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जनज्वार विशेष

'सर्फ एक्सेल' में हिंदू-मुस्लिम बहाना, असल मकसद रामदेव के लिए मार्केट कब्जाना

Prema Negi
12 March 2019 10:30 PM IST
सर्फ एक्सेल में हिंदू-मुस्लिम बहाना, असल मकसद रामदेव के लिए मार्केट कब्जाना
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रामदेव हिंदुत्व के एजेंडे की आंड़ में ‘#BoycottSurfExcel, #BoycottHULproducts, #surfexcel’ की मुहिम चलाकर भारतीय बाज़ार में प्रीमियम डिटर्जेंट सेग्मेंट में सर्फ एक्सेल के एकाधिकार को खत्म करके हथियाना चाहते हैं उसकी जगह...

सुशील मानव की रिपोर्ट

जनज्वार। बाबा रामदेव भारत में व्यापार के नरेंद्र मोदी हैं। अपने अनुयायियों को पतंजलि का उपभोक्ता बनाकर बाज़ार में कदम रखने वाले बाबा रामदेव ने अपने उत्पादों को बेचने के लिए शुरु से ही घृणा और आक्रामकता को अपना हथियार बनाया है। आज उनके अनुयायियों के अलावा नया उभरा भारतीय मध्यवर्ग पतंजलि के उत्पादों का उपभोक्ता है, लेकिन अचानक से क्या हो गया कि बाबा रामदेव को सर्फ एक्सेल के दाग़ बुरे लग रहे हैं।

दरअसल दाग़ की बदौलत ही वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फर्श से अर्श तक का मुकाम हसिल किया है। ये बाबरी मस्जिद, और दंगों के दाग़ ही थे जिसने भाजपा को 2 सीट से 282 सीटों के जादुई आंकड़े तक पहुंचाया। भाजपा का पूरा सियासी गणित ही सांप्रदायिक विभाजन और दंगे के दाग़ों पर आश्रित है।

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ऐसे में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हिंदुस्तान यूनिलीवर का ‘सर्फ़ एक्सेल’ के विज्ञापन के जरिए हिंदू-मुस्लिम एकता और सांप्रदायिक सौहार्द्र को का संदेश देना कट्टरपंथी भाजपा और हिंदुत्ववादियों को नाग़वार गुजर रहा है। पतंजलि कंपनी के मालिक रामदेव इसका उपयोग अपने तरीके से कर रहे हैं। प्रत्यक्ष तौर पर ये पहली बार दिख रहा है कि राजनेता और व्यापारी किसी एक उत्पाद के बहाने अपना हित साधने के मंसूबे से हमले कर रहे हैं।

पतंजलि के मालिक रामदेव मार्केट-वार में अब तक स्वदेशी और हर्बल के बूते हिमालया और वैद्यनाथ जैसी देशी कंपनियों को ठिकाने लगाने के बाद अब हिंदुस्तान यूनीलीवर के उपभोक्ताओं को अपने पाले में लाने के लिए अपनी घृणा का विस्तार करते लिए व्यापार में हिंदुत्व को मार्केट स्ट्रेटजी के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। वरना सर्फ एक्सेल के विज्ञापन में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे किसी हिंदू की भावना आहत हो।

लेकिन सिर्फ अपने व्यापारिक हित के लिए बाबा रामदेव इस हिंदुत्ववादी एजेंडे के ध्वजवाहक बनकर पूरे मुद्दे को विवादित बनाते हुए फ्रंट से लीड कर रहे हैं। इससे पहले नेस्ले के उत्पाद मैगी में अजीनोमोटो की मात्रा स्टैंडर्ड मानक से ज्यादा पाए जाने पर भारतीय बाज़ार में नेस्ले के मैगी पर बैन लगने के बाद इसका सीधा फायदा उठाते हुए बाबा रामदेव ने पतंजलि आटा नूडल्स भी लांच किया था, जबकि जांच में पतंजलि के उत्पाद भी भारतीय खाद्य मानकों पर खरे नहीं उतरे थे।

