मुस्लिम कट्टपरपंथियों ने फिर मार डाला एक सेकुलर ब्लॉगर को
2013 से अब तक आधा दर्जन से अधिक उन सेकुलर ब्लॉगरों, प्रकाशकों की हत्या मुस्लिम कट्टरपंथी बंग्लादेश में कर चुके हैं, जो आधुनिकता, बराबरी और धर्मनिरपेक्षता के पैराकार रहे हैं
जनज्वार। बहुतायत मुस्लिम आबादी वाले देश बंग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतें किस कदर हावी हैं, इसका अंदाजा एक के बाद एक सेकुलर ब्लॉगरों की हो रही हत्या से लगाया जा सकता है। बीते वर्षों में हर साल कम से कम एक चर्चित ब्लॉगर की हत्या का मामला बंग्लादेश से उजागर होता रहा है।
2013 से शुरू हुई ब्लॉगरों की हत्या का सिलसिला बताता है कि बंग्लोदश में आधुनिक मूल्य—मान्यताओं और खुलकर मुस्लिम धर्म की रूढ़ियों के खिलाफ लिखने—बोलने वालों और प्रचार—प्रसार करने वालों के लिए वहां लोकतांत्रिक माहौल नदारद है।
सोमवार, 11 जून की शाम को बंग्लादेश के मुंसीगंज जिले में वहां के चर्चित ब्लॉगर 60 वर्षीय शाहजहां बच्चू को पांच मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने दुकान से खींचकर गोली से मार डाला। शाहजहां बच्चू वारदात के वक्त एक दवा की दुकान में रोजा—इफ्तार के बाद अपने कुछ दोस्तों के साथ अपने गांव काकालड़ी के चौराहे पर गपशप कर रहे थे। शाहजहां बच्चू की हत्या उनके पैतृक गांव कालहालड़ी में ही हुई।
हमलावरों ने सबसे पहले लोगों को भगाने और दहशत फैलाने के मकसद से वहां देशी बम फोड़े और उसके बाद 60 वर्षीय शाहजहां को दुकान से बाहर निकालकर गोली मार दी। हालांकि अभी इस हत्या की जिम्मेदारी किसी कट्टरपंथी गिरोह ने नहीं ली है, बंग्लादेश पुलिस की आतंकवाद निरोधक शाखा किसी मुस्लिम अतिवादी संगठन का हाथ होने के संदेह पर जांच को आगे बढ़ा रही है।
शाहजहां बच्चू को लगातार फोन पर कट्टरपंथियों से धमकियां मिल रही थीं। वे बच्चू बंग्लादेश कम्यूनिस्ट पार्टी में मुंसीगंज जिले के पूर्व जिला महासचिव भी रह चुके हैं। वह एक प्रकाशन भी चलाते हैं, जिसका नाम 'बिशाखा प्रोकोशनी' है और बंग्लादेश की राजधानी ढाका के बंग्लाबाजार इलाके में है। वह अपने प्रकाशन से प्रगतिशील किताबों, खासकर कविताओं का प्रकाशन करते थे।
पुलिस का कहना है कि ऐसी हर हत्या की किसी न किसी मुस्लिम अतिवादी संगठनों ने जिम्मेदारी ली है। इससे पहले बंग्लादेश में करीब 6 प्रगतिशील पत्रकारों और लेखकों की हत्या हो चुकी है।
वर्ष 2016 में एलजीबीटी पत्रिका के वरिष्ठ संपादक रूपबान की अपहरण कर कट्टरपंथियों ने हत्या कर दी थी। उससे पहले वर्ष 2015 में एक के बाद एक 4 लेखकों—ब्लॉगरों की कट्टरपंथियों ने हत्या कर दी, जो आधुनिक सामाजिक मूल्यों के पक्षधर थे और मुस्लिम धर्म की बुराइयों पर खुलकर बोलते—लिखते थे। मारे गए लोगों में नास्तिक और ब्लॉगर निलॉय नील, वशीकुर रहमान, ब्लॉगर अविजित रॉय और प्रकाशक फैसल दीपन शामिल थे।