Begin typing your search above and press return to search.
विमर्श

कोरोना महामारी से जनता का जीवन संकट में, लेकिन दुनिया भर के सत्ताधारी-पूंजीपति काट रहे हैं चांदी

Prema Negi
5 April 2020 5:00 PM IST
कोरोना महामारी से जनता का जीवन संकट में, लेकिन दुनिया भर के सत्ताधारी-पूंजीपति काट रहे हैं चांदी
x

किसान विकास पत्र और पीपीएफ जैसी गरीब और मध्‍यम वर्ग की छोटी बचतों पर भी ब्‍याज दर 0.8 से लेकर 1.1 तक घटा दी गई हैं। यह आम आदमी को पड़ने वाली कोरोना काल की बड़ी चोट साबित होगी...

पत्रकार योगिता यादव का विश्लेषण

कोरोना काल के सबसे बड़े हीरो निकले हंगरी के प्रधानमंत्री विक्‍टर ऑर्बन, जिन्‍होंने इस आपदा काल में अपने देश से लोकतंत्र ही समाप्‍त करवा दिया। न न, आप उन पर उंगली नहीं उठा सकते। यह फैसला तो हंगरी की संसद ने बहुमत से किया है। वैसे ही जैसे हमारे यहां मेजे थप—थपाकर सीएए का अभिनंदन किया गया।

दुख और विपदा के भी अपने अवसर होते हैं। पर जैसे हराम की कमाई सबको नहीं फलती, उसी तरह आपदा के अवसर भी बहुत कम लोग ही भुना पाते हैं। इस विपदा काल के सबसे बड़े हीरो निकले हंगरी के प्रधानमंत्री विक्‍टर ऑर्बन। विक्‍टर ऑर्बन ने कोरोना के संकट का इस्‍तेमाल अपने देश में से लोकतंत्र को समाप्‍त करने में किया है।

भारतीय सेना के पास एक ब्रह्मास्त्र है, जिसे अफस्‍पा के नाम से जाना जाता है। अफस्पा यानी आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पॉवर एक्ट। यह अशांत घोषित क्षेत्रों में कानून व्‍यवस्‍था बनाए रखने के लिए सेना को दिया जाता है। इसके इस्तेमाल में वह कहीं भी तलाशी ले सकते हैं, गिरफ्तारी कर सकते हैं, बल प्रयोग कर सकते हैं। कुन्नी पोशपोरा को याद करें तो इसके सहारे कुछ भी किया जा सकता है। कोरोना कुछ लोगों के लिए अफस्पा ही बन गया है। जिसका इस्तेमाल अब वे अपनी-अपनी तरह से कर रहे हैं।

वायरस की अगर कोई शक्‍ल होती तो अब तक कोरोना ढाई गज का घूंघट ओढ़ लेता। वह जितना खतरनाक है, अवसरवादियों ने उसका, उससे भी अधिक वीभत्‍स इस्‍तेमाल किया है। धर्म, अर्थ, सत्‍ता और प्रचारक सभी अपने-अपने अंदाज में इस हाथ आए अवसर का इस्‍तेमाल कर रहे हैं।

30 मार्च को एक सर्कुलर जारी कर एक बड़े अखबार ने अपने कर्मचारियों की तनख्‍वाह में 40 फीसदी तक की कटौती की घोषणा कर दी। अभी यह शुरूआत है, कोई बड़ी बात नहीं कि अन्‍य समूह इस राह पर उसके फॉलोअर्स बन सकते हैं। इस समय धन जुटाने का समय है, तो जिनकी गांठ में जितना दबा है, वे उसे भी दबाए रखना चाहते हैं। इसकी शुरूआत हमेशा शीर्ष से होती है।

जैसे प्रधानमंत्री राहत कोष में 3800 करोड़ रुपये आराम फरमा रहे हैं। इसके बावजूद उन्‍होंने जनता के सामने झोली फैला दी। भारतीय जनमानस धैर्य और दानवृत्ति का धनी है, सो यह उनके लिए भी एक अवसर है जो दान कर पुण्‍य कमा सकते हैं। 22 मार्च की शाम पांच बजे की शंख, घंटियों और थाली ध्‍वनि के साथ इस धैर्य और त्‍याग काल का प्रारंभ हुआ। नवरात्र के पावन अवसर में आप कन्‍या पूजन, जगराता पार्टी और कीर्तन में जो पैसा खर्च करते हैं उसे महामारी के समय में दान कर सकते हैं। इसमें कोई बुराई भी नहीं है। बुरे वक्‍त में सभी को एक-दूसरे के काम आना चाहिए।

र सब लोग इतने दरिया दिल नहीं होते। बैंक तो कतई नहीं। बैंकों में छोटी बचत पर मिलने वाले ब्‍याज की दर में कटौती कर दी गई है। किसान विकास पत्र और पीपीएफ जैसी गरीब और मध्‍यम वर्ग की छोटी बचतों पर भी ब्‍याज दर 0.8 से लेकर 1.1 तक घटा दी गई हैं। यह आम आदमी को पड़ने वाली कोरोना काल की बड़ी चोट साबित होगी।