ये तो वर्तमान सत्ता से उनकी सांठगांठ का नतीजा है कि उनकी पतंजलि की दुकान चल रही है। पतंजलि का मालिक रामदेव हिंदुत्व के एजेंडे की आंड़ में ‘#BoycottSurfExcel, #BoycottHULproducts, #surfexcel’ की मुहिम चलाकर न सिर्फ भारतीय बाज़ार में प्रीमियम डिटर्जेंट सेग्मेंट में सर्फ एक्सेल के एकाधिकार को खत्म करके उसकी जगह हथियाना चाहते हैं।

गौरतलब है कि बाज़ार में प्रीमियम डिटर्जेंट सेग्मेंट में उसके प्रतिद्वंद्वी एरियल और सर्फ एक्सेल हैं। भारत के मौजूदा बाज़ार में पतंजलि प्रीमियम डिटर्जेंट पाउडर 185/ प्रति किलो है, जबकि सर्फ एक्सेल 164 रुपए और एरियल 178 रुपए प्रति किलो है। यहां ये ध्यान रखने की बात है कि रामदेव का ये घृणित हथकंडा सिर्फ प्रीमियम डिटर्जेट सेगमेंट के लिए नहीं है।

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बाबा रामदेव ने ट्वीटर पर लिखा- “हम किसी भी मजहब के विरोध में नहीं हैं, लेकिन जो चल रहा है उस पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है, लगता है जिस विदेशी सर्फ से हम कपड़ों की धुलाई करते हैं, अब उसकी धुलाई के दिन आ गए हैं? #BoycottSurfExcel, #BoycottHULproducts, #surfexcel ।”

बाबा रामदेव जब से अपने उत्पादों के साथ मार्केट में आए, उनकी रणनीति घृणा पर केंद्रित रही है। उनके उत्पादों के ग्राहक शुरु से ही उनके अनुयायी और मध्यवर्ग है। जबकि भारत के बड़े उपभोक्ता वर्ग तक पहुंच रखने वाले हिंदुस्तान यूनिलीवर से रामदेव की पुरानी अदावत रही है।

करीब एक वर्ष पहले इकोनॉमिक टाइम्स को दिए इंटरव्यू में पतंजलि के मालिक रामदेव ने कहा था कि उन्हें मल्टिनैशनल कंपनियों से क्यों नफरत है और क्यों उन्हें उनको उनके ही खेल में हराने में मजा आता है।” जब इकोनॉमिक टाइम्स के पत्रकार ने रामदेव से पूछा कि आप भारत में काम करने वाली MNCs से क्यों नफरत करते हैं?

इसके जवाब में रामदेव ने कहा था, 'वे जिस तरह से हमारे देश को लूट रही हैं, मैं उसे पसंद नहीं करता। ये कंपनियां यहां करोड़ों कमाती हैं, लेकिन लोगों की भलाई और चैरिटी पर कोई पैसा खर्च नहीं करतीं। आप हमें देखिए। हम जो भी पैसा बनाते हैं, उसका बड़ा हिस्सा चैरिटी के तौर पर खर्च किया जाता है। हम देश में स्कूल खोलने पर कम से कम 10,000 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बना रहे हैं। जिस दिन एचयूएल और नेस्ले जैसी एमएनसी 25 पर्सेंट कमाई भी लोगों की भलाई पर खर्च करने लगेंगी, मैं अपना बिजनस बंद कर दूंगा। हालांकि, ऐसा करना उनके लिए संभव नहीं है।'

रामदेव के उपरोक्त बयान से स्पष्ट है कि जैसे मोदी की राजनीति दलीय प्रतिद्वंद्वियों व विपक्षी नेताओं की छवि को खराब करके आगे बढ़ती रही हैं वही हथकंडा रामदेव भी अपने व्यापार को आगे बढ़ाने में अपनाए हुए हैं। रामदेव की शब्दचयन, भाषा व शैली भी मोदी से बहुत कुछ मिलती है, नजीर की तौर पर एक इंटरव्यू में दिए उनके बयान देखिए, 'एक दिलचस्प बात यह है कि दुनिया में हिंदुस्तान यूनीलीवर की पहचान फूड कंपनी के तौर पर है, लेकिन भारत में इसकी आइडेंटिटी साबुन और शैंपू से है। जल्द ही हमारे साबुन, शैंपू और डिटर्जेंट ब्रांड्स उनके प्रॉडक्ट्स को खा जाएंगे।'

