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समाज

वाट्सअप की एक अफवाह से अब तक गईं 29 जानें

Prema Negi
4 July 2018 6:19 AM GMT
वाट्सअप की एक अफवाह से अब तक गईं 29 जानें
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सस्ते स्मार्टफोन और सस्ता मोबाइल डेटा पैकेज दुनिया में पहली बार लाखों भारतीयों को फर्जी न्यूज से अवगत करवा रहा है, जिससे गंवानी पड़ी रही है निर्दोष लोगों को अपनी जान...

सोशल नेटवर्किंग साइट्स जहां सूचनाओं के आदान—प्रदान का एक बड़ा माध्यम और अपनी बात लोगों तक पहुंचाने का जरिया बनी हैं, वहीं यहां फैलाई जाने वाली झूठी खबरों के चलते कई लोगों की जानें तक चली जाती हैं। इसी नक्शेकदम पर व्हाट्सअप यूनिवर्सिटी चल रही है, यहां बघारे जाने वाले ज्ञान और फेक सूचनाओं के कारण पिछले साल मई से अब तक 29 लोगों की मौत हो चुकी है, मगर इसके खिलाफ अब तक कोई कड़ा एक्शन नहीं लिया गया है।

द प्रिंट में प्रकाशित शिवम विज की रिपोर्ट के मुताबिक व्हाट्सअप के जरिए फैली झूठी सूचनाओं के चलते हुई मौतों के पीछे कोई राजनीतिक कारण भी जिम्मेदार नहीं है। इन हत्याओं के लिए कोई हिंदू-मुस्लिम विवाद, यहाँ तक कि जातिगत विवाद भी नहीं है। कोई भारत-पाकिस्तान नहीं, कोई भाजपा-कांग्रेस नहीं, कोई जिहाद या नक्सलवाद नहीं, कोई आरएसएस या कश्मीर नहीं, राजनेताओं द्वारा कोई बयान और प्रतिवाद भी नहीं है।

यह एक सेक्सी कहानी नहीं है। इस मुद्दे को राष्ट्रीय आक्रोश का मामला बनने से पहले कितने और लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ेगी? हर किसी को यह संदेह है कि बारंबार ऐसी घटनाएं होने के बाद पीड़ितों की संख्या दो-तीन महीनों में 100 तक बढ़ सकती है।

अफवाह बच्चे चोरी करने वाले एक गिरोह के बारे में है। वे आते हैं, आपके बच्चे को उठाते हैं और भाग जाते हैं। तमिलनाडु से त्रिपुरा तक अफवाह देश भर में एक जंगल की आग की तरह फैल गई है। इसके लिए व्हाट्सएप को धन्यवाद, जो लोगों का पसंदीदा संदेशवाहक है और जो पहली बार इंटरनेट को सामने ला रहा है। सस्ते स्मार्टफोन और सस्ता मोबाइल डेटा पैकेज दुनिया में पहली बार लाखों भारतीयों को फर्जी न्यूज से अवगत करवा रहा है।

संदेश आमतौर पर चेतावनी देते हैं कि बच्चों का अपहरण करने वाले सैकड़ों लोग हमारे राज्य में प्रविष्ट हो गये हैं। बाहरी लोगों से सावधान रहें, वे अंग व्यापार में लिप्त एवं बच्चों को चुराने वाले हो सकते हैं या इसी तरह के अन्य कार्य करने वाले हो सकते हैं। ये संदेश आमतौर पर एक ऐसे वीडियो के साथ आते हैं जो एक सीसीटीवी फुटेज की तरह दिखता है, जिसमें मोटरसाइकिल पर सवार लोग एक बच्चे को उठा ले जाते हैं।

यह वीडियो कराची, पाकिस्तान का है, जहाँ इसे बच्चों के अपहरण के खिलाफ लोगों को शिक्षित करने के लिए रिकॉर्ड किया गया था। वीडियो के अंतिम भाग को संपादित कर दिया गया है और यह अब पूरे भारत में संचारित हो रहा है।

