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डॉक्टरों के लिए गरीब हुए मूली—गाजर, हर 3 मिनट में एक नसबंदी करके 101 का टारगेट किया पूरा
जिस हाल में महिलाएं बंध्याकरण ऑपरेशन के बाद भीषण ठंडी में बरामदे में पड़ीं थी, उसे देखकर कोई भी महिला बंध्याकरण वो भी सरकारी अस्पताल में कराने से तौबा कर लेगी...
पालोजोरी, देवघर। जी हां, यह कोई कहानी नहीं, बिल्कुल सच है। एक डॉक्टर साहिबा को अपना टारगेट पूरा करना था तो वह 101 महिलाओं की जान के साथ खेल गईं और पांच घंटे में परिवार नियोजन के तहत अपना टारगेट करने के चक्कर में 101 महिलाओं का बंध्याकरण कर दिया। कोई पुरुष इन बंध्याकरण आॅपरेशनों को करता तो समझा जा सकता था कि वह महिला की शारीरिक तकलीफों और संरचना को नहीं समझता, मगर यहां एक महिला ने ही महिलाओं के साथ ऐसा किया।
यह घटना है झारखंड के देवघर स्थित पालोजोरी स्वास्थ्य केंद्र का। यहां कार्यरत डॉक्टर आशा ने कल 7 फरवरी को परिवार नियोजन के लिए बंध्याकरण को पहुंची 101 महिलाओं का बंध्याकरण कर दिया। अगर इन महिलाओं में से किसी के साथ भी कोई अनहोनी होगी तो आखिर कौन होगा उसके लिए जिम्मेदार। आखिर एक डॉक्टर 3 मिनट में कैसे एक बंध्याकरण का आॅपरेशन कर सकता है।
प्रभात खबर में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक डॉ. आशा कल दिन में तकरीबन 12 बजे स्वास्थ्य केंद्र पहुंची और शाम को 5 बजे तक उन्होंने 101 महिलाओं की जान पर खेलकर उनका बंध्याकरण कर दिया।
यानी एक महिला को उन्होंने लगभग तीन मिनट का वक्त दिया बंध्याकरण करने के लिए, जबकि एक दिन में ज्यादा से ज्यादा कोई डॉक्टर बंध्याकरण के 10 से ज्यादा आॅपरेशन करने का रिस्क नहीं लेता है।
बंध्याकरण ऑपरेशन के बाद महिलाओं को भारी दुर्दशा का सामना करना पडा। जिस हाल में महिलाएं बंध्याकरण ऑपरेशन के बाद भीषण ठंडी में बरामदे में पड़ीं थी, उसे देखकर कोई भी महिला बंध्याकरण वो भी सरकारी अस्पताल में कराने से तौबा कर लेगी। चूंकि सीएचसी की क्षमता सिर्फ 30 बेडों की थी, इसलिए आॅपरेशन के बाद सभी महिलाओं को इस ठंडी में बरामदे में सुला दिया गया।
सरकारी स्वास्थ्य केंद्र से उन्हें ओढ़ने के लिए कंबल तक मुहैया नहीं कराए गए। गौरतलब है कि जब बंध्याकरण या अन्य किसी तरह का आॅपरेशन करवाया जाता है तो मरीज को संक्रमण से बचाने के लिए साफ—सुथरे स्थान पर रखा जाता है, मगर यहां महिलाओं को एक साथ सुला दिया गया, जिससे उनको संक्रमण का खतरा बना रहा। संक्रमण के खतरे के बीच इन महिलाओं ने रात गुजारी।
डॉ. साहिबा तो अपना टॉरगेट पूरा कर चलती बनीं, मगर इन 101 महिलाओं को आगे किस परिस्थिति से गुजरना पड़ेगा, इसके बारे में शायद उन्होंने सोचा भी नहीं होगा। आॅपरेशन के बाद इन महिलाओं को देखने के लिए मात्र एक डॉक्टर की ड्यूटी लगाई गई थी।
रात को ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक डॉ लियाकत अंसारी के मुताबिक इस सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में 30 बेड की ही क्षमता है। सरकारी निर्देशों के अनुसार सप्ताह में दो या तीन दिन शिविर लगाकर नियमित रूप से बंध्याकरण ऑपरेशन किये जाने का प्रावधान है, मगर इससे पहले लापरवाही बरती गई।
चूंकि सीएचसी बंध्याकरण ऑपरेशन के टारगेट में पीछे था, इसलिए जैसे-तैसे यह ऑपरेशन कर दिए गए, बिना यह सोचे कि इसका महिलाओं के स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ एनी एलिजाबेथ टुडू कहते हैं, सीएचसी का टारगेट पूरा नहीं हुआ था। लोगों के आग्रह पर ही 101 मरीजों का ऑपरेशन कराया गया है़। चूंकि पालोजोरी का टारगेट पूरा नहीं हुआ था, इसलिए इतने ज्यादा आॅपरेशन एक साथ किए गए। सीजन भी समाप्त हो रहा था, इसलिए भी बंध्याकरण करवाने वाली महिलाओं की संख्या काफी बढ़ गई थी। (प्रतीकात्मक फोटो)