दलित दूल्हा चढ़ा घोड़ी तो गुजरात में गुस्साए सवर्णों ने बारात को रोका घंटों
कहा घोड़ा है शूरवीरों की शान दलित नहीं कर सकता है इस पर सवारी, मोदी जी के गुजरात में बन रहा दलित उत्पीड़न का कीर्तिमान, थोड़े दिन पहले ही एक दलित लड़के की निर्ममता से पिटाई का वीडियो हुआ था वायरल
अहमदाबाद। बराबरी का समाज निर्मित करने का दावा करने वाली मोदी सरकार दलित उत्पीड़न पर कितनी सीरियस है इसका पता उन घटनाओं से ही लग जाता है जिन पर लगाम नहीं लग पा रही है। उल्टा जितनी बड़ी तादाद में यह घटित हो रही हैं उससे लगता है जैसे सरकार की ऐसी घटनाओं को अघोषित शह है। अगर ऐसा नहीं होता तो सरकार क्यों नहीं कोई ऐसा कानून लाती जिससे दलित उत्पीड़न की घटनाओं पर रोक लग सके।
हालिया मामला मोदी के गृहराज्य गुजरात का है, जहां एक दलित लड़के प्रशांत सोलंकी की बारात को इसलिए रोककर रखा गया क्योंकि दलित दूल्हा घोड़े पर चढ़कर जा रहा था। सवर्णों को इस बात की आपत्ति थी कि दलित लड़का घोड़ी कैसे चढ़ सकता है, इसी बात पर घंटों तक बारात रोकी रखी गई। समय से पुलिस के हस्तक्षेप से मामला शांत हुआ और एक हिंसक घटना होने से टल गई।
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक कल रविवार 17 जून को गुजरात स्थित गांधीनगर के मनसा तालुका के परसा गांव में जाति के कुछ लोगों ने दलित दूल्हे प्रशांत सोलंकी के घोड़ी पर सवार होने को मुद्दा बनाते हुए बारात को आगे नहीं बढ़ने दिया। प्रशांत सोलंकी की बारात मेहसाना से परसा गांव के लिए रवाना हुई थी, जहां वह वर्षा परमार से शादी करने के लिए बारात लेकर निकले थे।
एक डेरी प्लांट में काम करने वाले दलित दूल्हे प्रशांत सोलंकी के चचेरे भाई विपुल सोलंकी के मुताबिक परसा गांव के पास तक कार से जाने के बाद तय किया गया था कि दूल्हा गांव तक घोड़ी पर सवार होकर जाएगा। मगर जैसे ही हम वहां पहुंचे गांव के उच्च जाति के दरबार समुदाय के 10—15 लोगों ने हमें धमकाया कि दलित घोड़ी पर नहीं बैठ सकता, इसलिए वह पैदल जाए। साथ ही यह भी कहा कि घोड़े की सवारी सिर्फ शूरवीरों के लिए होती है, दलितों के लिए नहीं।
बाद में जब किसी ने पुलिस ने शिकायत दर्ज की तो पुलिस ने मामले को संभाला। जांच के बाद पुलिस ने बताया कि ‘परसा गांव के कुछ सवर्ण लोगों ने दलित दूल्हे प्रशांत सोलंकी को घोड़ी पर नहीं चढ़ने दिया। बाद में पुलिस उपाधीक्षक के नेतृत्व में स्थानीय पुलिस, स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप और अपराध शाखा के कर्मियों की टीम मौके पर पहुंची और हालात को काबू में किया। जब पुलिस टीम मौके पर पहुंची तो बारात को रोक रहे लोग वहां से भाग खड़े हुए और पुलिस सुरक्षा में बारात रवाना हुई। पुलिस तक तक वहां मौजूद रही जब तक शादी के सारे कार्य संपन्न नहीं हो गए।
अगर समय पर पुलिस मामले में हस्तक्षेप नहीं करती तो यह घटना हिंसा का रूप ले सकती थी। बावजूद इसके पुलिस सुरक्षा में ही बारात को रवाना किया गया ताकि उच्च जाति के लोग कोई बवाल खड़ा न करें। प्रशांत सोलंकी की तरफ से भी हालांकि मामला शांतिपूर्वक निपट जाने के चलते कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई गई।
गौरतलब है कि पिछले दिनों हरियाणा के भूस्थाला गांव में इसी तरह का एक मामला समाने आया था। वहां ऊंची जाति के कुछ लोगों ने एक दलित दूल्हे को घोड़ा बग्गी पर चढ़ने से रोक दिया था और बारातियों और मामले की जांच करने पहुंची पुलिस दल पर पथराव किया था।
इस मामले में कुरुक्षेत्र के पुलिस अधीक्षक सिमरदीप सिंह ने मीडिया को बताया कि 'ऊंची जाति के लोगों ने कुरुक्षेत्र के भूस्थाला गांव में एक दलित दूल्हे को घोड़ा बग्गी पर चढ़ने से रोक दिया था, जिससे दलितों और ऊंची जाति के लोगों के बीच तनाव हुआ।' मसले को हल करने के लिए मौके पर पुलिस पहुंची तो सवर्णों ने उस पर भी जमकर पथराव किया।
पुलिस ने शुरुआती जांच के बाद बताया कि ऊंची जाति के लोग नहीं चाहते थे कि दलित दूल्हा उस मंदिर में जाए, जहां ऊंची जाति के लोग अक्सर घोड़े पर जाते हैं। वे इस बात पर अड़े हुए थे कि दलित दूल्हा पैदल गांव के रविदास मंदिर जाए।
इससे पहले भी दलितों के मंदिर में प्रवेश और दलित दूल्हे के घोड़ी पर चढ़ने को लेकर तमाम हिंसक घटनाएं होती रहती हैं, मानो मंदिर और घोड़ी पर बैठने का सर्वाधिकार उच्च जाति के लिए ही सुरक्षित हो।