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राजनीति

वाजपेयी की भतीजी का आरोप, 9 साल से अटल जी को भूले मोदी-अमित शाह उनकी अस्थियों का कर रहे राजनीतिक व्यापार

Prema Negi
24 Aug 2018 12:21 PM IST
वाजपेयी की भतीजी का आरोप, 9 साल से अटल जी को भूले मोदी-अमित शाह उनकी अस्थियों का कर रहे राजनीतिक व्यापार
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अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजीं बोलीं नरेंद्र मोदी और अमित शाह पाँच किलोमीटर उनकी शवयात्रा में शामिल हुए और पैदल चले, उनसे मैं कहना चाहती हूँ कि अटल के बताये मार्गों पर, उनके आदर्शों पर गर वो दो कदम चल लें तो देश का भला हो जाएगा....

सुशील मानव की रिपोर्ट

दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला ने वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तथा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन शाह पर अटल बिहारी वाजपेयी की मृत्यु को एक इवेंट में बदलने और उसका राजनीतिक लाभ उठाने का बेहद गंभीर आरोप लगाया है।

करुणा शुक्ला ने अपने बयान में कहा है कि पाँच किलोमीटर अटल जी के शव के पीछे चलने वाले प्रधानमंत्री और उनके मंत्री सिर्फ दो कदम अटल जी के बताये रास्ते पर चल लें तो देश बदल जाएगा।

करुणा शुक्ला कहती हैं, ‘अटल जी हमारे चाचा थे उनकी मृत्यु देश के साथ साथ हमारी व्यक्तिगत और पारिवारिक क्षति भी है। पिछले 9 वर्षों से अटल बिहारी वाजपेयी को न मोदी जी ने, न अमित शाह ने, न ही रमन सिंह ने कभी याद किया। इस बीच बहुत से राज्यों में चुनाव हुए देश का भी चुनाव हुआ, लेकिन कहीं किसी होर्डिंग बैनर पोस्टर में अटल जी कहीं नहीं दिखे। न ही कभी किसी मंच से उनके किये गए कार्यों का उल्लेख होता था।

पिछले 9 वर्षों से लगातार मैं इस मानसिक पीड़ा से गुजर रही हूँ। जिस छत्तीसगढ़ का निर्माण अटल बिहारी वाजपेयी जी ने किया उस राज्य का मुख्यमंत्री बनने के बाद रमन सिंह अटल जी को भूल गए। पिछले 9 साल में रमन सिंह ने उनके नाम तक का उल्लेख नहीं किया। आज उनके देहावसान के बाद जिस तरह से उनके अस्थि-कलशों को लेकर चुनावी वैतरणी पार करने की रमन सिंह और नरेंद्र मोदी ने जो योजना बनाई है, उससे मैं बहुत क्षुब्ध और दुखी हूँ। ये सब बेहद शर्मनाक है।’

करुणा जी आगे कहती हैं, ‘उनके नाम पर ताबड़तोड़ घोषणाए हो रही हैं, ये घोषणाएँ पहले हो सकती थी अगर इनके पास संस्कार होते। अगर इनके मन में अटल जी के प्रति थोड़ा भी सम्मान होता तो निश्चित रूप से ये घोषणाये पहले ही कर सकते थे। भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा उसका चाल चरित्र और चेहरा बिल्कुल बदल गया है।

जिन नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने दिल्ली की पूरी कैबिनेट के साथ पाँच किलोमीटर यात्रा की, उनकी शवयात्रा में वो शामिल हुए और पैदल चले, उनसे मैं कहना चाहती हूँ कि अटल के बताये मार्गों पर, उनके आदर्शों पर गर वो दो कदम चल लें तो देश का भला हो जाएगा। अटल जी के नाम पर चुनावी वैतरणी पार करने की जो वो कोशिश कर रहे हैं चारों राज्यों में जनता वो समझ रही है और जनता निश्चित रूप से इसका बदला लेगी।’

‘ये सब इनसे सत्ता का लालच करवा रहा है। अटल जी को सच्ची श्रद्धांजली तभी होगी, जब नरेंद्र मोदी और अमित शाह लाल कृष्ण आडवाणी जैसे वयोवृद्ध नेता का अपमान करना छोड़ दें। रमन सिंह अगर सचमुच अटल बिहारी को सच्ची श्रद्धांजली देना चाहते हैं तो वो पिछले 9 सालों में प्रदेश में हुए भ्रष्टाचारों का ईमानदारी से जाँच करवायें’-करुणा शुक्ला ने गंभीरतापूर्वक कहा।

जबकि अटल बिहारी वाजपेयी की मृत्यु के बाद से ही एक के बाद एक ऐसी असंवेदनशील तस्वीरें वायरल हुई हैं, जो प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्रियों का अटल बिहारी के प्रति निरादर निरादर दर्शाती रही हैं। इसे लेकर जनमानस में मोदी शाह की जोड़ी के अटल-विरोधी होने की धारणा बनी है।

