Begin typing your search above and press return to search.
बिहार

जनज्वार इम्पैक्ट : गुल्लक तोड़ मां का कफ़न खरीदने और अर्थी को कंधा देने वाली सारण की बेटियों की मदद को उठे हाथ

Prema Negi
3 Jun 2020 3:32 PM IST
जनज्वार इम्पैक्ट : गुल्लक तोड़ मां का कफ़न खरीदने और अर्थी को कंधा देने वाली सारण की बेटियों की मदद को उठे हाथ
x

पैसे नहीं होने और कोई सहायता नहीं मिलने के कारण जब ये बच्चियां अपनी गुल्लक तोड़ मां का कफ़न खरीद रहीं थीं और अर्थी को कंधा दे रहीं थीं आखिर तब कहां था हमारा संवेदनशील समाज...

जनज्वार, छपरा। बिहार के सारण जिले के महराजगंज लोकसभा क्षेत्र में मां की मौत पर गुल्लक तोड़ बेटियों ने कफन खरीदा था और अपनी मां का अंतिम संस्कार किया था। जब मां की मौत हुई तब पिता गुजरात में लॉकडाउन में फंसा हुआ था। पिता के बाहर रहने की स्थिति में चार बेटियों ने मां की अर्थी को कंधा दी तो एक ने मुखाग्नि दी थी।

नज्वार ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। यह घटना 24 मई की है। जनज्वार में प्रकाशित होने के बाद यह मामला तमाम सामाजिक कार्यकर्ताओं के पास पहुंचा और गुल्लक तोड़कर मां के लिए कफन खरीदने वाली बेटियों की मदद के लिए समाज और नेताओं दोनों के हाथ आगे बढ़े हैं।

कुछ संगठनों ने इन तीनों बच्चियों की पढ़ाई का जिम्मा उठाने की घोषणा की है तो स्थानीय सांसद ने भी कई घोषणाएं बच्चियों से मुलाकात कर कई घोषणाएं कीं हैं। वैसे शासन-प्रशासन ने अबतक इनकी सुध नहीं ली है। यह बात भी सोचनीय है कि पैसे नहीं होने और कोई सहायता नहीं मिलने के कारण जब ये बच्चियां अपनी गुल्लक तोड़ मां का कफ़न खरीद रहीं थीं और अर्थी को कंधा दे रहीं थीं तब ये लोग कहां थे!

यह भी पढ़ें : गुल्लक तोड़ बेटियों ने ख़रीदा कफन, मां को दिया कंधा और मुखाग्नि, लॉकडाउन में मज़दूर पिता गुजरात में है फंसा

स परिवार की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय है। जमीन नहीं है। घर के नाम पर एक छोटी सी फूस की पलानी है। ये लड़कियां भी मेहनत-मजदूरी करतीं हैं। जनज्वार से हुई बातचीत में राजबलम की बेटियां बताती हैं, अब हम चाहते हैं कि किसी तरह हमारा भविष्य सुधर जाये।

कहती हैं, मां की मौत के बाद गांव वालों ने भी उनकी मदद की थी, गांववाले नहीं होते तो हमारा और ज्यादा बुरा हाल होता। मां की लाश को कंधा क्यों दिया? के बारे में वो बताती हैं, हमारा कोई भाई नहीं है, पिता लॉकडाउन के कारण सूरत में फंसे थे, आखिर हम क्या करते, मां का अंतिम संस्कार करना था, इसलिए हमने निर्णय लिया कि हम लोग खुद उनकी अर्थी को कंधा देंगे और चिता को मुखाग्नि।

यह भी पढ़ें : बिहार में 9 क्वारंटीन मजदूरों पर मुकदमा दर्ज, पानी-बिजली नहीं मिलने पर की थी शिकायत

माज अब इन बेटियों को इस रूप में सराह रहा है कि परंपरा तोड़ अपनी माँ का कफ़न खरीदने तथा परम्परा तोड़ अर्थी को कंधा देने और चिता पर माता को मुखाग्नि देने वाली पुत्रियां अन्य बच्चियों के लिए मॉडल बनेंगी। कल 2 जून को प्रखंड के फतेहपुर सरैया जाकर स्थानीय सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने यह घोषणा की है। उन्होंने फतेहपुर से मेहंदीगंज को जोड़ने वाली एक किलोमीटर सड़क के पक्कीकरण तथा जनधन खाता में एक लाख रुपये उपलब्ध कराने, प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ देने की भी घोषणा की।

यह भी पढ़ें : बिहार सरकार के गेहूं खरीद के वादे का बीत गया एक महीना लेकिन छपरा के 16 प्रखंडों में नहीं खरीदा गेहूं

स्थानीय सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने कहा कि राजबलम महतो की पत्नी राजमुनि के असामयिक निधन के बाद चार बच्चियों को अनाथ नहीं होने दिया जाएगा। सांसद ने मौके पर मौजूद स्थानीय राणा प्रताप सिंह उर्फ डब्ल्यु सिंह तथा हेमनारायण सिंह से मृतक के परिजनों को गैस कनेक्शन तथा जरूरी राशन उपलब्ध कराने को कहा। मौके पर उमेश तिवारी, मनोज, अमरजीत सिंह, अरविंद सिंह अशोक सिंह कुशवाहा, सिकन्दर यादव तथा राजीव कुमार सिंह आदि लोग मौजूद थे।

लॉक डाउन के चलते सूरत में फंसे पिता राजबलम महतो के पहुंचने के बाद अब बुधवार से मृतक राजमुनि देवी के श्राद्ध संस्कार की प्रक्रिया शुरू होगी। इस बीच मंगलवार 2 जून को फतेहपुर गांव पहुंचकर जिला जदयू महिला मोर्चा की अध्यक्ष माधवी सिंह ने बच्चियों के साहस की प्रशंसा की। उन्होंने मुखाग्नि करने वाली पुत्री नेहा की शिक्षा दीक्षा का खर्च वहन करने की घोषणा की। उन्होंने बच्चियों को तत्काल 51 सौ रुपये नकद प्रदान किया तथा श्राद्ध संस्कार के लिए राशन उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। मौके नीतू सिंह, सुनील सिंह, अरविंद सिंह, ओम प्रकाश गुप्ता, कृष्णा सिंह पहलवान, राहुल कुमार आदि मौजूद थे।

यह भी पढ़ें : आत्मनिर्भर भारत – भूख-प्यास से तड़प कर मां मौत, स्टेशन पर ही पड़ी रही लाश, जगाने की कोशिश करता रहा मासूम

सके अतिरिक्त कुछ स्थानीय समाजसेवी संगठनों ने भी इन बच्चियों की थोड़ी-बहुत मदद शुरू कर दी है। हालांकि इस मामले में बच्चियों की श्मशान पर ही कुछ लोगों ने मदद शुरू कर दी थी। प्रखंड परियोजना पदाधिकारी संजय कुमार ने मृतका का 25 हजार का बैंक ऋण माफ कराने के साथ साथ उसकी पुत्रियों को स्कील डेवलपमेंट के तहत मुफ्त ट्रेनिंग कराने व रोजगार उपलब्ध कराने में हर सम्भव सहयोग का आश्वासन दिया था।

Next Story

विविध