पिछले तीन महीने में ही अमेरिका में बेरोजगारों की संख्‍या डबल हो गई है। वहां बेकारों की संख्‍या 1.64 मिलियन से बढ़कर 3.28 मिलियन हो गई। भारतीय कंपनियां भी बेरोजगारी की इस अमेरिकी रफ्तार को फॉलो करने से चूकेंगी नहीं। जबकि चीन ने बदले हुए माहौल में खुद को स्‍वास्‍थ्‍य उपकरणों का प्रमुख निर्यातक देश बना दिया है।

मास्‍क से लेकर वेंटिलेटर तक सभी उपकरण चीन से मंगवाए जा रहे हैं। अमेरिका ने चीन से वेंटिलेटर मंगवाए हैं तो भारत भी अब तक चीन से 10 हजार प्रोटेक्‍शन किट मंगवा चुका है। प्रोटेक्‍शन किट लोगों में कब बंटेंगी नहीं पता, फि‍लहाल तो लोगो में ‘मोदी किट’ बंट रही है। यह किट बंट रही है पलायन कर रहे मजदूरों के नाम पर, लेकिन ये एनएच 24 तक नहीं पहुंच पाईं। लॉकडाउन के बीच रास्‍ता भटक कर फि‍र फि‍र वहीं जा रही हैं, जहां अंधे के रेवडि़यां गईं थीं।

से भक्ति का पराकाष्‍ठा काल भी कहा जा सकता है कि मरकज के बहाने एक साथ इतने लोग मिल गए कि कई दिनों तक कई बुलेटिन इनके नाम पर चलाए जा सकते हैं। तबलीगी जमात की मरकज के साथ ही बहुत से लोगों को वो मिल गया जो उनकी आत्‍मा की खुराक है। माने जिसके बिना उनका दिन तो गुजर जाता है पर आत्‍मा से इंसाफ नहीं हो पाता। लाचार, बीमार, सेनिटाइजर देखते दिखाते बोर हो चुके लोगों को जैसे एक साथ खबरों की पिटारी मिल गई और उन्‍होंने क्रां‍ति‍ का बिगुल फूंक दिया।

निजामुद्दीन की तबलीगी मरकज से लोगों को निकालने का अभियान 36 घंटे चला, जो 1 अप्रैल को सुबह साढ़े चार बजे जाकर खत्‍म हुआ। बस दिन के पहले बुलेटिन से ही न्‍यूज चैनलों पर फास्‍ट ट्रैक अदालतें लग गईं। लग रहा था शाम होते होते अगर मौलाना साद पकड़ा गया तो उसे फांसी किसी न किसी न्‍यूज चैनल के स्‍टूडियो में ही होगी।

पदाएं व्यक्ति के तौर पर ही नहीं राष्ट्र के तौर पर भी आपके चरित्र का परीक्षण करती हैं। इसमें आप वैसे ही सा‍बि‍त होते हैं, जैसा वास्तव में आपका चरित्र है। चीन ने कोरोना से बचने के लिए लोगों को जबरन घर में लॉकडाउन किया। उसका यह मॉडल कारगर साबित हुआ और ज्यादातर देशों ने कोरोना से मुकाबला करने में इसका इस्तेमाल करने का फैसला किया।

पर हंगरी में कोरोना से निपटने के लिए लोकतंत्र को ही दांव पर लगा दिया गया। 30 मार्च को हंगरी की संसद में ऑथोराइजेशन एक्‍ट पास कर दिया गया। जिसके तहत फि‍डेज नेता और हंगरी के प्रधानमंत्री विक्‍टर ऑर्बन को कोरोना महामारी से निपटने के लिए अति‍रिक्‍त शक्तियां दी गईं हैं।

भी कुछ दिन पहले ही हंगरी में न्‍यू स्‍कूल करिकुलम लागू किया गया है, जिसमें कुछ नए लेखकों को शामिल करने के साथ ही हंगरी का इतिहास दोबारा लिखे जाने की जरूरत भी महसूस की गई है। इसे हंगरी के राष्‍ट्रीय गौरव से जोड़ कर देखा जा रहा है।

स्‍कूल तो अभी वहां बंद हैं पर बुद्धि‍जीवी नई शिक्षा नीति की खूब आलोचना कर रहे हैं। अब विक्‍टर ऑर्बन के पास अनंतकाल तक सत्‍ता में बने रहने का अधिकार भी मिल गया है। आप समझ सकते हैं कि राष्‍ट्रीय गौरव किस दिशा मुड़ रहा है। चिंता बस इतनी सी है कि मध्‍य यूरोप के अमीर देश के इस मॉडल पर कहीं हमारे गरीब देश के चौकीदारों की नजर न पड़ जाए।

Next Story