भाजपा कार्यसमिति में हुआ आजादी की लड़ाई लड़ने वालों का जातिगत बंटवारा
जाति, संप्रदाय, क्षेत्र के आधार पर बंटवारे की राजनीति में माहिर भाजपा ने नया बंटवारा आजादी की लड़ाई लड़ने वाले क्रांतिकारियों और शहीदों में कर दिया है...
जनज्वार। पिछले चार वर्षों में समाज को आगे ले जाने में भाजपा सरकारों की क्या उपलब्धि रही, उसका ताजा उदाहरण प्रधानमंत्री मोदी का वह बयान है जिसमें वह गंदे नाले से पाइप जोड़कर गैस जलाने की अवैज्ञानिक बात कर रहे हैं।
पूरे देश हो रही जगहंसाई के बीच बहुत साफ है कि मोदी जान—बूझकर ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें करते हैं जिससे देश उसमें उलझा रहे और मूल मुद्दे जैसे रोजी—रोजगार और रोटी, शांति, व्यवस्था और कानून के सवाल कभी राजनीतिक सवाल ही न बन पाएं।
मोदी की बताई राह पर चलते हुए भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में ऐसा ही एक मूर्खतापूर्ण तरीका अपनाया गया है, जिससे प्रदेश कार्यकारिणी में क्या बहस हुई, भाजपा ने क्या रणनीति बनाई, वह तो चर्चा में नहीं है पर उसने जातिगत—धार्मिक आधार पर आजादी की लड़ाई लड़ने वालों की सूची जरूर चर्चा में है।
उत्तर प्रदेश योजना आयोग के पूर्व सदस्य और सपा नेता प्रोफेसर सुधीर पंवार लिखते हैं कि भाजपा प्रदेश कार्यसमिति, मेरठ मे आयोजन स्थल के बाहर स्वतंत्रता सेनानियों की जाति के नाम लिखे बोर्ड लगाए गए। क्या वे लोग उन जातियों मे पैदा होने के कारण स्वतंत्रता सेनानी बने?
फिर सुधीर पंवार राय देते हैं, 'आप जाति की राजनीति करो, चुनाव लड़ो लेकिन आजादी की लड़ाई तो सबकी रहने दो।'
साफ है कि भाजपा को अपने चार साल के किए कागजी विकास पर भरोसा नहीं है, इसलिए वह 2019 में चुनाव जीतने के लिए लगातार और लगातार बंटवारे की राजनीति को ही देश का असल मुद्दा बनाए हुए है।