कोरोना के चलते जेलों से छूटेंगे 7 साल से कम की सजा वाले कैदी, सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सर्वोच्च न्यायालय ने जेलों में कैदियों की संख्या में कमीं करने के लिए सात साल से कम सजा पाने वाले कैदियों को 6 सप्ताह के लिए रिहा करने के आदेश दिए हैं...
जनज्वार। कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद जेलों में बंद कम सजा वाले कैदियों को 6 सप्ताह की पैरोल दी जाएगी। दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जेलों में कैदियों की अधिक संख्या और जेलों की हालत पर हलफनामा दाखिल किया था, जिसके बाद सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए उत्तर प्रदेश डीजी कारागार आनंद कुमार को बुलाया गया था।
डीजी कारागार ने कोर्ट को बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने जेलों में कैदियों की संख्या में कमीं करने के लिए सात साल से कम सजा पाने वाले कैदियों को 6 सप्ताह के लिए रिहा करने के आदेश दिए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को यूपी की जेलों में कैदियों को निरुद्ध करने की क्षमता व मौजूदा समय की संख्या के साथ ही कैदियों को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों को भी कोर्ट को अवगत कराया। इससे पहले सरकार ने प्रदेश की सभी 71 जेलों की प्रत्येक बैरक, पाकशाला, शौचालय व कारागार समेत अन्य कार्यालयों व आवासों को सैनिटाइज किया।
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डीजी कारागार आनंद कुमार ने बताया कि अभी तक 1173 कैदियों की बुखार, खांसी व जुकाम के लक्षणों की जांच की जा चुकी है। विभिन्न जेलों में अबतक कुल 88 आइसोलेशन सेंटर बनाए गए हैं जिसमे 35 बंदियों को रखा गया है। जिन जेलों में कैदियों की संख्या अधिक है या जो बड़ी जेलें हैं उनमें दो-दो आइसोलेशन सेंटर बनाये गए हैं। जेलों में निरुद्ध उन कैदियों का डेटा जुटाया जा रहा है जिन्हें सात साल से कम की सजा है। डेटा जुटाकर जल्द ही विस्तृत कार्रवाई शुरू की जाएगी।
जेल में कैदियों की संख्या कम करने की सुप्रीम कोर्ट की सलाह के बाद तिहाड़ जेल प्रशाशन तिहाड़ की विभिन्न जेलों से 3000 कैदी रिहा करेगा। तिहाड़ के डीजी जेल संदीप गोयल ने बताया कि 1500 कैदी ऐसे हैं जिन्हें सात साल तक कि सजा हुई है उनको अब पैरोल या फरलो पर रिहा किया जाएगा। अगले तीन या चार दिनों में 1500 विचाराधीन कैदियों को भी अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाएगा। हालांकि इनमें यहां बंद वो अपराधी नहीं होंगे जो खतरनाक हैं।
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क्या होती है पैरोल और फरलो
जेलों में निरुद्ध कैदी जिनका सजा पाने के बाद जेल के अंदर अन्य कैदियों बंदियों के साथ आचरण ठीक रहता है, उन्हें लगातार 2 वर्ष की सजा पूरी करने के बाद पैरोल व फरलो दिए जाने का प्रावधान होता है, जो दिल्ली सरकार व राज्यपाल की अनुमति व अनुमोदन पर दिया जाता है। जहां पैरोल कम से कम 15 दिन और अधिक से अधिक 3 महीने की हो सकती है वहीं फरलो 7 से 14 दिन की ही होती है।