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जनज्वार विशेष

डिजिटल ​इंडिया की सबसे हिंसक खोज 'वाट्सअप अफवाह'

Prema Negi
11 July 2018 4:11 AM GMT
डिजिटल ​इंडिया की सबसे हिंसक खोज वाट्सअप अफवाह
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बच्चा चोरी का खौफ, खास तरह के रंग—रूप धर्म—जाति को लेकर पूर्वग्रह और ज्ञान—विज्ञान से दूर बहुतायत भारतीय समाज के लिए वाट्सअप पर फैलने वाला अफवाह भारतीय समाज के लिए एक ऐसा भस्मासुर है जो देश की एक बड़ी जमात को तेजी से बर्बर बना रहा है....

सुशील मानव का विश्लेषण

बच्चे व्यक्ति व परिवार की भविष्य की पूँजी होते हैं। जिसे वो अपने बुरे दिन के सहारे के ताईं बहुत सँजोकर रखता है। अपने जीवन की समूची पूँजी वो उसी बच्चे में निवेश कर देता है। बीमा की रकम की तरह किस्त दर किस्त बढ़ते देखता है, लेकिन जब उसे कहीं से ये आभास हो जाए कि उसकी जिंदगी की पूँजी, उसके बुरे दिनों का सहारा खतरे में है तो वो व्यक्ति, परिवार और समाज किसी की हत्या कर देने की हद तक पागल हो उठता है।

निजी असुरक्षा का अपना मनोवैज्ञानिक असर होता है ये ज्यादा तेज और ज्यादा तीव्र होता है। आखिर किसने बहुत ही सुनियोजित तरीके से वॉट्सएप्प के जरिए ये अफवाहें फैलाई कि लोगों के भविष्य की उम्मीद उनका बच्चा चुराने वाला गिरोह उनके इर्द-गिर्द अपने जाल बिछा रहा है? आखिर इन अफवाहों से किसका फायदा है?

वो कौन लोग हैं जो गरीब वंचित तबके को बच्चा चोर गिरोह बताकर स्थानीय लोगों को उनकी जान का दुश्मन बना दे रहा है? वो कौन है जो क्षेत्र विशेष, जगह विशेष के आधार पर अलग अलग मेसेज उस क्षेत्र की भाषा में वहाँ की भाषा संस्कृति के नाम वाले लोगों का नाम लिखकर बाकायदा सर्कुलेट कर रहा है।

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बेकाबू भीड़ के हाथों लोगों की हत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। कभी बच्चा चोरी के शक में, कभी गोकशी के शक में। गौरतलब है कि महाराष्ट्र के धुले जिले में 1 जुलाई, 2018 रविवार को 5 भिक्षुओं को एक भीड़ ने पीट—पीटकर सिर्फ इसलिए मार डाला, क्योंकि वो एक घर में जाकर खाना मांग रहे थे और इसी दौरान एक बच्चे से बात कर ली।

बच्चा चोरी करने वाले गिरोह की अफवाह उस क्षेत्र में वाट्सएप के जरिए कई दिन पहले से ही जंगल में आग की तरह फैली हुई थी। भीड़ द्वारा जिन पाँच लोगो को मारा गया है उनके नाम दादाराव भोसले, राजू भोसले, भारत भोसले, भारत मालवे और आगनू इंगोले था।

दूसरी तस्वीर महाराष्ट्र के ही मालेगांव की है जहां बच्चा चोरी की अफ़वाह पर एक ही परिवार के पांच लोगों की जमकर पिटाई कर दी गई। वो तो भला हो स्थानीय निवासी वसीम का जिसने अपनी जान का जोखिम लेकर पाँचों लोगों को ढकेलकर अपने घर में बंद कर दिया। तभी वसीम के चाचा राशिद राशनवाला ने लोगों को समझाने बुझाने में उलझाये रखा, तभी इत्तला पाकर पुलिस आ गई। पुलिस ने पांचों को हिंसक भीड़ से सुरक्षित निकाल लिया। तीसरी तस्वीर चेन्नई की हैजहां बच्चा चोरी के शक में ठेके के दो मज़दूरों की भीड़ ने पिटाई कर दी।

बच्चा चोर गिरोह सक्रिय होने की अफवाह तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में भी फैल गई है। शहर के तेनमपेट इलाके में रविवार 8 जुलाई को स्थानीय लोगों ने दो प्रवासी मजदूरों को बुरी तरह पीटा था। पुलिस ने जख्मी हालत में दोनों को उग्र भीड़ की चंगुल से छुड़ाया। इससे पहले राज्य के वेल्लोर जिले में गत 28 अप्रैल को एक हिंदीभाषी मजदूर को बच्चा चोर होने के शक में में पीट पीटकर मार डाला गया था।