तत्काल समाधान स्पष्ट है। इसे एक बड़े पैमाने पर जवाबी-सूचना अभियान की आवश्यकता है जो हर भारतीय तक पहुँच जाए। त्रिपुरा में फैली अफवाहों को दूर करने के लिए सरकार द्वारा एक उद्घोषक को किराए पर लिया गया लेकिन लोगों ने उसे बच्चा चोर समझ कर मार दिया। यह आपको आवश्यक जवाबी-सूचना अभियान की कितनी जरूरत है के पैमाने के बारे में बताता है। राज्य सरकारें और स्थानीय पुलिस जागरूकता पैदा करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन यह कार्य सच में बहुत बड़ा है।

अगर प्रधानमंत्री इन व्हाट्सएप अफवाहों का शिकार न होने का अनुरोध करते हैं तो इससे कुछ फर्क पड़ सकता है। लेकिन कोई भी उनसे ऐसा करने के लिए नहीं कह रहा है। नरेंद्र मोदी के समक्ष यह पूछने में कई हफ्ते लग जाते हैं कि किसी मुद्दे पर प्रधानमंत्री चुप क्यों हैं।

गृहमंत्री राजनाथ सिंह द्वारा भी इस बारे में एक शब्द नहीं कहा गया है। क्या गृह मंत्रालय ने राज्यों को कोई सलाह दी है? फिलहाल हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अब तक क्या किया हैं? जब उन्होंने कैम्ब्रिज एनालिटिका डेटा चोरी घोटाले के बारे में सुना तो उन्होंने बहुत जल्दबाजी दिखाई थी और कहा था कि वह मार्क जुकरबर्ग को इस मामले में भारत बुला लेंगे। यहाँ एक ऐसा मुद्दा है जिसने 31 जानें ले ली हैं और क्या रविशंकर प्रसाद ने अभी तक एक भी शब्द कहा है? क्या वह इस पर मार्क जुकरबर्ग को बुलाने की योजना बना रहे हैं?

भारत व्हाट्सएप का सबसे बड़ा बाजार है और फेसबुक के द्वारा आधिकारिक मेसेंजर के बारे में कुछ भी कहने के लिए कोई प्रवक्ता नहीं है। हालांकि उन्होंने व्यापार खाते शुरू कर दिए हैं। भारत में सभी व्हाट्सएप उपयोगकर्ताओं को यह कहने के लिए कि वे इन अफवाहों का शिकार न हों, बड़े पैमाने पर अलग-अलग भाषाओं में संदेश भेजना उनके लिए कितना मुश्किल है? दुनिया भर में प्रचलित कंपनी सो रही है और अपने मुख्य केन्द्र अमेरिका से यह बहाना कर रही है कि लोग उनके मंच (मेसेंजर) पर क्या करते हैं इसके लिए कंपनी ज़िम्मेदार नहीं है। यह एक ढीला बर्ताव है और इस तरह से काम नहीं किया जाता है।

यहां घटनाओं की एक समय सारिणी है और इसमें केवल मौतों की गिनती की गयी है, न कि उन घटनाओं की जहां लोग हमले के बाद बच गए थे।

2017, मई : झारखंड में मौत होने तक 7 की पिटाई

2018 अब तक

10 मई: तमिलनाडु में 2 मारे गए।

23 मई: बेंगलुरू में एक आदमी की हत्या।

मई 2018: आंध्र और तेलंगाना में अलग-अलग घटनाओं में 6 लोग मारे गए।

8 जून: असम में 2 लोगों की पिटाई से मौत।

8 जून: औरंगाबाद, महाराष्ट्र में 2 लोगों की हत्या।

13 जून: पश्चिम बंगाल के माल्टा में आदमी की मौत।

23 जून: पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर में आदमी की मौत।

26 जून: 45 वर्षीय भिखारी महिला अहमदाबाद, गुजरात में मारी गयी।

28 जून: त्रिपुरा में एक दिन में 3 लोगों की हत्या कर दी गई, जिनमें अफवाहों को दूर करने के लिए सरकार द्वारा किराए पर रखा गया एक व्यक्ति भी शामिल था।

1 जुलाई: महाराष्ट्र के धुले जिला में 5 लोगों की हत्या।

( यह रिपोर्ट द प्रिंट में प्रकाशित हो चुकी है।)

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