Begin typing your search above and press return to search.
शिक्षा

प्रधानमंत्री राहत कोष से मदद मिली नहीं, बैंक वाले कर्ज लौटाने के लिए डाल रहे थे दबाव, इसलिए बीआईटी के छात्र ने दी जान

Nirmal kant
4 Dec 2019 7:58 AM GMT
प्रधानमंत्री राहत कोष से मदद मिली नहीं, बैंक वाले कर्ज लौटाने के लिए डाल रहे थे दबाव, इसलिए बीआईटी के छात्र ने दी जान
x

रांची के अनिल कुमार ने बेटे की पढ़ाई के लिए बैंक से लिया था साढ़े सात लाख रुपये का लोन, बैंक से लोन चुकाने के लिए लगातार आ रहे थे फोन, बेटा शशिकांत सिन्हा ने की आत्महत्या..

जनज्वार, रांची। अनिल कुमार ने एसबीआई के दीपाटोली ब्रांच से 7.50 लाख लोन लिया था। अनिल कुमार अपने बेटे शशिकांत सिन्हा को बीआईटी (बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी) से आईटी की पढ़ाई करवा रहे थे। इसकी फीस बहुत अधिक है। कमाई अधिक ना होने के कारण शिक्षा के लिए लोन लिया ताकि बेटे को आईटी की पढ़ाई करवा सके लेकिन लोन को सही समय पर अनिल कुमार चुका नहीं पाये। इस कारण ब्याज के साथ मूलधन की राशि बढ़ कर दस लाख हो गई।

कुछ समय बाद लोन की राशि रिकवर करने के लिये अनिल का बैंक अकांउट सील हो गया। घर में पैसों की कमी के कारण कलह होना शुरु हो गया। दूसरी तरफ बैंक से लगातार लोन चुकाने के लिय फोन कॉल और मैसेज आ रहे थे। इस घटना के बारे में जब शशिकांत को पता चला तो वो सदमे में चला गया। हर समय परेशान रहता था कि इतनी बड़ी रकम पिता जी कहां से लाएंगे। उसने प्रधानमंत्री राहत कोष से मदद के लिये मेल भी किया लेकिन कोई मदद नहीं मिली। आखिर में जीवन से हार मानकर रांची के बड़ा तालाब में कूदकर आत्महत्या कर ली।

संबंधित खबर : महाराष्ट्र - कर्ज चुकाने के लिए नोटिस दे रहे हैं बैंक, आठ किसानों ने आत्महत्या की

पिता अनिल कुमार नम आंखों से कहते हैं, 'मेरा बेटा शनिवार 30 नवंबर की शाम 6.15 को मेरे सामने घर से निकला लेकिन मुझे नहीं पता था कि वो लौटकर अब कभी नहीं आएगा। रविवार को उसका शव कोतवाली पुलिस ने औघड़ बाबा आश्रम की तरफ बड़ा तालाब से बरामद किया।' अनिल कुमार रांची के रातू रोड के अपर शिवपुरी में किराये के मकान में रहते हैं। मूलरूप से बिहार के नालंदा के रहने वाले हैं। चान्हों बीजूपाड़ा के समीप एक मिडिल स्कूल में बच्चों को पढाते हैं।

निल कुमार आगे कहते हैं, 'कोतवाली पुलिस द्वारा बड़ा तालाब से अज्ञात शव बरामद किए जाने और पोस्टमार्टम के लिए रिम्स भेजे जाने की खबर पढ़ी। उसके आधार पर उन्हें आशंका हुई कि हो सकता है कि वह शव शशिकांत का हो। उन्होंने कोतवाली पुलिस से संपर्क किया।

न्हें जो हुलिया बताया गया, उससे अनहोनी की आशंका और बढ़ गयी। अपनी पत्नी के साथ रिम्स पहुंचे। वहां उन्हें कहा गया कि कोतवाली पुलिस लिखकर देगी तो शव दिखाएंगे। प्रक्रिया पूरी करने में दो घंटे लगे। वे लोग रिम्स पहुंचे और शव देखा तो वह शशिकांत का ही था। फिर रिम्स से शव लेकर आए और हरमू स्थित मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार किया।

पिता अनिल सिन्हा ने बताया कि शशिकांत का सीआईपी से इलाज चल रहा था। दवा खाने के कारण उसे बहुत नींद आती थी। इस कारण उसका अटेंडेंस भी कम था और परीक्षा में बैक लग गया था। इसी कारण कैंपस सेलेक्शन भी नहीं हो पाया था। वह अपनी नौकरी से लोन चुकाना चाहता था। इस वर्ष उसका बैक क्लियर होने वाला था। उसके बाद उसकी नौकरी भी लग जाती लेकिन लगातार बैंक से फोन आने के कारण वह परेशान रहने लगा और आखिर मे जीवन से हार गया।

संबंधित खबर : फीस बढ़ोतरी के खिलाफ IIMC के छात्रों का भी आंदोलन शुरू, छात्र बोले शिक्षा अधिकार है विशेषाधिकार नहीं

न्होंने बताया, 'शशिकांत ने डॉन बास्को एकेडमी मैकलुस्कीगंज से केजी से लेकर दसवीं तक की पढ़ाई की थी। उसके बाद सेंट जेवियर्स कॉलेज रांची से 77.6 प्रतिशत अंक के साथ आईएससी की पढ़ाई की थी। उसके बाद तैयारी के लिए 2013 में कोटा चला गया। 2014 में मेरिट लिस्ट में नाम होने के कारण आइटी में एडमिशन मिल गया था। उसी समय एजुकेशन लोन भी लिया था।'

निल कुमार ने बताया, 'शशिकांत चार भाई बहनों में तीसरे नंबर पर था। बड़ा भाई शिवकांत सिन्हा बीएससी करने के बाद पटना में बैंकिंग की तैयारी कर रहा है जबकि उसकी बड़ी बहन सुमन कुमारी रिम्स के बीएससी नर्सिंग के थर्ड ईयर में है। सुमन के बाद शशिकांत था। छोटी बहन नेहा कुमारी बीएयू से बैचलर ऑफ फिशरी साइंस की पढ़ाई कर रही है। पत्नी सरिता सिन्हा हाउस वाइफ है।' बेटे को खोने के बाद अनिल कुमार टूट चुके हैं। परिवार को यकीन ही नहीं हो रहा है कि उनका बेटा अब उनके साथ नहीं है।

Next Story

विविध