निर्भया की मां बोली, मेरी बेटी के गैंगरेप-हत्या के दोषियों का डेथ वारंट जारी न कर कोर्ट कर रहा अन्याय
निर्भया की मां आशा देवी बोलीं, अदालत के पास पावर थी और हमारे पास समय था। कुछ भी पेंडिंग नहीं था, फिर भी मेरी बेटी के हत्या और गैंगरेप के आरोपियों का डेथ वारंट जारी नहीं किया गया...
जनज्वार। 2012 के निर्भया गैंगरेप-हत्या केस में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने फांसी की नई तारीख देने से आज 7 फरवरी को हुई सुनवाई में फिलहाल इनकार कर दिया है। आज भी यह साफ नहीं हो पाया कि निर्भया के दोषियों को फांसी कब दी जायेगी।
कोर्ट ने कहा कि अनुमान के हिसाब से डेथ वॉरंट जारी नहीं किया जा सकता। साथ ही कोर्ट ने निर्भया के बलात्कार और गैंगरेप के दोषियो को मिले 7 दिनों का भी जिक्र किया। कोर्ट ने कहा कि जब तक कानूनी उपचार बाकी हैं, तब तक किसी को भी फांसी पर चढ़ाना पाप है।
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कोर्ट द्वारा आज डेथ वारंट जारी नहीं करने पर निर्भया की मां आशा देवी ने कहा अदालत के पास पावर थी और हमारे पास समय था। कुछ भी पेंडिंग नहीं था, फिर भी मेरी बेटी के हत्या और गैंगरेप के आरोपियों का डेथ वारंट जारी नहीं किया गया। यह हमारे साथ अन्याय है। मैं तब तक अपनी लड़ाई जारी रखूंगी जब तक अदालत मेरी बेटी के दोषियों को फांसी की सजा मुकर्रर नहीं कर देती और सरकार उनका समर्थन करती रहेगी।'
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गौरतलब है थ्क तिहाड़ ने गुरुवार 6 फरवरी को अदालत का रुख कर दोषियों के डेथ वॉरंट पर अमल के लिए नई तारीख देने की मांग की थी और इस पर जारी नोटिस पर दोषियों को आज अदालत के सामने अपना रुख रखना था। कोर्ट में तिहाड़ जेल के अधिकारियों की ओर से एडवोकेट इरफान अहमद पेश हुए थे। उन्होंने कोर्ट को बताया कि राष्ट्रपति तीन दोषियों की दया याचिकाओं को खारिज कर चुके हैं और इस समय चारों में से किसी की भी अर्जी, अपील या याचिका किसी भी अदालत के सामने लंबित नहीं है। यानी कोई भी मामला कहीं पेंडिंग नहीं पड़ा है। गैंगरेप—हत्या के दोषी पवन की ओर से सुधारात्मक याचिका भी दायर नहीं की गई है। उसके पास दया याचिका का विकल्प भी है।
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आज निर्भया केस पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हुई थी। वहां निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी देने के पक्ष में केंद्र सरकार की अर्जी पर सुनवाई टल गई। अब इस पर मंगलवार यानी 11 फरवरी को एक बार फिर से सुनवाई होगी।
पटियाला हाउस कोर्ट ने कहा कि ‘दोषियों को फांसी देना अनैतिक होगा। जब दोषियों को कानून जीवित रहने की इजाजत देता है, तब उन्हें फांसी पर चढ़ाना पाप होगा। हाईकोर्ट ने 5 फरवरी को न्याय के हित में दोषियों को इस आदेश के एक सप्ताह के अंदर अपने कानूनी उपचार का इस्तेमाल करने की इजाजत दी थी।’
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जज ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा, ‘मैं दोषियों के वकील की इस दलील से सहमत हूं कि महज संदेह और अटकलबाजी के आधार पर मौत के वारंट को तामील नहीं किया जा सकता है। इस तरह यह याचिका खारिज की जाती है। जब भी जरूरी हो तो सरकार उपयुक्त अर्जी देने के लिए स्वतंत्र है।’
निचली अदालत ने 31 जनवरी को निर्भया बलात्कार—हत्या मामले के चारों दोषियों- मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25) , विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार (31) को अगले आदेश तक फांसी पर चढ़ाने से रोक दिया था। फिलहाल ये चारों तिहाड़ जेल में कैद हैं।