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सिक्योरिटी

2040 तक 1.5 डिग्री बढ़ जाएगा धरती का टैम्परेचर

Janjwar Team
15 Jun 2018 1:25 PM GMT
2040 तक 1.5 डिग्री बढ़ जाएगा धरती का टैम्परेचर
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आईपीसी की रिपोर्ट में हुआ खुलासा, ग्रीन हाउस गैसों और कार्बन इमीशन का उपयोग नहीं हुआ कम तो भुगतने होंगे गंभीर परिणाम

दिल्ली। वर्ष 2044 तक दुनिया का तापमान 1.5 बढ़ जाएगा। यह खुलासा जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की संस्था आईपीसीसी यानी इंटरगर्वमेंटल पैनल ऑफ क्लाइमेट चेंज की ताज़ा रिपोर्ट से हुआ है। हाल ही में तैयार की गई आईपीसी की रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि 2044 तक दुनिया के तापमान में 1.5 डिग्री की बढ़ोत्तरी होगी, जो कि बेहद खतरनाक है।

एनडीटीवी में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इसमें चेतावनी दी गई है कि 2040 तक दुनिया का तापमान 1.5 डिग्री बढ़ने के भयानक परिणाम हो सकते हैं। इस तापमान को रोकने के लिये सभी देशों को ग्रीन हाउस गैसों और कार्बन इमीशन को कम करना होगा। गौरतलब है कि आईपीसीसी की यह ताजा रिपोर्ट अक्टूबर में आनी थी, लेकिन ये अभी जून में ही लीक हो गई है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि लगातार बढ़ रहे तापमान का मौसम और खेती बाड़ी से लेकर समुद्र स्तर के बढ़ने और ग्लेशियरों के पिघलने पर असर पड़ेगा। जलवायु परिवर्तन के चलते सूखा, बाढ़ और अतिवृष्टि जैसी आपदाओं में बढ़ोत्तरी होगी।

पर्यावरण में कार्बन इमीशन को रोकने के लिये सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा का उपयोग बढ़ाना होगा और कोयले का कम से कम इस्तेमाल करना होगा, तभी तापमान को इस हद तक बढ़ने से रोकने में कुछ मदद मिलेगी। गौरतलब है कि भारत ने 2022 तक 175 गीगावॉट स्वच्छ ऊर्जा का लक्ष्य रखा है, देखना है कि ऐसे हालातों में यह लक्ष्य कैसे पूरा किया जाएगा।

गौरतलब है कि 2015 में जलवायु परिवर्तन से निबटने के लिये दुनियाभर के तकरीबन 200 देशों ने पेरिस समझौते पर दस्तखत किये थे, जिसका मकसद ग्रीनहाउस गैसों और कार्बन इमीशन का इस्तेमाल कम से कम करना शामिल है। अब इसे लागू करने के लिये नियम बनाये जा रहे हैं।

डब्लूआरआई की वर्ल्ड रिसॉर्स इंस्टीट्यूट की 2012 की एक रिपोर्ट के मुतातिक सीमेंट और एल्युमिनियम निर्माण में खपने वाली ऊर्जा जलवायु परिवर्तन के लिए 6 फीसदी तक जिम्मेदार है तो साइकिल को छोड़कर स्कूटर, मोटरसाईकिल, कार, हवाई जहाज़ मिलकर ग्लोबल वॉर्मिंग के लिए 15 प्रतिशत तक दोषी हैं।

दुनियाभर के शहरों में लगातार हो रहा निर्माण कार्य, धुआं छोड़ती फैक्ट्रियां भी 13 फीसदी तक ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ाने का काम करते हैं।

धरती के औसत तापमान में 19वीं शताब्दी के आखिरी वर्षों से खासा बढ़ोतरी जारी है। इस दौरान धरती और समुद्र का तापमान तकरीबन 0.8 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक औद्योगिक क्रांति के बाद हद से ज्यादा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की वजह से तापमान में यह बढ़ोत्तरी जारी है।

अगर इस पर अभी भी नियंत्रण नहीं रखा गया तो 2044 तक तैयार रहिए 1.5 डिग्री टैम्प्रेचर बढ़ने का, जिसके कई दुष्परिणाम भुगतने होंगे।

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