30 जून को चेन्नई में बिहार के दो मजदूरों को बच्चा चोर समझकर बुरी तरह पीटा गया, जोकि एक बच्ची को रोक रहे थे। सड़क पार करने से कि कहीं बच्ची सड़क दुर्घटना का शिकार न हो जाए। गोपाल साहू और विनोद नाम के ये मजदूर मेट्रो में काम करते थे। असम के कार्बी आंगलांग जिले में नीलोत्पल और अभिजीत नामक दो कलाकारों को बच्चा चोर समझकर भीड़ ने हत्या कर दी थी।

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28 जून को बच्चा चोरी की वाट्सएप अफवाहों को दूर करने के लिए त्रिपुरा सरकार द्वारा 500 रुपए की दिहाड़ी पर रखे गए सुकांत चक्रवर्ती की भीड़ द्वारा उस वक्त हत्या कर दी गई, जब वो एक गाड़ी में लाउडस्पीकर लगाकर जन जागरुकता अभियान चला रहे थे।

सिर्फ मई—जून में ही वाट्सएप से फैले बच्चा चोरी की अफवाह से 29 लोगों की हत्या की जा चुकी है। इससे पहले मई 2017 में झारखंड में बच्चा चोरी की शक़ में एक ही दिन में दो घटनाओं में नईम, सज्जू, सिराज और हलीम और उसी दिन रात में विकास गणेश और गौतम नाम के युवकों की भी पीटकर हत्या कर दी गई। मई 2017 झारखंड में बच्चा चोरी के शक में कुल 7 लोगो की मौत भीड़ द्वारा पीटने से हुई थी।

एक नजर मई 2018 से अब तक बच्चा चोरी की अफवाह पर हुए मॉब लिंचिंग के पैटर्न पर-

10 मई : तमिलनाडु में 2 लोगों को पीटकर मार डाला गया।

23 मई : एक आदमी को बेंगलुरू में पीटकर मार डाला गया।

मई : आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में अलग-अलग घटनाओं में 6 लोग भीड़ द्वारा मार डाले गए।

8 जून : असम में भीड़ द्वारा 2 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया।

8 जून: महाराष्ट्र औरंगाबाद में 2 लोगों की हत्या भीड़ ने कर दी।

13 जून: पश्चिम बंगाल के माल्टा में एक आदमी की हत्या कर दी गई।

23 जून: पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर में एक आदमी की हत्या कर दी गई।

26 जून: 45 वर्षीय भिखारी महिला अहमदाबाद गुजरात में लोगों ने मार डाला।

28 जून: त्रिपुरा में एक दिन में 3 लोगों की मार दिया गया, जिसमें अफवाहों से लोगों को सतर्क कर रहे सुकांत चक्रवर्ती भी थे।

1 जुलाई: महाराष्ट्र के धुले जिले में भीड़ ने 5 लोगो की हत्या कर दी।

थाने में जाहिद को भीड़ ने मार डाला और हमारी आंख अस्पताल में खुली

गौरतलब है कि वाट्सएप मैसेज के साथ एक वीडियो पूर्व-दक्षिण के क्षेत्र के राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, झारखंड, तेलंगाना, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु व पूर्वोत्तर के असम व त्रिपुरा राज्य तक फैलाया गया है।

वाट्सएप मैसेज में कहा गया है कि ‘बच्चे उठाने वाले गैंग के सैकड़ों लोग हमारे राज्य के फलां क्षेत्र में प्रवेश कर चुके हैं, चेतावनी के तौर पर इन संदेशों को जारी किया गया है। बाहरी लोगों से सावधान रहें, वे बच्चों को उठाकर ले जाने वाले मानव अंगों के व्यापार का काम करने वाले हो सकते है, यह संदेश चेतावनी के तौर पर जारी है।

इन संदेशों के साथ आम तौर पर एक वीडियो भी है। दरअसल ये वीडियो एक सीसीटीवी फुटेज है जिसमें मोटरसाइकिल से दो लोग एक बच्चे को उठाकर दूर भागते दिख रहे हैं। दरअसल ये वीडियो कराची, पाकिस्तान का है जहां यह वीडियो बच्चा अपहरण के खिलाफ लोगों को शिक्षित करने के लिए बतौर डेमो बनाया गया है। वीडियो को भारतीय भाषाओं में इडिट करके देश के दस राज्यों में सर्कुलेट किया गया है।

अफवाहों को जमीन देता है ये खौफ

साल में एक लाख बच्चे

रोजाना 174 बच्चे

हर आठ मिनट में एक बच्चा और

सिर्फ दिल्ली में रोज गायब होते हैं 16 बच्चे

(स्रोत — भारत सरकार)