उनके अंतिम संस्कार कार्यक्रम की एक फोटो में मोदी शाह पैर पर पैर चढ़ाए बैठे दिख रहे हैं जैसे वो आंतिम संस्कार में नहीं किसी पार्टी में शामिल होने आये हों। जबकि इसके पहले एम्स के डॉक्टरों के साथ हँसते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक फोटो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई। ये फोटो उस दिन की बताई जाती है जिस दिन अटल जी की मृत्यु हुई। जाहिर है मोदी जब एम्स अटल बिहारी वाजपेयी को देखने गए तो उनकी हालत बेहद क्रिटिकल बताई जा रही थी।

मोदी जी को उस हालात में भी हँसने वाली क्या बात मिल गई, ये तो खैर वही जानें या फिर उस फोटो में दिख रहे वो डॉक्टर और सेक्युरिटी गार्ड। लालकृष्ण आडवाणी के प्रति मोदी और शाह अपमानजनक तस्वीरें भी समय समय पर सोशल मीडिया में आती रही हैं। जाने कितने तो चुटकुले और मुहावरे बनाए जा चुके हैं आडवाणी और मोदी के तल्ख रिश्तों पर।

जिस तरह से अटल बिहारी वाजपेयी की मौत को लेकर सस्पेंस बनाया गया और मीडिया की मदद से लगातार उनके मौत के पहले से ही सहानुभूति की लहर पैदा करने की कोशिश की गई जनमानस में ये बात घर कर गई भीतरखाने में सारे खेल फिक्स है। बीच में एक बार गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने करीब 2.40 पर अटल जी की मौत की घोषणा करते हुए श्रद्धांजली दी और सारे चैनल एक साथ खबर चलाने लगे उनके मरने की और दो मिनट बाद ही उनके जिंदा होने की बात कहकर न्यूज को बदल दिया गया

इस बीच मीडिया पूरे देश को उनकी मौत का इंतजार करवाता रहा, उधर तमाम मंत्री अटल आवास और भाजपा मुख्यालय में भव्य आयोजन के प्रबंध में युद्धस्तर पर जुट गए। जाहिर अटल जी की मौत के समय और दिन को लेकर भी जनमानस में संदेह है।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मौत को एक राजनीतिक इवेंट में तब्दील कर दिया गया। इधर केरल में लाखों लोग डूब रहे उधर मीडिया के सारे चैनल शवयात्रा की लाइव तस्वीर दिखा रहे हैं। कैमरा का फोकस ज्यादातर प्रधानमंत्री मोदी पर रहा।

इधर बिहिया में लोग एक औरत के कपड़े उतार रहे उधर न्यूज चैनलों पर शहर दर शहर की लाइव कलश यात्रा चल रही है। सबकुछ फिक्स। मीडिया ये सब मुफ्त में तो नहीं कर रहा। जाहिर है इन कलश यात्राओं और उनकी लाइव प्रसारण के लिए मोदी सरकार हजारों करोड़ रुपए खर्च कर रही है। कहाँ से आएगा ये पैसा। जाहिर है ये टैक्स के ही पैसे होंगे।

केरल को देने के लिए महज 600 करोड़ और अस्थि कलश यात्रा पर खर्च करने के लिए सैंकड़ों करोड़। जनता सब देख रही है। जिंदा हाथी की अनदेखी करने वाले लोग किस तरह मरी हाथी के अस्थियों तक को बेंच बेंचकर चुनावी लाभ लेने की जुगत लगा रहे हैं जनता सब समझ रही।

इधर अटल अस्थि कलश यात्रा की कई असंवेदशील तस्वीरें और वीडियो फिर से वायरल हो रही हैं। पार्टी कार्यकर्ता कलशों को इस तरह भावविभोर होकर उठाये दिख रहे हैं जैसे वो अस्थि कलश नहीं किसी चैंपियनशिप की ट्रॉफी हो।

वहीं परसों 22 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थि कलश यात्रा रायपुर छत्तीसगढ़ पहुँची। जहाँ कलशयात्रा के बाद शोकसभा का आयोजन किया गया। जब अस्थि कलश यात्रा भाजपा कार्यालय एकात्म परिसर पहुँची तो श्रद्धांजली सभा के दौरान मंच पर मौजूद रमन सिंह सरकार के दो मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर जोरदार ठहाके लगाते दिखे।

27 राज्यों के 500 से भी ज्यादा जिलों में अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियाँ यात्रा निकाल कर प्रवाहित की जा रही हैं। लोग इस बात को लेकर भी तार्किक होकर पूछते हैं कि एक आदमी को जलाने के बाद अस्थियाँ बचती ही कितनी हैं जो देश के हर जिले में प्रवाहित की जा रही हैं।

वहीं कुछ धार्मिक लोग इसकी धार्मिकता पर ही सवाल उठाते हुए कहते हैं कि किस हिंदू शास्त्र में लिखा है कि मृतक की अस्थियों को हर नदी नाले में प्रवाहित किया जाए। जाहिर है अटल अस्थि यात्रा के बहाने मोदी सरकार हिंदू धर्म का मजाक उड़ा रही है।

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