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राजनीति

मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने CAA के खिलाफ संकल्प पत्र किया पास, कहा यह कानून नागरिकों के खिलाफ

Prema Negi
5 Feb 2020 10:18 AM GMT
मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने CAA के खिलाफ संकल्प पत्र किया पास, कहा यह कानून नागरिकों के खिलाफ
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मध्य प्रदेश सरकार ने मोदी सरकार से आग्रह किया है कि CAA को किया जाए निरस्त, साथ ही नई सूचनाएं जिन्हें राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के जरिए प्राप्त करने की कोशिश की जा रही है, उन्हें लिया जाये वापस...

रोहित शिवहरे

भोपाल, जनज्वार। मध्य प्रदेश की कैबिनेट बैठक में आज 5 फरवरी CAA को वापस लेने का संकल्प पत्र पास कर दिया है। कैबिनेट की बैठक आज मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में संपन्न हुई, जिसके बाद मीडिया से बातचीत में सूबे के जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा की नागरिकता संशोधन कानून नागरिकों के खिलाफ है।

नागरिकता संशोधन कानून 2020 को वापस लेने के लिए कैबिनेट में प्रस्ताव पारित किया गया है। मध्य प्रदेश शासन ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 को निरस्त किया जाए। साथ ही नई सूचनाएं जिन्हें राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के जरिए प्राप्त करने की कोशिश की जा रही है, उन्हें वापस लेने का केंद्र सरकार से आग्रह किया गया है।

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पीसी शर्मा ने कहा कि पंथनिरपेक्षता भारत के संविधान के आधारभूत अवधारणा है, जिसे बदला नहीं जा सकता है। संविधान की प्रस्तावना में यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित हैं कि भारत देश पंथनिरपेक्ष देश है संविधान का अनुच्छेद 14,देश के सभी वर्गों के व्यक्तियों केसमानता के अधिकार और कानून के अंतर्गत समानता की गारंटी देता है।

वे आगे कहते हैं कि नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 जिसे दिसंबर में संसद द्वारा अधिनियमित किया गया है। इस अधिनियम के द्वारा धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों का विभेद वर्णित किया गया है। यह संविधान में वर्णित पंथनिरपेक्षता के आदर्शों के अनुरूप नहीं है। भारतीय संविधान के अंगीकृत करने से लेकर अब तक ही पहला मौका है जब धर्म के आधार पर विभेद करने के कानून को देश में अधिनियमित किया गया है। इससे देश का पंथनिरपेक्षता स्वरूप और सहिष्णुता का ताना-बाना खतरे में पड़ जाएगा।

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नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 में ऐसे प्रावधान क्यों किए गए। यह लोगों के समझ से परे है साथ ही जनमानस में आशंका उत्पन्न करते हैं। इसी का परिणाम है कि देश भर में इसका व्यापक विरोध हुआ है और लगातार हो रहा है। मध्यप्रदेश में भी इस तरह के विरोध लगातार देखे गए हैं जो शांतिपूर्ण रहे हैं और जिनमें समाज के सभी वर्गों के लोग शामिल हैं।

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गौरतलब है कि इसके पहले केरल पंजाब और राजस्थान राज्य की विधानसभाओं ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ बिल पास कर चुकी हैं, जिनमें से पंजाब और राजस्थान कांग्रेस शासित राज्य हैं अगर कैबिनेट के बाद मध्यप्रदेश विधानसभा में नागरिकता संशोधनकानून के के खिलाफ विधानसभा में बिल पास करा पाती है तो इस कानून का के विरोध में बिल पास कराने वाला तीसरा कांग्रेस शासित राज्य होगा।

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ध्य प्रदेश कैबिनेट के इस फैसले को मध्य प्रदेश भर में हो रहे CAA—NRC के विरोध के रूप में भी देखा जा सकता है। इस कानून के खिलाफ मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लेकर मध्य प्रदेश के लगभग सभी जिलों में इस कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन देखे गए हैं, जिसमें हाल ही मालवा रीजन में हुई आदिवासी और दलितों की बड़ी रैलियां शामिल हैं।

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नमें यह दर्शाया कि इसका विरोध सिर्फ मुस्लिम समुदाय नहीं बड़ी संख्या में दलित और आदिवासी आबादी भी कर रहे हैं। इसके अलावा हाल ही में हुई 2 फरवरी की इंदौर सभा में कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अपनी पत्नी अमृता सिंह के साथ स्टेज पर मौजूद थे और अपने इस फैसले के बाद लगभग कांग्रेस ने CAA—NRC के मसले पर अपनी स्थिति और भी साफ कर दी है।

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