वाट्सएप मेसेज से फैलाये अफवाहों के बाद से बाहर के राज्यों से रोजी रोटी की तलाश में आये प्रवासी मजदूरों व नौकरीपेशा जो इन राज्यों की कम्युनिटी से मेल नहीं खाता उसके लिए भारी मुश्किल हो गई है। पश्चिम बंगाल व असम में बंग्लादेशी व रोहिंग्या लोगों के आकर शरण लेने का मुद्दा काफी सालों से सत्ता और विपक्ष के बीच चुनावी मुद्दा रहा है।

चूँकि अपना सब कुछ गँवाकर आये इन लोगों के पास इतनी पूँजी नहीं है कि ये एक क्षेत्र विशेष तक सीमित रहें अतः रोटी रोजी के चक्कर में घूमते रहने पर इनकी जान का खतरा ज्यादा बढ़ गया है। अपने राज्य से निकलकर दूसरे राज्यों में दूर दराज के गाँवों में घर घर फेरी लगाकर अपनी आजीविका चलाने वालों के लिए अब अपना काम रख पाना दूभर होगा।

महाराष्ट्र में मराठी अस्मिता की बात उठाकर वहाँ के उग्रवादी राजनीतिक संगठनों द्वारा यूपी बिहार से आये मजदूरों को पहले भी निशाना बनाया जाता रहा है। किसी भी राज्य में शासन प्रशासन की ओर से जन जागरुकता फैलाने के लिए समुचित कदम नहीं उठाया गया है। इसी तरह गौकशी की आड़ में हुई तमाम मॉब लिचिंग में भी शासन प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठे रहा अलबत्ता दक्षिणपंथी सत्ता की ओर से यथासंभव मॉब लिचिंग को भीड़ का न्याय बताकर लिंचिंग को जस्टीफाई ही किया जाता रहा है अब तक।

गौकशी, बीफ, मंदिर मस्जिद और लव जेहाद जैसे फर्जी और झूठे पोपागैंडा के जरिए हिंदुओं को मुसलमानों के खिलाफ खड़ा किया गया, जिससे नई उम्र की बेरोजगार हिंदू आबादी हत्यारी भीड़ में तब्दील हो गई और अखलाख से लेकर कासिम समयउद्दीन तक की लिंचिंग करती रही और प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा। फिर आरक्षण और Sc/St एक्ट की आड़ में सवर्णों को बरगलाकर दलितों के खिलाफ खड़ा करके सहारनपुर, ऊना, भीमा कोरगाँव. भारतबंद के दौरान दलितों की हत्याओं को अंजाम दिया गया।

अब स्थानीयता को (क्षेत्रवाद) को उभारा जा रहा है। बच्चा चोरी जैसे निजी नुकसान के मनोविज्ञान का इस्तेमाल करके लोगों को भयभीत और असुरक्षित बनाकर उन्हें उन्मादित किया जा रहा है।

बीजेपी और संघ पहले भी असम और पश्चिम बंगाल में रोहिंग्या और अवैध बांग्लादेशी मुस्लिम शरणार्थियों को स्थानीय लोगो की नौकरी, जमीन और सरकारी संसाधन कब्जाने का मुद्दा बनाकर दंगा भड़का चुकी हैं। जाहिर है असम हिंसा में भी वाट्सएप का अहम रोल रहा था।

डिजिटल इंडिया में वाट्सएप्प सबसे घातक हथियार बन चुका है और आईटी सेल अपने काम को बखूबी अंजाम दे रहा है। फेक संदेशों और पोस्टों मे बार बार पकड़ लिए जाने वाले आईटी सेल ने अबकी बार बहुत मेहनत और तैयारी की है। एक ही संदेश हर जगह ही सर्कुलेट नहीं किये जा रहे, बल्कि ये वाट्सएप मेसेज अबकी बार स्थानीय भाषा और क्षेत्र और पहचान लिए हुए हैं।

जैसे कि महाराष्ट्र के लिए मराठी में जो संदेश वायरल किया गया है उसमें महाराष्ट्र के ही किसी लोकल क्षेत्र का नाम डाला गया है, जबकि गुजरात के लिए गुजराती भाषा में वायरल किए मैसेजों में गुजरात के लोकल क्षेत्र का नाम डाला गया है। झारखंड या बिहार में य़ही मैसेज वहां की स्थानीय भाषा और लोकल क्षेत्र के नाम साथ वायरल हुआ है। यानी बड़ी तैयारी करके ये मैसेज लिखे और बनाए गए हैं साथ ही ये शहर, क्षेत्र और जगह स्पेसिफिक हैं।

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