कोरोना वायरस ने बढ़ाई कैप्टन अमरिंदर सिंह की चिंता, पीएम को पत्र लिखकर की ये मांग
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए पंजाब को चाहिये उचित फंड, पंजाब की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है। इस वजह से जीएसटी की रकम सरकार को विपरीत हालात से निपटने में मदद देगी...
जनज्वार ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब में पहले ही आर्थिक हालात ठीक नहीं थे। अब रही सही कसर कोरोना वायरस ने पूरी कर दी है। प्रदेश की खराब हालत को देखते हुए सरकार ने फंड जुटाने के उपायों पर विचार करना शुरू कर दिया गया है। इसी क्रम में पंजाब के सीएम कैप्टन अमरेंदर सिंह ने प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जीएसटी की बकाया रकम को तुरंत जारी करने की मांग की है।
पत्र में कैप्टन ने बताया कि 2 अक्टूबर 2019 से जीएसटी के बकाया पड़े 6752.83 करोड़ रुपए तुरंत जारी करने की मांग की है कि वह कोविड-19 के संकट के कारण पैदा हुई गंभीर स्थिति के मद्देनजर यह बकाया राशि पहल के आधार पर जारी करने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय को निर्देश दें।
संबंधित खबर : जम्मू-कश्मीर में कोरोना के 8 नए मामले, कुल मरीजों की संख्या हुई 70
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पंजाब में कंपनियों को अपने कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) के फंड बरतने की इजाजत देने की अपील की है, जिससे राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 के विरुद्ध किए जा रहे यत्नों को और बल मिल सके।
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कैप्टन ने कहा कि राष्ट्रीय हित में कंपनीज एक्ट-2013 में सीएसआर की सूची में मुख्यमंत्री राहत कोष को शामिल करने के लिए वह कॉर्पोरेट मामलों संबंधी मंत्रालय को निर्देश दें।
इधर पंजाब के कुछ इलाकों में अब सीआरपीएफ की टुकड़ी तैनात की गयी है। क्योंकि पुलिस की लाख कोशिश के बाद भी लोग कफ्र्यू तोड़ रहे थे। इसके बाद सरकार ने सीआरपीएफ लगाने का निर्णय लिया है। सीएम ने बताया कि लोगों को सहयोग करना चाहिए। लेकिन इस मौके पर भी कई जगह पुलिस को दिक्कत आ रही है। इस वजह से यह निर्णय लेना पड़ा है।
पीएम की वीडियो कॉंफ्रेंसिंग में कैप्टन अमरेंदर सिंह शामिल नहीं हुए। उनकी जगह पंजाब के मुख्य सचिव करण अवतार सिंह और डीजीपी दिनकर गुप्ता ने वीडियो कांफ्रेंसिंग को अटेंड की। बाद मे सीएम की ओर से बताया गया कि वह दूसरी मीटिंग में व्यस्त थे। इस वजह से पीएम की वीडियो कॉंफ्रेंस में शामिल नहीं हो पाये।
इधर पंजाब के खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के मंत्री भारत भूषण आशु ने बताया कि राज्य सरकार ने 15 अप्रैल से गेहूं खरीद शुरू करने का फैसला किया है। आशु ने कहा कि खरीद 15 जून तक जारी रहेगी। उन्होंने दोहराया कि सरकार राज्य के किसानों द्वारा उत्पादित खाद्यान्नों की खरीद के लिए प्रतिबद्ध है।
संबंधित खबर : कोरोना का कुष्ठ रोगियों पर पड़ेगा व्यापक असर, भारत में हैं दुनिया के 50% से ज्यादा कुष्ठ रोगी
उन्होंने किसानों से 15 अप्रैल से मंडियों में अपनी फसल लाने के लिए तैयार होने की अपील की। किसानों ने बताया कि बड़ा सवाल तो यह है कि इस बार गेहूं की कटाय होगी कैसे? क्योंकि लेबर की बड़ी समस्या आने वाली है। उन्होंने यह भी कहा कि पता नहीं कफ्र्यू के बाद प्रवासी मजदूर आयेंगे भी या नहीं।