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शिक्षा

डीयू मैथ विभाग के धरनारत छात्रों को हिंसक तरीके से उठाया पुलिस ने, विरोध में सामूहिक रिजाइन करेंगे छात्र

Prema Negi
15 March 2019 5:33 AM GMT
डीयू मैथ विभाग के धरनारत छात्रों को हिंसक तरीके से उठाया पुलिस ने, विरोध में सामूहिक रिजाइन करेंगे छात्र
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आंदोलनरत छात्रों ने जैसे ही वीसी आवास का गेट के भीतर घुसने की कोशिश की, वहां मौजूद पुलिस बल उन पर बर्बरतापूर्वक हमला कर दिया, विरोध करने पर महिला कांस्टेबल ने एक लड़की को जड़ दिए तमाचे और मरोड़ी कलाइयां....

सुशील मानव की रिपोर्ट

जनज्वार। कल 14 मार्च की रात 10 बजे जब डीयू मैथ विभाग के सारे विद्यार्थी जोकि अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत है। और धरने पर बैठे हैं, मीटिंग कर रहे थे तभी पुलिस प्रशासन अचानक लगभग 100 पुलिस वालों के साथ पहुंचा और एक छात्र रविन्द्र को जबरदस्ती उठाने का प्रयास किया।

इस दौरान पुलिस बल ने उपस्थित विद्यार्थियों से हाथापाई की, छात्राओं से मारपीट की। मैथ विभाग में अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से धरना दे रहे छात्र-छात्राओं को डराने और दबाव बनाने को के उद्देश्य से कल 14 मार्च की शाम मॉरिसनगर थाने की पुलिस कई छात्रों को जबर्दस्ती गिरफ्तार करके थाने ले गई।

गौरतलब है कि एक छात्र रवीन्द्र भूख हड़ताल पर बैठे थे। उनका हेल्थ चेकअप कराने के लिए पुलिस ने रवीन्द्र को मैथ डिपार्टमेंट से उठाकर वैन में बिठाया, विरोध करने पर छात्रों के साथ हाथापाई की और चार छात्रों को और पकड़कर वैन बिठा दिया। छात्राओं के साथ भी बुरा सलूक किया गया। महिला कांस्टेबल ने गालियां देते हुए छात्राओं को ‘नंगे लोग’ कहा। bsCEM अध्यक्ष राजवीर पर शक्ति प्रदर्शन के दौरान उनके साथ पुलिस ने ज्यादती की। वहीं DSU के सदस्य प्रबल और SFI के सुमित, अनिल और नोएल पर पुलिस ने हाथापाई और उनके साथ अभद्रता की और घसीट कर मॉरिस नगर थाने ले जाया गया।

14 मार्च को दोपहर में मैथ विभाग के अनशनरत छात्र-छात्राओं ने कैंपस में एक पब्लिक मीटिंग बुलाई थी, जिसमें दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर एसोसिएशन (डूटा) के कई अध्यापकों को बतौर वक्ता बुलाया गया था। इसमें विश्वविद्यालय के अध्यापक, गणित विभाग के अलावा भौतिकी, रसायन, इंग्लिश, इतिहास विभाग के विद्यार्थियों ने सामूहिक रूप से इस समस्या पर विचार किया और अपनी समस्या को रखा जो पूरी तरीके से प्रशासनिक स्तर की है। लेकिन कल सुबह से ही दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर में भारी पुलिस बल लगाकर उसे छावनी में तब्दील कर दिया गया। दिल्ली विश्वविद्यालय के मैथ विभाग के छात्र-छात्राएं लगातार एक महीने से धरने पर बैठे हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय के गणित विभाग में लगातार एक महीने से विद्यार्थी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। विभाग में पोस्ट ग्रेजुएट के दूसरे साल के लगभग 88% छात्र को फेल कर दिया गया है। लगातार धरना प्रदर्शन के बाद 9 मार्च को गणित विभाग के रविन्द्र ने लोकतांत्रिक प्रतिरोध का प्रदर्शन करते हुए अनिश्चितकालीन हड़ताल को प्रारम्भ किया।

इसी क्रम में 12 मार्च को कई विभागों के छात्र-छात्राओं और छात्र संगठनों ने एकजुट होकर गेट नंबर एक के नजदीक स्थित वीसी आवास का घेराव और विरोध प्रदर्शन किया था। इसमें करीब 50-60 स्टूडेंट शामिल थे। लेकिन डीयू प्रशासन की ओर से कोई भी व्यक्ति छात्रों से मिलने नहीं आया। इस दौरान भी पुलिस बल लगातार मौजूद रहा। जैसे ही छात्रों ने वीसी आवास का गेट के भीतर घुसने की कोशिश की, वहां मौजूद पुलिस बल ने बर्बरतापूर्वक हमला कर दिया।

