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भारत की सबसे कम उम्र की पर्यावरण कार्यकर्ता ने पीएम मोदी का दिया सम्मान ठुकराया
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से पहले लिसिप्रिया ने पीएम मोदी को सुनाई खरी-खरी, कहा-आप मेरी आवाज नहीं सुनेंगे तो मुझे सेलिब्रेट न करें..
जनज्वार। आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है। इससे पहले केंद्र की मोदी सरकार ने देश की सबसे कम उम्र की क्लाइमेट चेंज एक्टिविस्ट लिसिप्रिया को देश की प्रेरित करने वाली महिलाओं की सूची में शामिल किया है। सरकार के माय गॉव इंडिया ट्विटर हैंडल ने लिखा, लिंसिप्रिया मणिपुर से एक एनवायरोंमेंटल एक्टिविस्ट हैं। 2019 में वह डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम चिल्ड्रन अवॉर्ड, इंडिया पीस प्राइज से सम्मानित हो चुकी हैं। क्या वह प्रेरणा देने वाली नहीं हैं। क्या आप उसकी तरह किसी को जानते हैं हमें बताएं।
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लिसिप्रिया ने इसी ट्वीट का स्क्रीनशॉट लेकर ट्वीट किया और लिखा, 'प्रिय नरेंद्र मोदी जी। अगर आप मेरी आवाज़ नहीं सुनेंगे तो कृपया मुझे सेलिब्रेट मत कीजिए। अपनी पहल #SheInspiresUs के तहत मुझे कई प्रेरणादायी महिलाओं में शामिल करने के लिए शुक्रिया। कई बार सोचने के बाद मैंने यह सम्मान ठुकराने का फ़ैसला किया है। जय हिंद!।'
Dear @narendramodi Ji,
Please don’t celebrate me if you are not going to listen my voice.
Thank you for selecting me amongst the inspiring women of the country under your initiative #SheInspiresUs. After thinking many times, I decided to turns down this honour. 🙏🏻
Jai Hind! pic.twitter.com/pjgi0TUdWa
— Licypriya Kangujam (@LicypriyaK) March 6, 2020
कौन हैं लिसिप्रिया कंगुजम
जिस उम्र के बच्चे जब स्कूल जा रहे होते हैं उस उम्र में लिसिप्रिया ने स्कूल छोड़कर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र कहे जाने वाले भारत की संसद के बाहर प्रदर्शन किया था। लिसिप्रिया ने फरवरी 2019 में जब भुवनेश्वर में स्थित स्कूल छोड़ा था तब वह मात्र सात साल की थीं। उसी साल जुलाई महीने में लिंसिप्रिया ने पोस्टर दिखाकर प्रदर्शन किया था जिन पोस्टरों में लिखा गया था- डियर मिस्टर मोदी एंड एमपी, पास द क्लाइमेट चेंज लॉ, एक्ट नाऊ।
बेशक यह दृश्य 17 वर्षीय स्वीडिश क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग की याद दिलाता है। 2018 में ग्रेटा थनबर्ग ने स्वीडन की संसद भवन रिक्सडैग के बाहर खड़े होकर विरोध किया था। लिंसिप्रिया इसका अपवाद नहीं है। तब से भारतीय मीडिया लिसिप्रिया को भारत की ग्रेटा बता रहा है। हालांकि 27 जनवरी को उसने ट्विटर पर एक ट्वीट के माध्यम से मीडिया से आग्रह किया था कि मुझे भारत की ‘ग्रेटा’ के रूप में लेबल करना बंद कर दिया जाए। अगर आप मुझे भारत की ग्रेटा कहते हैं तो आप मेरी कहानी को कवर नहीं कर रहे हैं। आप एक कहानी को हटा रहे हैं।
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लिसिप्रिया ने एक दूसरे ट्वीट में कहा था कि मुझे भारत की ग्रेटा कहना बंद किया जाना चाहिए। हम दोनों का लक्ष्य एक ही है लेकिन हमारा एक्टिविज्म भिन्न है। मेरी अपनी पहचान है। मणिपुर की लिसिप्रिया को ग्लोबल पीस इंडेक्स इंस्टीट्यूट से वर्ल्ड चिल्ड्रन पीस प्राइज और 2019 के यूनाइटेड नेशन क्लाइमेट चेंज समिट में सबसे कम उम्र की वक्ता बनने के लिए इंटरनेशन यूथ कमिटी की ओर से इंडियन पीस प्राइज भी मिल चुका है।
ये पुरस्कार पाने वाली वह सबसे कम उम्र की युवा हैं। यह स्पष्ट है कि बीते दो वर्षों से लिसिप्रिया जलवायु परिवर्तन की तात्कालिकता के प्रति बेहद संजीदा है। विशेष रूप से भारत जैसे देश में जहां जलवायु परिवर्तन के लाखों लोगों को प्रभावित करेंगे।