Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

जज ने कहा पुलिसिया जांच में लापरवाही के कारण छूट गये पहलू खान के हत्यारे

Prema Negi
19 Aug 2019 5:57 AM GMT
जज ने कहा पुलिसिया जांच में लापरवाही के कारण छूट गये पहलू खान के हत्यारे
x

इलाज करने वाले डॉक्टरों ने कहा पहलू की दिल का दौरा पड़ने से मौत हुई, जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक मौत का कारण गंभीर आंतरिक चोट और मारपीट, इसी तरह के संदेहों से बच निकले पहलू खान के हत्यारे....

जेपी सिंह की रिपोर्ट

च्चतम न्यायालय के जज जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने पहलू खान मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि जिन मामलों में कोर्ट की निगरानी में जांच होती है, उनमें बेहतर नतीजा आने की गुंजाइश होती है। जस्टिस चंद्रचूड़ पहलू खान हत्याकांड में आरोपियों के बरी होने से जुड़े सवाल का जवाब दे रहे थे।

न्होंने कहा कि हम लगातार ऐसा होते देखते हैं। यह जज होने की सजा है कि जो सबूत उपलब्ध हैं, हमें केवल उसके आधार पर फैसला देना होता है। तब आप पाते हैं कि पुलिस ने जो जांच की है वो सजा के लिए अपर्याप्त है, या तो ये जान-बूझकर किया गया या अयोग्यता के कारण। तब आरोपी को बरी करना पड़ता है। जो केस कोर्ट में सही समय पर पहुंच जाते हैं और कोर्ट उन्हें मॉनिटर कर पाता है, उन्हें बेहतर फैसला निकलता है।

गौरतलब है कि पहलू खान मामले में सभी 6 आरोपियों को 14 अगस्त को अलवर कोर्ट ने बरी कर दिया था। अदालत का कहना था कि पुलिस ने जो साक्ष्य पेश किए वे अपर्याप्त थे। इस आधार पर उन्हें ‘संदेह का लाभ’ मिल गया।

स्टिस चंद्रचूड़ ने अपनी बात के समर्थन में कठुआ गैंगरेप का उदाहरण दिया। इस केस में उच्चतम न्यायालय ने निष्पक्ष जांच के लिए कई कदम उठाए थे। उन्होंने कहा लेकिन कोर्ट की भी केस को मॉनिटर करने की सीमा होती है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने ये बातें ए फ्रीडम थ्रू ऑर्ट पर आधारित व्याख्यान में कहीं।

गौरतलब है कि अप्रैल 2017 में दिल्ली और जयपुर के बीच मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग पर पहलू खान को पीटा गया था। मौके पर 200 लोग मौजूद थे। उससे मारपीट का बाकायदा मोबाइल फोन से वीडियो भी बनाया गया। 9 लोगों (तीन नाबालिग) को आरोपी बनाया गया। तमाम गवाह, वीडियो और बाकी सबूत अदालत में पेश किए गए, लेकिन अदालत ने 6 आरोपियों को संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया। अलवर जिले की अपर सेशन न्यायाधीश डॉ सरिता स्वामी ने 92 पन्नों के अपने फैसले में पुलिस की घटिया जांच को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है।

दालत को पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं हुआ, क्योंकि आरोपियों का नाम प्रारंभिक प्राथमिकी में या पहलू खान के मरने से पहले दिए बयान में नहीं था। इन नामों को दो साल बाद जोड़ा गया था, जिससे संदेह बढ़ जाता है। पुलिस और अभियोजन के लिए अभियुक्तों की गवाहों द्वारा पहचान कराना अनिवार्य था। ऐसी परिस्थितियों में जब आरोपी जेल में थे तो शिनाख्त परेड के रूप में ये पहचान नहीं कराई गई और न ही अदालत में ये किया गया।

मोबाइल से बना घटना का वीडियो घटना का एक बड़ा साक्ष्य घटना का वीडियो था। अदालत ने पुलिस को गंभीर खामियों के साथ जांच के लिए फटकार लगाई। जिस फोन पर यह वीडियो शूट किया गया था, जिसमें पहलू को घसीटे जाने और पीटते हुए दिखाया गया था, उसे पुलिस द्वारा कभी जब्त नहीं किया गया था और इसे कभी अदालत में पेश नहीं किया गया। जिस गवाह रवींद्र सिंह ने वीडियो पुलिस को दिया था, वो पक्षद्रोही हो गया।

दालत ने पुलिस द्वारा मरने से पहले पहलू खान के बयान दर्ज करने पर भी सवाल उठाया गया है। अदालत ने कहा कि बयान दर्ज करने से पहले पुलिस ने डॉक्टरों से ये प्रमाण पत्र नहीं लिया कि वो अपने बयान दर्ज करने के लिए एक उपयुक्त स्थिति में था। मामले में इलाज करने वाले डॉक्टरों का बयान और पोस्टमार्टम भी विरोधाभासी हैं।

लाज करने वाले डॉक्टरों ने कहा कि पहलू की दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई, जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि मौत का कारण गंभीर आंतरिक चोट और मारपीट है। मामले की जांच में गंभीर खामियों पर नाराजगी जताते हुए अदालत ने कहा कि इससे संदेह पैदा होता है और इसका लाभ आरोपी को दिया जाता है।

Prema Negi

Prema Negi

    Next Story

    विविध