CAA-NRC के खिलाफ लखनऊ के घंटाघर में चल रहे आंदोलन का एक महीना पूरा
लखनऊ से असद रिजवी की रिपोर्ट
जनज्वार। नागरिकता संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में चल रहे आंदोलन को एक महीने का समय पूरा हो गया है। दिल्ली के शाहीनबाग आंदोलन के तर्ज पर लखनऊ के घंटाघर में धरने पर बैठी महिलाएं इस कानून को वापस लेने की मांग कर रही हैं। बीते महीने जनवरी में जब यह धरना शुरु हुआ तब यहां का तापमान 7-8 डिग्री सेल्सियस था और आज जब दोपहर 25 डिग्री सेल्सियस तापमान रहा तो महिलाएं छाता लेकर धरने में जुटी रहीं।
धरने में शामिल एक बुजुर्ग महिला अस्मत कहती हैं, 'मेरी उम्र 73 साल है। जो बीता एक महीने से देख रहे हैं ऐसा हमने अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखा। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और देशभर में अफरातफरी मची हुई है। सब महिलाएं सड़कों पर निकली हुई हैं। सरकार को कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। न कुछ सुनाई दे रहा है। हम महिलाएं यहां एक महीने से ठड में धरने पर बैठी रहीं, अब गर्मी शुरु हो गई है। सरकार कोई आदेश नहीं दे रही है कि हम इन महिलाओं के लिए कुछ चादर, शामियाना आदि तान दें। अगर आप देश नहीं चला पा रहे हैं तो मैं हाथ जोड़कर यही कहूंगी कि मोदी जी और योगी जी इस्तीफा दे दें। हम नई सरकार बना लेंगे। हमारी बस का नहीं आपको झेलना और आपका बस का नहीं हमें झेलना।'
प्रदर्शन में शामिल एक छात्रा से जब कहा गया कि सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि छात्र-छात्राएं प्रदर्शन में न शामिल हों तो इस पर वह कहती हैं, अभी बेरोजगारी अपने चरम पर है। जब संविधान के अनुच्छेद 15 ए में सामाजिक समता दिया हुआ है। तो उसमें यह भी कहा गया है कि राज्य किसी के साथ लिंग, जाति, धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा। तो मैं इतना पूछना चाहती हूं कि जब बेरोजगारी इतने चरम पर है। जब आप हिंदुस्तान में युवाओं को रोजगार नहीं दे पा रहे हैं तो बाहर से क्यों बुला रहे हैं।
नीचे वीडियो में देंखें पूरी ग्राउंड रिपोर्ट-
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