Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

ब्लास्टिंग से दहला मिर्ज़ापुर का गाँव, विस्फोट में उड़े पत्थर के टुकड़े गिरे स्कूल पर तो बाल-बाल बचे बच्चे और शिक्षक

Prema Negi
25 Jan 2020 4:27 AM GMT
ब्लास्टिंग से दहला मिर्ज़ापुर का गाँव, विस्फोट में उड़े पत्थर के टुकड़े गिरे स्कूल पर तो बाल-बाल बचे बच्चे और शिक्षक
x

क्षेत्र में लगातार हो रही ब्ला​स्टिंग का एक बड़ा साइड इफेक्ट यह भी है कि प्रेग्नेंट महिलाओं और पशुओं के कोख में पल रहे बच्चे समय से पहले गर्भ से बाहर आ जाते हैं। लोग टीवी, एक्जिमा, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं, पानी का स्तर जमीन से सैकड़ों फिट नीचे चला गया है....

मिर्जापुर से पवन जायसवाल की रिपोर्ट

जनज्वार। मिर्ज़ापुर के अहरौरा थाना क्षेत्र स्थित चकजाता गाँव मे मंगलवार की दोपहर 21 जनवरी को दिन में तकरीबन एक बजे अचानक तेज आवाज के साथ धरती हिल गयी। लोगो की छतों और विद्यालय में बोल्डर के छोटे—छोटे टुकड़े आसमान से बारिश की तरह गिरने लगे। गाँव के प्राथमिक विद्यालय में बच्चों और शिक्षकों के बीच इससे अफरा तफरी मच गयी। घबराये ग्रामीण घर से बाहर निकल गए, विद्यालय में पढ़ा रहे शिक्षक और बच्चे पत्थरों की बारिश के चपेट में आते—आते बाल बाल बचे।

लोगों की भीड़ जब एक जगह इकट्ठा हुई तो पता चला स्कूल से महज दो सौ से तीन सौ मीटर की दूरी पर पहाड़ों में दो से ढाई सौ डीपहोल करके बारूद और जिलेटिन रॉड की मदद से खनन करने वालों ने पहाड़ को उड़ा दिया है, जिसके तेज विस्फोट से धरती में कम्पन और पत्थरों के टुकड़े लोगों की छतों और विद्यालय परिसर में आ गिरे।

हां यह पहली बार नहीं हुआ है और न ही यह विस्फोट पहली बार हुआ है। चकजाता के ग्रामीण कहते हैं ऐसे विस्फोट और वाइब्रेशन रोज होते हैं, किन्तु जब कभी कभी बारूद की मात्रा बढ़ जाती है तो धरती तेजी से डोलने लगती है।

ग्रामीणों के मुताबिक जब ब्लास्टिंग करने वालों से कहा कि इससे बच्चों की जान पर बन आयी है, आपको इस तरह नहीं करना चाहिए तो उनमें से एक पवन शर्मा बोला, स्कूल और घर की छतों पर पत्थर ही गिरे हैं ना, कोई मर तो नहीं गया।

से में बच्चे रोज जान जोखिम में डालकर पढ़ाई कर रहे हैं, डर के साये में जी रहे माँ-बाप दोपहर में अपने बच्चों को घर पर रहने की सलाह देते हैं। दोपहर 12 से 3 बजे के बीच की जा रही ब्लास्टिंग से पहाड़ों के छोटे-छोटे टुकड़े लोगों की छतों पर गिरते हैं। घरों में दरारे पड़ जाती हैं। ऐसी ब्लास्टिंग में कई बार लोग घायल भी हो चुके हैं। क्षेत्र की खेती पर भी इसका असर पड़ता है।

शुओं का चारा ब्लास्टिंग के बाद हुई धूल से बर्बाद हो जाता है। डॉक्टरों के मुताबिक इसका एक साइड इफेक्ट यह भी है कि प्रेग्नेंट महिलाओं और पशुओं के कोख में पल रहे बच्चे समय से पहले गर्भ से बाहर आ जाते हैं। लोग टीवी, एक्जिमा, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। पानी का स्तर जमीन से सैकड़ों फिट नीचे चला गया हैं।

क्षेत्र में लगातार हो रही ब्लास्टिंग के चलते हो रही समस्याओं पर सीएचसी अधीक्षक डॉक्टर हरिश्चंद्र कहते हैं कि क्षेत्र में आये दिन हो रही डीफहोल ब्लास्टिंग के चलते तमाम तरह की परेशानियां होने की संभावना होती है। गर्भ में पल रहे बच्चे की जान का खतरा बना रहता है। गर्भवती महिलाओं में अबॉर्शन का खतरा और पैदा हुए बच्चे का कान का पर्दा फटने का डर बना रहता है। जो गाँव खनन क्षेत्र के करीब हैं वहां पर इस तरह की समस्यायें पैदा हो रही हैं।

विद्यालय में गिरे पत्थरों के टुकड़ों की जानकारी जब शिक्षकों ने अपने विभाग के अधिकारियों को दी तो मामले को संज्ञान में लेकर एसडीएम चुनार जंगबहादुर यादव देर रात ग्रामीणों से पूरे प्रकरण की जानकारी लेने पहुँचे और ग्रामीणों को उचित कार्यवाही का आश्वासन देकर वापस चले गये।

दूसरे दिन फिर से खननकर्ताओं ने विस्फोट के लिए बिछा दिया पहाड़ों में बारूद

अभी मंगलवार यानी 21 जनवरी के कांड यानी भारी भरकम विस्फोट को विद्यालय के बच्चे और ग्रामीण भुला भी नहीं पाये थे कि दूसरे दिन 22 जनवरी को भी करीब दो से ढाई सौ होल में फिर से डीपहोल मशीन से सुराख करके दस फिट गहरे छेद में बारूद और जिलेटिन फिट करके तारों का मकड़जाल फैलाकर खननकर्ता पहाड़ को उड़ाने की तैयारी कर रहे थे। ये देख ग्राम प्रधान और ग्रामीण आगबबूला हो गये। कुछ ग्रामीणों के समूह ने ब्लास्टिंग होने के कुछ मिनट पहले ही ब्लास्टिंग वाली जगह से फैले बारूद बैटरी कनेक्शन के तार को खोलकर अपने कब्जे में ले लिया।

स मामले में बुधवार 22 जनवरी को जिलाधिकारी मिर्ज़ापुर सुशील कुमार पटेल का फरमान आया है कि स्कूल के वक्त ब्लास्टिंग नही होगी,और मामले की जांच करायी जाएगी। मगर डीएम साहब ने ये नही बताया की 3 किलोमीटर रिहायशी इलाकों तक ब्लास्टिंग न करने का नियम है, उसे लेकर उनका क्या कहना है। इसका उन्होंने अपने बयान में जिक्र तक नहीं किया। खननकर्ता भारी मात्रा में होल करके पहाड़ों को ढहा रहे हैं। पूर्व में जिन ग्रामीणों और समाजसेवियों ने इसकी शिकायत अधिकारियों से की थी, उल्टे उन पर ही राजस्व क्षति का मामला दर्ज कर ग्रामीणों की आवाज को दबा दिया गया।

Next Story

विविध