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अंधविश्वास

कर्नाटक में सत्ता बचाने के लिए काला जादू, तंत्र-मंत्र, पूजा-पाठ का अंधविश्वास आया सामने

Prema Negi
24 July 2019 4:15 PM GMT
कर्नाटक में सत्ता बचाने के लिए काला जादू, तंत्र-मंत्र, पूजा-पाठ का अंधविश्वास आया सामने
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ज्‍योतिषियों के हवाले से दावा किया जा रहा था कि कर्नाटक विधानसभा में अगर विश्‍वासमत पर चर्चा मंगलवार 23 जुलाई तक खिंच जाएगी तो एचडी कुमारस्‍वामी सरकार बच जाएगी, लेकिन मंगलवार को ही सरकार गिर गयी....

जेपी सिंह की रिपोर्ट

शुभ मुहुर्त के लिए ज्योतिषीय परामर्श तो पूरे देश के ज्यादातर नेता लेते हैं, लेकिन राजनीति में ‘काला जादू’ के इस्तेमाल की चर्चा कर्नाटक में सबसे ज्यादा होती है। तंत्र-मंत्र करने वालों लोगों के मुताबिक काला जादू कथित तौर पर ऐसी तांत्रिक क्रिया है, जिससे आप अपने विरोधी पक्ष को जानमाल का नुकसान पहुंचा सकते हैं। कर्नाटक में जारी राजनीतिक 'नाटक' खत्‍म हो गया और कुमारस्‍वामी सरकार को इस्तीफा देना पड़ा, लेकिन सरकार बचाने के लिए न तो ज्‍योतिषियों की सलाह काम आयी और न ही टोटके काम आये। काला जादू, पूजा और हवन भी निरर्थक सिद्ध हुआ।

भारत की सिलिकॉन वैली कहे जाने वाला बेंगलुरु कर्नाटक की राजधानी है। पिछले कई दिनों से कुमारस्‍वामी सरकार को गिराने और उसे बचाने का 'नाटक' चल रहा था। राज्‍य के नेता सरकार को गिराने और बचाने के लिए विधायकों की जोड़तोड़ के साथ अब भगवान की पूजा और टोटकों का सहारा ले रहे थे। ज्‍योतिषियों की राय भी ली जा रही थी। ज्‍योतिषियों के हवाले से दावा किया जा रहा था कि कर्नाटक विधानसभा में अगर विश्‍वासमत पर चर्चा मंगलवार 23 जुलाई तक खिंच जाएगी तो एचडी कुमारस्‍वामी सरकार बच जाएगी, लेकिन मंगलवार को ही सरकार गिर गयी।

पूरे कर्नाटक में कहा जा रहा था कि जेडीएस सुप्रीमो एचडी देवगौड़ा, कुमारस्‍वामी, उनके भाई एचडी रेवन्‍ना और उनका परिवार सरकार बचाने के लिए विशेष पूजा कर रहा है। वहीं सत्ता पाने के लिए प्रार्थना, पूजा-पाठ का दौर भाजपा में भी जारी था। भाजपा सांसद शोभा करंदलजे येदियुरप्पा के सीएम बनने के लिए अनुष्ठान कर रही थीं। मैसूर स्थित श्री चामुंडेश्वरी देवी मंदिर में वह 1001 सीढ़ियां चढ़कर पहुंचीं। उन्होंने समर्थकों के साथ मंदिर में प्रार्थना की थी कि येदियुरप्पा कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री बनें।

जेडीएस में चर्चा थी की पार्टी के शीर्ष नेताओं ने पुजारियों और ज्‍योतिषियों से सलाह ली थी। ज्‍योतिषियों ने सलाह दी थी कि यदि विश्‍वासमत पर वोटिंग अगर मंगलवार तक टल जाएगी तो सरकार बच जाएगी। जेडीएस के वरिष्‍ठ नेताओं के घरों पर भी पुजारी विशेष पूजा और हवन कर रहे थे । कुमारस्‍वामी के भाई एचडी रेवन्‍ना पिछले कई दिनों से नंगे पैर चल रहे थे, ताकि दुष्‍ट शक्तियां दूर रहें और कांग्रेस-जेडीएस सरकार बच जाए। रेवन्‍ना विधानसभा में भी नंगे पैर आए थे। यही नहीं रेवन्‍ना गौड़ा परिवार के साथ बेंगलुरु स्थित श्रृंगेरी शारदा पीठम गए थे। भाजपा ने आरोप भी लगाया था कि टोटके के लिए एचडी रेवन्ना शुक्रवार को सदन में नींबू लेकर आए थे।