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इसका विरोध करने पर उस महिला कांस्टेबल ने एक लड़की को तमाचे मारे और उसकी कलाइयां भी मरोड़ी। परीक्षा विभाग के डीन ने बाद में एक मीटिंग बुलाई, लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला। डीन ने अपने हाथ खड़े करते हुए कहा कि उनके हाथ में कुछ भी नहीं है और वो इस मामले में कुछ नहीं कर सकते। इसके बाद विरोध मार्च करते हुए छात्र वापिस मैथ विभाग की ओर लौटे तो सुरक्षा गार्ड ने अपने बल का इस्तेमाल करके उन्हें विभाग में घुसने नहीं दिया। बाद में बहुत जद्दोजदह के बाद छात्र किसी तरह विभाग में घुसने में कामयाब रहे।

धरनारत छात्र-छात्राओं का आरोप है कि उन्हें जान बूझकर फेल कर दिया जाता है। द्वितीय वर्ष की छात्रा नेहा बताती हैं कि MSc फर्स्ट ईयर में ‘मेजर एंड इंटिग्रेशन थियरी’ में 150 छात्र फेल हैं, जबकि ‘फिल थियरी’ के पेपर में भी 150 छात्र फेल हैं।

डीयू में एमएससी के लिए 300 सीटें हैं। पिछले साल 300 छात्रों ने एडमिशन लिया था, लेकिन उनमें से सिर्फ 192 छात्र ही पास होकर सेकंड ईयर में पहुँचे। सामान्यत: दो साल की कोर्स अवधि के बाद सिर्फ 20 प्रतिशत बच्चे ही पास हो पाते हैं जबकि 80 प्रतिशत बच्चे फेल हो जाते हैं।

धरनारत छात्र शिकायती लहजे में कहते हैं, यहां एडमिशन लेने वाले बच्चे अच्छी यूनिवर्सिटी कॉलेज के टॉपर होते हैं और यहां भी प्रवेश परीक्षा पास करके ही दाखिला लेते हैं। उन पर ये आरोप लगाकार मामले को नहीं टाला जा सकता कि बच्चे पढ़ते ही नहीं हैं, इसलिए फेल होते हैं। कई बच्चों को 70 में से 3 नंबर मिलते हैं और वो जब इवैलुएशन के लिए जाते हैं तो 3 को 30 में बदलकर उन्हें पास कर दिया जाता है। जब हम छात्र फेल हैं तो इवैलुएशन के बाद वो कैसे पास हो जाता है। उसे पासिंग मार्क्स ही क्यों दिया जाता है, जबकि इवैलुएशन के लिए 1000 रुपए फीस भी छात्रों से वसूली जाती है।

कई छात्रों को पेपर में परीक्षा देने के बावजूद रिजल्ट में उन्हें चारों पेपर में अनुपस्थित दिखा दिया जाता है। ऐसा ही आरोप कई और छात्रों का भी है।

क्या है धरने पर बैठे छात्रों की मांग

छात्रों के उत्तर पुस्तिका को मुफ्त और पारदर्शी तौर पर रिचेक करने के लिए 15 दिन के अंदर एक स्वतंत्र जांच कमेटी का गठन किया जाए और हर एक छात्र को उसकी उत्तर पुस्तिका दिखाई जाए। हर छात्र को उसकी उत्तर पुस्तिका दिखाई जाए, चाहे वो इंटरनल परीक्षा हो, हाउस परीक्षा हो या सेमेस्टर परीक्षा हो।

ऑप्शनल सब्जेक्ट छात्र को उसकी निजी चुनाव या पसंद के आधार पर दिया जाए। मार्क्स के आधार पर नहीं। यह डीयू के पोलिटिकल साइंस और पोलिटिकल डिपार्टमेंट में लागू है। जांच कमेटी में जो दोषी पाए जाएं एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा उनके खिलाफ़ सख्त कार्रवाई की जाए।

जिन छात्रों के बैकलॉग आये उनकी पुनर्परीक्षा हर सेमेस्टर परीक्षा के दो महीने के अंदर संपन्न करवाई जाए। हर महीने छात्रों को शिक्षकों का फीडबैक फार्म भरने की अवसर दिया जाए, ताकि शिक्षक और छात्रों के संबंध में पारदर्शी बने रहें।

आज सामूहिक रूप से पढ़ाई छोड़ेंगे कई विद्यार्थी

इस हिंसक कृत्य के बाद गणित विभाग के छात्रों ने सामूहिक रूप से नामांकन वापस लेने (डीयू से पढ़ाई छोड़ने) का निर्णय लिया है तथा अपने मांग को और व्यापक स्तर पर लाने का निर्णय लिया है। छात्रों का कहना है कि हमारी लोकतांत्रिक स्वतंत्रता का कैंपस में जिस तरह से मज़ाक उड़ाया गया है और मानवीय मूल्यों का दमन किया गया है वह यह दर्शाता है कि डीयू कैंपस में छात्रों के लिए कितना कम स्थान है। पुलिसिया दमन के खिलाफ आज छात्र दोपहर 1.30 बजे मैथ्स छात्र डीयू के गेट न. 4 पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

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