहनी ज़िला मंत्री अल्पसंख्यक मोर्चा, मोहम्मद खालिद खान ज़िला कार्यकारणी सदस्य अल्पसंख्यक मोर्चा, दानिश खान मॉडल प्रवक्ता युवा मोर्चा बीजेपी, खुर्शीद अहमद प्रदेश कार्यकारणी सदस्य अल्पसंख्यक मोर्चा मप्र, अमीर सिद्दीकी ज़िला प्रवक्ता अल्पसंख्यक मोर्चा, अरमान खान अग्रसेन मंडल महामंत्री अल्पसंख्यक मोर्चा, मोहम्मद शारिक खान भाजपा नेता, मोहम्मद शकील खान ज़िला कार्यकारणी सदस्य अल्पसंख्यक मोर्चा, हाजी मुस्तकीम क़ुरैशी पूर्व प्रवक्ता अल्पसंख्यक मोर्चा समेत अनेक लोग शामिल हैं।

गौरतलब है कि इसके पहले 3 दिन पहले नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ मध्य-प्रदेश के खरगोन जिले में 10 जनवरी को बीजेपी अल्पसंख्यक जिला मोर्चा के अध्यक्ष सहित 176 बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।

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