र्नाटक में सत्ता के लिए काले जादू, तंत्र मंत्र, पूजा पाठ का यह कोई नया मामला नहीं है। कांग्रेस के सिद्धारमैया ही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा भी एक समय कोलेगल कस्बे से जुड़ी कथित काले जादू की घटनाओं के केंद्र में रह चुके हैं। यह पूरा घटनाक्रम तब शुरू हुआ जब वर्ष 2016 में कैबिनेट में फेरबदल के बाद सिद्धारमैया मैसूर स्थित अपने घर पहुंचे थे।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक यहां उन्हें एक व्यक्ति ‘अभिमंत्रित’ कपड़ा देना चाह रहा था, लेकिन उसे बिना लिए वे आगे बढ़ गए। यह व्यक्ति फिर भी किसी तरह सिद्धारमैया की कार तक पहुंच गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री के समर्थक और कांग्रेस के कार्यकर्ता बताते हैं कि मुख्यमंत्री के रवैए से नाराज इस व्यक्ति ने कुछ बुदबुदाते हुए उसी समय उनके ऊपर टोटका कर दिया। यह हरकत वैसे तो सामान्य समझी जाती, लेकिन यह व्यक्ति कोलेगल कस्बे का है इसलिए यह घटना सुर्खियों में आ गई। साथ ही मुख्यमंत्री और कांग्रेस समर्थकों के चिंता की वजह बन गई है।

क मीडिया रिपोर्ट में इन समर्थकों के हवाले से लिखा गया है कि फिलहाल वे इस व्यक्ति को मनाने में जुटे हैं कि वह मुख्यमंत्री पर किया गया टोटका वापस ले। जहां तक सिद्धारमैया की बात है तो वे सार्वजनिक रूप से तंत्रमंत्र की बातों को नकारते हैं और इस वाकये पर भी उनका यही रुख है।

राजनीतिक उथल-पुथल या चुनाव के पहले ज्योतिषी और काला जादू करने वाले लोग अचानक चर्चा में आ जाते हैं। राज्य के कोलेगल तालुका ‘काला जादू’ के लिए कुख्यात है। स्थानीय पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार कोलेगल में नरबलि से लेकर तांत्रिक कर्मकांड के लिए किशोरवय लड़कियों को निर्वस्त्र घुमाने तक के अजीबोगरीब मामले सामने आते रहे हैं।

बैंग्लुरु से तकरीबन 130 किमी दूर दक्षिण कर्नाटक के चमाराजनगर जिले का तालुका कोलेगल ‘काला जादू’ का केंद्र कैसे बन गया, इसके इतिहास के बारे में तो कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिलती, लेकिन एक रिपोर्ट बताती है कि यहां तकरीबन 500 लोग सीधे-सीधे दावा करते हैं कि उनके पास विशेष शक्तियां हैं। वहीं इस तालुका की गलियां घूमते हुए वशीकरण, सम्मोहन, टोना-टोटका आदि के विशेषज्ञों के सैकड़ों विज्ञापन दिखते हैं।

र्ष 2011 में कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने विपक्ष के नेता सिद्धारमैया पर आरोप लगाया था कि वे उन्हें पद से हटाने के लिए काला जादू करवा रहे हैं। फरवरी 2011 में कर्नाटक विधानसभा तक में नेताओं ने एक दूसरे के ऊपर काला जादू करने, करवाने के आरोप लगाए थे। तब राज्य में भाजपा की सरकार थी और बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री थे। उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री ने विपक्षी पार्टी कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि उसके नेता विधानसभा भवन के आसपास टोटके करवा रहे है।

दिलचस्प बात है कि तब विपक्ष के नेता सिद्धारमैया हुआ करते थे और उन्होंने ये आरोप लगने के बाद मुख्यमंत्री पर आपराधिक मानहानि केस करने की बात कही थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री का यह आरोप पूरी तरह गलत नहीं था। तीन महीने पहले ही कर्नाटक विधान सौध (विधानसभा) के पश्चिमी गेट और राजभवन के सामने सिंदूर, हल्दी, टूटी हुई चूड़ियों आदि के साथ कथित तौर पर टोटके से जुड़ा सामान पाया गया था। इसकी बाकायदा पुलिस रिपोर्ट हुई थी और तब कहा जा रहा था कि यह काम कोलेगल कस्बे के किसी काला जादू जानने वाले ने किया है।

चुनाव के पहले कोलेगल में तमाम पार्टियों के नेताओं की आवाजाही बढ़ जाती है। 2013 के विधानसभा चुनाव में भी ऐसा हुआ था। इस चुनाव में कुछ उम्मीदवारों ने एक दूसरे पर काला जादू करवाने का आरोप लगाया था। उत्तरी कर्नाटक की तर्दल सीट से चुनाव लड़ रहीं कांग्रेस उम्मीदवार उमाश्री पर भी यह आरोप लगा था।उमाश्री कन्नड़ अभिनेत्री रही हैं, इसलिए यह आरोप पूरे चुनाव के दौरान चर्चा में रहा।

र्ष 2013 के चुनाव के बाद कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनी थी। यह मुद्दा पार्टी के घोषणापत्र में नहीं था लेकिन तब मुख्यमंत्री ने निजी दिलचस्पी दिखाते हुए राज्य में अंधविश्वास और काला जादू जैसी परंपराएं रोकने के लिए कानून बनाने की कोशिश शुरू की थी। उसी साल इस कानून के लिए पहला मसौदा तैयार हो गया था, लेकिन विपक्ष के विरोध के डर से सरकार ने इससे संबंधित विधेयक को विधानसभा में पेश नहीं किया।

रअसल भाजपा और जनता दल (एस) सरकार को चेतावनी दिया था कि इस विधेयक के प्रावधान हिंदू धर्म की कुछ मान्यताओं का विरोध करते हैं और वे इस विधेयक को विधानसभा में पारित नहीं होने देंगी।

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