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समाज

कोठे की असली दलाल तो है पुलिस

Janjwar Team
24 July 2017 8:41 AM GMT
कोठे की असली दलाल तो है पुलिस
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अगर पुलिस कोठों पर वैश्यावृत्ति चलाने में दलाल की भूमिका छोड़ दे तो एक दिन में ही नहीं लगेगा औरतों और नाबालिगों को नर्क से मुक्त करने में...

दिल्ली के जीबी रोड से स्वतंत्र कुमार की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

हिंदुस्तान की डेमोक्रेसी का मंदिर कहे जाने वाले संसद और देश के संविधान के सबसे बड़े संरक्षक राष्ट्रपति भवन से मात्र 3 से 4 किलोमीटर दूर देश का सबसे बड़ा जिस्मफिरोशी का बाजार सजता है। ये बाजार पूरी तरह से अवैध है, फिर भी दशकों से ऐसे ही चल रहा है।

यहां 50 के करीब कोठे हैं जहां देश के अलग अलग व गरीब इलाकों से लड़कियों को अच्छी ज़िंदगी का लालच देकर दलाल दिल्ली आते हैं और फिर उन्हें कुछ हजार रुपए के लिए जिस्मफिरोशी की ऐसी अंधी गलियों में धकेल देते हैं, जहां से आने का रास्ता तो है लेकिन वापस जाने का रास्ता नहीं है। देश में ही नहीं नेपाल जैसे गरीब देश से भी लड़कियां यहां लाकर बेची जाती हैं।

ऐसी ही एक 16 साल की लड़की उदिता (नाम परिवर्तित) को नेपाल में एक लड़के ने अपने प्यार के झूठे जाल में फंसाया और उसे अच्छी ज़िंदगी देने के बहाने से भारत ले आया। उसका सौदा जीबी रोड पर कर दिया। कुछ साल पहले नेपाल में आये भूकंप से चूंकि वहां बहुत कुछ बर्बाद हो गया था तो ये लड़की अच्छे जीवन के सपने अपनी आंखों में लेकर उस लड़के के साथ यहां गई थी। उसे नहीं पता था कि वो यहां कहां फसने वाली है।

जीबी रोड के दलालों और वहां धंधा कराने वाली नायिकाओं (कोठा संभालने वाली मैनेजर) ने मजनूं का टीला एरिया में मकान बनाए हुए हैं, जहां जीबी रोड पर धंधा करवाने से पहले उन्हें रखा जाता है और उनकी मोटी बोली यह कहकर लगाई जाती है कि लड़की 18 से कम की है और बिलकुल नई है, अभी धंधे में नहीं उतारी है।

मजनू का टीला पर इन लड़कियों को रखकर सेक्स खरीदने वालों के सामने पेश किया जाता है। एक लड़की को पांच से 10 लोगों के सामने परोसा जाता है। यदि कोई लड़की इसका विरोध करती है तो उसके साथ मारपीट करना, कई कई दिन तक भूखा रखना, गरम पानी फेकना, बन्द करके रखना आम बात है।

उदिता के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। पहले उसे मजनूं का टीला पर रखा गया, फिर जीबी रोड लाया गया। उदिता 15 साल की थी जब जीबी रोड आई थी, अब वो 16 की हो गई थी। नेपाली लड़कियों के लिये जीबी रोड पर काम करने वाले एनजीओ को नेपाल से उदिता के गायब होने की सूचना मिली तो उन्होंने नकली ग्राहक भेजकर उदिता का पता लगा लिया कि वो 56 नंबर कोठे पर है।

एनजीओ ने पुलिस के नाम एक शिकायत लिखवाई की उसे यहां जबरदस्ती रखा गया है। उदिता को यहां से निकाला जाए। अब पुलिस कैसे खेल करती है ये बताते हैं।

एनजीओ वाले ने बताया कि उदिता की चिट्ठी वहां की लोकल पुलिस के पास पहुंचती है कि लड़की इस कोठे में है और वो नाबालिग है। उससे जबरदस्ती जिस्मफिरोशी का धंधा करवाया जा रहा है।

एनजीओ का दावा है कि पुलिस लड़की को रेस्क्यू करने से पहले ये सूचना जीबी रोड पर लीक कर देती है। क्योंकि पुलिस के सूचना मिलने के थोड़ी देर बाद ही जीबी रोड पर भगदड़ मच जाती है कि रेड पड़ने वाली है। नाबालिग लड़कियों व जबरदस्ती रखी गई लड़कियों को वहां से निकाल कर सुरक्षित ठिकानों पर भेजा जाने लगता है। इन लड़कियों को ऑटो में बैठा—बैठाकर भेजा जाता है। आप कभी जीबी रोड जाएंगे तो देखेंगे कि वहां कोठों के बाहर ऑटो वालो की लाइन लगी रहती है। उनमें से बहुत से इन्हीं कोठों के लिए काम करते हैं।

इसी भगदड़ में उदिता को भी सुरक्षित जगह भेजने के लिए कोठे से नीचे लाया जाता है, पर उदिता हिम्मत करके वहां आने वाले एक लड़के के साथ ऑटो में बैठकर दिल्ली के बाहरी इलाके में भाग जाती है। इसके बाद उदिता एनजीओ को कॉल करती है। एनजीओ वाले पुलिस को फ़ोन करते हैं कि एक लड़की है वो जीबी रोड वालो के खिलाफ कंप्लेन देना चाहती है। एक बार फिर पुलिस अपना असली रोल निभाती है और बोलती है सुबह आना अभी रात का टाइम है, जबकि पुलिस का काम दिन—रात का है और ऐसे गंभीर केस में पुलिस को त्वरित कारवाई करनी चाहिए।

एनजीओ वाले दिल्ली महिला आयोग से संपर्क करते हैं, वो उदिता को एक सेफ जगह शेटर होम में रखवाते हैं। एक बार फिर सुबह पुलिस को सूचना दी जाती है, लेकिन 12 बज जाते हैं। पुलिस के अधिकारी अपनी व्यस्तता बताते हुए जीबी रोड से निकली लड़की की कंप्लेन पर सुनवाई नहीं करतें।

दिल्ली महिला आयोग की दखलअंदाजी के बाद पुलिस हरकत में आती है और थाने के प्रभारी पुलिस स्टेशन आते हैं। उदिता बताती है कि एक और नेपाल से आई हुई लड़की है। उसे आये हुए 4 महीने हुए हैं, वो भी बाहर निकलना चाहती है। फिर एनजीओ और महिला आयोग की टीम पुलिस के साथ जाती है। इस बार पुलिस को एक्शन में आना पड़ता है और कोठे पर रेड होती है। एक 16 साल की लड़की को छुड़ाया जाता और एक आरोपी को गिरफ्तार किया जाता है।

अगर पुलिस ईमानदारी से काम करे तो बेचारी बनी इन लड़कियों को नरक से बचाया जा सकता है, मगर पुलिस की कोठों से सांठगांठ के चलते ऐसा नहीं हो पाता।

महिला आयोग दिल्ली की चेयरपर्सन स्वाति जयहिंद कहती हैं, जीबी रोड पूरी तरह से गैर कानूनी है और सब सिस्टम की मिलीभगत से हो रहा है। इस पर रोक लगनी जरूरी है। लड़कियों की जिंदगी से खिलवाड़ न हो, इसके लिए जीबी रोड को बंद कराना ही होगा।

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