दलित मसलों को लेकर सक्रिय रहीं रजनी तिलक उन चंद चर्चित नामों में हैं जिन्होंने आजीवन समझौता विहीन संघर्ष किया, दलितों के लिए उनका किया संघर्ष रेखांकित किए जाने योग्य है
जनज्वार, दिल्ली। दलित लेखक संघ की अध्यक्ष रहीं रजनी तिलक का दिल्ली के सेंट स्टीफंस अस्पताल में थोड़ी देर पहले निधन हो गया। वह सेट स्टीफंस के आईसीयू वार्ड पर वेन्टीलेटर पर भर्ती थीं। उनकी अंत्येष्टि कल 31 मार्च को दिन में 11.30 बजे निगम बोध घाट पर होगी।
चर्चित हिंदी लेखक कंवल भारती ने रजनी तिलक के निधन की सूचना फेसबुक पर दी। उन्होंने लिखा, 'बुरी खबर है कि सामाजिक कार्यकर्ता और लेखिका रजनी तिलक नहीं रहीं।'
इस जानकारी से कुछ ही घंटे पहले साहित्यकार जय प्रकाश कर्दम ने बताया था कि रजनी तिलक सेंट स्टीफंस अस्पताल में आईसीयू में वेन्टीलेशन यानी कृत्रिम सांस पर हैं| सन 1978 से रजनी से मेरी मित्रता है| तब से हम निरंतर साहित्यिक एवं सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहे हैं| कई बार बहुत से मुद्दों पर झगड़े भी हैं| उनको आज वेन्टीलेशन पर देखना बहुत दुखद लगा| जीवन भर एक जुझारू इंसान रही रजनी आज मृत्यु से जूझ रही है| कामना है कि जीवन की इस जंग को भी वह जीत लेंगी|
बाद में कर्दम ने रजनी तिलक को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि रजनी तुमने धोखा दिया| बहुत से मुद्दों पर अभी हमारी लड़ाई बाकी थी| तुम्हारी कमी हमेशा महसूस होगी|
रजनी तिलक सामाजिक—राजनीतिक मसलों के साथ कविताएं भी लिखती थीं। उनकी कविता की किताब 'अनकही कहानियां' को काफी लोगों ने सराहा था। रजनी की अपनी आत्मकथा 'अपनी जीमं अपना आसमां' भी प्रकाशित हुआ था। उन्होंने लेखन को हमेशा ही सामाजिक सक्रियता का एक हिस्सा माना, जिसके लिए वह सड़कों पर आजीवन संघर्षरत रहीं।