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इंदौर के कलेक्टर ने कहा- अगर ऐसा हो जाता तो इतना नहीं फैलता कोरोना

Janjwar Team
18 April 2020 7:34 AM GMT
इंदौर के कलेक्टर ने कहा- अगर ऐसा हो जाता तो इतना नहीं फैलता कोरोना
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कलेक्टर मनीष सिंह ने कहा कि इंदौर में जनवरी से फरवरी तक 5 से 6 हज़ार लोग विदेशों से आए। अगर इनकी स्क्रीनिंग ठीक से की जाती और इन्हें क्वारन्टीन किया जाता तो इंदौर में कोरोना के इतने मरीज नहीं निकलते...

इंदौर से दीपक असीम की रिपोर्ट

जन्जवारः इंदौर के कलेक्टर मनीष सिंह ने शहर में भारी तादाद में कोरोना पेशेंट मिलने की वजह का खुलासा किया है। उन्होंने कोरोना बीमारी की वजह को हिंदू मुसलमान से न जोड़ते हुए कहा कि इंदौर में जनवरी से फरवरी तक 5 से 6 हज़ार लोग विदेशों से आए। अगर इनकी स्क्रीनिंग ठीक से की जाती और इन्हें क्वारन्टीन किया जाता तो इंदौर में कोरोना के इतने मरीज नहीं निकलते।

उन्होंने कहा कि इंदौर में कोरोना एयरपोर्ट के माध्यम से आया है। उन्होंने हिंदू मुस्लिम की बात नहीं की और कोरोना को विदेश यात्रा करने वालों से जोड़ा। उन्होंने कहा कि इसकी जांच भी हम बाद में करेंगे।

उनके इस बयान को इंदौर में सोशल मीडिया पर बहुत महत्व दिया जा रहा है। उनके इस बयान से सांप्रदायिक एजेंडा सेट करने वालों की बोलती बंद है।

याद रहे कि मध्यप्रदेश में इंदौर दक्षिणपंथी राजनीति का केंद्र है। यहां पिछले कई दशकों से लोकसभा चुनाव बीजेपी जीतती आ रही है। विधानसभाओं में भी बीजेपी का ही वर्चस्व रहता है और नगर निकाय के चुनाव में भी बीजेपी ही जीतती है।

कोरोना को लेकर जब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने तबलीगी जमात को जिम्मेदार बताया तो इंदौर में भी मुस्लिम विरोधी अभियान शुरू हो गया। आसपास के कई गांवों में मुस्लिम व्यापारियों के खिलाफ बैनर लग गए। सब्जी वालों से नाम पूछा जाने लगा और उनसे आधार कार्ड भी मांगा गया। लॉक डाउन में अस्पताल वालों ने मुसलमानों का इलाज करने से मना कर दिया।

कलेक्टर मनीष सिंह को इंदौर में बहुत पसंद किया जा रहा है। वह निष्पक्ष होकर बहुत सख्ती से लॉक डाउन का पालन करा रहे हैं।

स्वच्छता में इंदौर को नंबर वन बनाने में उनकी बहुत मेहनत रही है। फिलहाल उनका जोर इंदौर में ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग पर है। देश के अन्य कई शहरों के मुकाबले इंदौर में टेस्टिंग ज्यादा हो रही हैं। उनकी रणनीति अब काम करती दिख रही है। अब यहां कोरोनावायरस से संक्रमित लोग कम मिल रहे हैं।

इंदौर के नागरिकों को भी उनके द्वारा किए जा रहे कामों में पूरा विश्वास है और उन्हें आम जनता का पूरा सहयोग मिल रहा है। कोरोना के प्रसार में विदेश यात्रा को जिम्मेदार बताकर उन्होंने शहर के उन अल्पसंख्यकों को राहत दी है जो लगातार कोरोना फैलाने के दोषी करार दिए जा रहे थे।

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