दरअसल वर्ष 2003 में हिंदुस्तान यूनिलीवर ने हर्बल उत्पादों के लिए ‘आयुष’ ब्रैंड लॉन्च की थी इसके कुछ वर्ष बाद बाद ही भारतीय बाज़ार में आयुर्वेदिक प्रॉडक्ट्स बनाने वाली कंपनी पतंजलि की एंट्री हुई। 2006 में पतंजलि ने आयुर्वेदिक दवाएं और ओवर दी काउंटर प्रॉडक्ट्स के साथ घी, शहद और आटा जैसे फूड प्रॉडक्ट्स लॉन्च किए। और योग ब्रांड बाबा रामदेव के बूते पतंजलि के उत्पाद पहले उनके अनुयाइयों और फिर अनुयाइयों के जरिए मध्यवर्ग में दमदारी से प्रवेश करने में कामयाब रहा। जबकि हिंदुस्तान यूनिलीवर ब्रांड उतना अच्छा कारोबार नहीं कर सका।

एक समय तो हिंदुस्तान यूनिलीवर अपने आयुष ब्रांड को खत्म करने के बाबत भी सोचने लगी थी। लेकिन फिर एचयूएल ने आयुष ब्रांड को रिवाइव करके पतंजलि के कोर मार्केट में सेंध लगाने में कामयाब रही। आयुष नाम होने के चलते कंपनी को मोदी सरकार के ‘आयुष’ योजना के तहत हुए विज्ञापनों का भी लाभ मिला।

अब बात करते हैं कि सर्फ़ एक्सेल के विज्ञापन में क्या है। दरअसल सर्फ एक्सल ने 'रंग लाए संग' कैंपेन के जरिए अपने एक मिनट के विज्ञापन में एक हिंदू बच्ची और मुस्लिम बच्चे को लेकर छोटी सी कहानी बुनी है और अपने फेस्टिव एड 'रंग लाए संग' कैंपेन के जरिए होली पर हिंदू-मुस्लिम सदभाव का संदेश देने की कोशिश की है। करीब 1 मिनट 4 सेकंड के इस ऐड में दिखाया गया है कि सफेद टी-शर्ट पहने एक हिंदू लड़की पूरी गली में साइकिल लेकर घूमती है और बालकनी और छतों से रंग फेंक रहे सभी बच्चों के रंग अपने ऊपर डलवाकर खत्म करा देती है।

रंग खत्म हो जाने के बाद वह अपने मुस्लिम दोस्त के घर के बाहर जाकर कहती है कि 'बाहर आजा सब खत्म हो गया। मुस्लिम बच्चा घर से सफेद कुर्ता-पजामा और टोपी पहने निकलता है। बच्ची उसे साइकिल पर बैठाकर मस्जिद के दरवाजे पर छोड़ती है। आखिरी में उसके सीढ़ी चढ़ते वक्त बच्चा कहता है नमाज़ पढ़ के आता हूं। लड़की कहती है, बाद में रंग पड़ेगा। इस पर उसका मुस्लिम दोस्त आहिस्ता से मुस्कुरा देता है।



विज्ञापन के आखिर में सर्फ एक्सेल की परंपरागत टैगलाइन 'दाग अच्छे हैं' के साथ कहता एक स्त्री स्वर बैकग्राउंड से आता है, 'अपनेपन के रंग से औरों को रंगने में दाग लग जाएं तो दाग अच्छे हैं।' सर्फ एक्सेल के इस विज्ञापन के ज़रिए हिंदुस्तान यूनीलीवर ने ये संदेश देने कि कोशिश की थी कि रंगों के जरिए समाज साथ आ सकता है।

लेकिन सर्फ एक्सल के विज्ञापन का विरोध करने वालों को समाज के एक साथ आ जाने से दिक्कत है। उनकी राजनीतिक दुकानदारी समाज के विभाजन पर आश्रित है, जबकि पतंजली के सीईओ रामदेव हिंदुत्व के बहाने भारतीय बाज़ार पर अपना एकाधिकार स्थापित करने का मंसूबा पाले हुए हैं। स्पष्ट है कि वो भारतीय बाजार में अपना मुख्य प्रतिद्वंद्वी हिंदुस्तान यूनिलीवर को मानते हैं। यही कारण है कि सर्फ एक्सल का विज्ञापन एक साथ हिंदुत्ववादी कट्टरपंथियों और रामदेव जैसे पूंजीपति के निशाने पर है।

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