Begin typing your search above and press return to search.
समाज

अमेजन के सैकड़ों कर्मचारियों की नौकरी खतरे में, जलवायु परिवर्तन की आलोचना पड़ी भारी

Nirmal kant
29 Jan 2020 9:43 AM IST
अमेजन के सैकड़ों कर्मचारियों की नौकरी खतरे में, जलवायु परिवर्तन की आलोचना पड़ी भारी
x

अमेज़न मैनेजमेंट कहता है कोई भी कर्मचारी नहीं कर सकता ऐसी आलोचना जिससे आये कंपनी पर खतरा...

जनज्वार। पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन के खतरों पर चिंता जताई जा रही है। स्विट्जरलैंड के दावोस शहर में आयोजित विश्व आर्थिक मंच (WEF) की 48वीं बैठक में भी जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर ही चर्चा की गई। देश-दुनिया के बड़े कारोबारियों ने जोर-शोर से जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर बात करके दुनिया का ध्यान आकर्षित किया। युवा लड़की ग्रेटा थनबर्ग ने सबका ध्यान जलवायु परिवर्तन की ओर खींचा और पूरी दुनिया को सोचने पर मजबूर किया।

मेजन के सैकड़ों कर्मचारियों ने अपनी कंपनी की जलवायु परिवर्तन नीति की आलोचना कर अपनी नौकरी को जोखिम में डाल लिया है। अमेजन कंपनी के लगभग 4200 कर्मचारियों ने तेल और गैस कंपनियों के साथ कंपनी के काम को उजागर करते हुए अपना विरोध दर्ज करवाया। सोशल मीडिया पर लिखते हुए 357 से ज्यादा कर्मचारियों ने कंपनी की नीति के खिलाफ अपनी बात रखी।

संबंधित खबर : जलवायु परिवर्तन से गर्म होती धरती और ठंडा होता मनुष्य

बिना डरे कर्मचारी सार्वजनिक रूप से कंपनी के खिलाफ लिखते-बोलते रहे, जबकि ऐसा करने पर उन्हें कंपनी से निकला जा सकता है। कर्मचारियों ने लिखा कि कंपनी की नीतियां महज एक पाखंड है। कंपनी की नीतियां कहती हैं कि भविष्य में केवल अक्षय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग तथा कार्बन उत्सर्जन में कटौती की दिशा में कंपनी काम करेगी, लेकिन कंपनी तेल और गैस कंपनियों के साथ काम करना जारी रखना चाहती है। कंपनी के इस दोहरे रवैये से नाराज कर्मचारियों ने सार्वजनिक रूप से अपना विरोध दर्ज करवाया।

क्या करती है अमेज़न

दुनिया की बड़ी कम्पनियां जैसे तेल और गैस की कम्पनियां क्लाउड कंप्यूटिंग, मशीन सीखने और डेटा सेवाओं के लिए पूरी तरह से अमेज़ॅन पर निर्भर हैं। अमेज़ॅन का मुख्यालय अमेरिका के वॉशिंगटन (सिएटल) में है।

मेरिकी मीडिया द वर्ज की रिपोर्ट के अनुसार कंपनी में एक वरिष्ठ व्यापार विश्लेषक अमेलिया ग्राहम मैककैन लिखते हैं कि अगर कंपनी जलवायु परिवर्तन की चिंता रखती है तो कंपनी का तेल और गैस कंपनियों के साथ काम करना जारी रखना बहुत ही गलत बात है। अगर कंपनी को वाकई में जलवायु परिवर्तन की चिंता है तो कंपनी अपना दोहरा रवैया बदले और ऐसे काम करना बंद कर दे। इसके खिलाफ बोलने वाले कर्मचारियों को चुप कराने की कोशिश की जा रही है।

गार्जियन की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 1965 से सभी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में एक तिहाई उत्सर्जन के लिए केवल 20 कंपनियां जिम्मेदार हैं। इन 20 कंपनियों में से अधिकतर कंपनियां क्लाउड कंप्यूटिंग, मशीन सीखने और डेटा सेवाओं के लिए अमेज़ॅन पर निर्भर हैं।

क सीनियर यूएक्स डिजाइनर मेलिसा रीडर ने कहा कि अमेज़न को आँखे खोल के देखना चाहिए कि वो दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है जिसके पास सबसे ज्यादा ग्राहक हैं। ऐसे में अमेज़न को तेल और गैस कंपनियों के साथ अपने अनुबंधों को समाप्त कर देना चाहिए और दुनिया को दिखा देना चाहिए कि वो जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को लेकर कितना चिंतित है।

कंपनी के एक प्रवक्ता ने बताया कि कर्मचारियों द्वारा इस तरह की सार्वजनिक आलोचना नहीं की जानी चाहिए। अमेज़न की नीति के अनुसार कर्मचारी ऐसा नहीं कर सकते। ऐसी समस्याओं के लिए कंपनी सवाल और जवाब (Q & Ans) का तरीका अपनाती है जिसमें कर्मचारी अपनी बात रख सकते हैं। इसमें भाग लेने के लिए हम कर्मचारियों को प्रोत्साहित भी करते हैं ताकि हम समस्याओं को जान सके और हमारी टीम फिर उनका समाधान निकाल सके।

न्होंने आगे बताया कि हम कर्मचारियों की बात सुनना चाहेंगे, लेकिन बातों को गलत तरीके से पेश किया जाना स्वीकार नहीं करेंगे। कंपनी बहुत कड़ी मेहनत करती है, इस सब से कंपनी की छवि को नुकसान होता है। हालांकि कम्पनी द्वारा इस बात का जवाब नहीं दिया गया कि कंपनी सोशल मीडिया पर लिखने वाले कर्मचारियों के खिलाफ क्या कार्यवाही करेगी।

संबंधित खबर : क्लाइमेट ट्रांसपेरेंसी की रिपोर्ट : जलवायु परिवर्तन से भारत में हर साल हो रही 3661 लोगों की मौत

सार्वजनिक रूप से अमेज़ॅन की आलोचना करके कर्मचारियों ने अपनी नौकरी को खतरे में डाल लिया है लेकिन कर्मचारियों को उम्मीद है कि उनकी एकता के कारण कंपनी द्वारा उनके खिलाफ होने वाली कार्यवाही से वो बच जायेंगे।

Next Story

विविध