हैलट अस्पताल में कानपुर समेत 10 से 12 आसपास के जिलों से लोग अपना इलाज कराने आते हैं। यहां इलाज कराने पहुंचे लोगों को अभी तक दूसरे रोगों से ही निजात मिल नहीं रहा है, स्वास्थ्य सुविधाएं बेहाल हैं, ऊपर से लोगों कोरोना वायरस का डर भी सताने लगा है...
कानपुर से मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार। खांसती हुई रिंगटोनों को सुन-सुनकर इन दिनों आम आदमी पहले ही दहशत में जी रहा है। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना को महामारी घोषित करते हुए आगामी 22 मार्च तक प्रदेश के सभी स्कूलों को बंद करने की घोषणा जारी कर दी है। तो कई लोग सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों पर तरह-तरह का ज्ञान कोरोना वायरस को लेकर उड़ेल रहे हैं।
कोरोना को लेकर कानपुर के हैलट अस्पताल में कोई खास एहतियात अभी तक बरती गई हो या न हों। सच इसके इतर ये है। लोगों को अभी तक दूसरे रोगों से ही निजात मिल नहीं रही, ऊपर से लोग कोरोना को सरकारी खौफ मानकर चल रहे हैं।
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कानपुर के इस हैलट अस्पताल में दूर-दूर से आने वाले मरीजों की तमाम समस्याएं हैं। हमीरपुर से अपना इलाज कराने आई सुमति बाजपेयी का कहना है कि वो पिछले एक महीने से यहां अपना इलाज करवा रहीं हैं। वो गरीब हैं जैसे-तैसे पैसे जोड़कर इलाज के लिए आईं हैं, लेकिन यहां ना तो ठीक से इलाज मिल रहा है और ना ही डॉक्टर अच्छे से पेश आते हैं। और उन्हें अब अंदर की बजाय बाहर निकालकर धूप में बिठा दिया गया है। कुछ ऐसी ही बात छोटू कहता है। छोटू का कहना है कि उनके टूटे पैर को ठीक से इलाज नहीं मिल पा रहा है।
अस्पताल के सीएमओ कोरोना को लेकर मीटिंग में व्यस्त थे। हमने उनके मीटिंग रूम में ही जाकर उनसे बात की। पहले तो वो कुछ भी बोलने बताने की हालत में नहीं थे लेकिन जोर देने पर कोरोना पर ही बोले कि कोरोना के अभी कोई मरीज कानपुर में नहीं आये हैं। हमने कहा कि न्यूजपेपर वाले बता रहे हैं कि 12 से 13 मरीज कोरोना के कानपुर में हैं तो सीएमओ साहब बोले नहीं ऐसा नहीं है वो गलत प्रकाशित कर रहे हैं।
हैलट अस्पताल की बदहालियों पर हमने वरिष्ठ पत्रकार जगदीप अवस्थी से बात की। जगदीप पिछले कई वर्षों से मेडिकल बीट और हैलट को लेकर आवाज उठाते रहे हैं। कतार से जमीन पर लेटे बैठे मरीजों को दिखाते हुए जगदीप कहते हैं कि यहां की अव्यवस्थाओं को देखने के लिए सबसे पहले आप मेरे पीछे देखिये। यहां बिल्डिंगों पर बिल्डिंगें बनती जा रही हैं लेकिन मरीजों और तीमारदारों के बैठने के लिए कोई सुविधा नहीं करवाई गई है।
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आपको बताते चलें कि इस हैलट अस्पताल में कानपुर समेत 10 से 12 आसपास के जिलों से लोग अपना इलाज कराने आते हैं। कानपुर देहात, फर्रूखाबाद, कन्नौज, हमीरपुर, घाटमपुर, उन्नाव, महोबा, औरैया, उरई, जालौन, सहित और भी अन्य जिलों के लोग कानपुर के इस बड़े और सरकारी अस्पताल पर आंख बंद करके भरोसा जताते हैं।
लेकिन यहां के हालात हैं जो सिस्टम के आगे दम तोड़ते नजर आते हैं। कोरोना वायरस आए न आए। कोई कोरोना से मरे या ना मरे, लेकिन सरकारी तंत्र खूब इसका डर बिठा रहा है। लेकिन जो पहले से ही तमाम रोगों में घिरे हैं उसका ही इलाज नहीं मिल रहा तो कोरोना तो दूर का रोना है।