संघ की 95 सालों में तैयार की हुई नफरत की नाली भाजपा के 4 साल में चौतरफा बह निकली
धर्म खतरे में, देश खतरे में, गौमाता खतरे में, हिंदू समाज खतरे में है, इस काल्पनिक खतरे से हमें निपटना है यानी कि मुसलमानों से निपटना है। मानसिक रूप से नफरत की विचारधारा से पोषित तथाकथित देशभक्त अपनी देशभक्ति स्वाभाविक ही निहत्थे मुसलमानों को मारकर उनकी बच्चियों से बलात्कार करके ही निकालेगा...
नफरत और हिंसा की घटनाओं पर गुरशेर का विश्लेषण
कठुआ कांड ने साबित कर दिया है कि संघ अपनी नफरत की विचारधारा किस हद तक लोगों में बसा चुका है। मुसलमान होने की वजह से अभियुक्तों ने उस बच्ची के साथ हैवानियत की हदों से परे जाकर घोर अमानुषिक और बर्बरता का परिचय देते हुए रेप जैसा जघन्य अपराध किया, वह वह हर संवेदनशील इंसान को सन्न कर देने वाला है।
राम माधव के कहने पर आसिफा गैंगरेप के समर्थन में खड़े हुए थे भाजपा सरकार के मंत्री?
यह उस नफरत की विचारधारा की बानगी भर है, जिसको धार्मिकता का लबादा ओढ़ाकर मानसिक गुलाम लोगों के जेहन में भर दिया गया है। यहां मैं कट्टर शब्द का इस्तेमाल नहीं कर रहा, क्योंकि कट्टरता भी बर्बरता और हैवानियत नहीं दिखाती, जितनी इस नफरत ही विचारधारा ने दिखाई है।
मोदी की माया : असीमानंद निर्दोष हो गए और राजेश्वर सिंह प्रमोटेड
मॉब लीचिंग की ताबड़तोड़ घटनाओं के बाद जहां एक पूरा समुदाय भय और दहशत में जी रहा है, वहीं ऐसी घिनौनी रेप की घटना ने सभी संवेदनशील लोगों को झकझोर कर रख दिया है। शंभू रैगर द्वारा की गई बेकसूर मुस्लिम बुजुर्ग की हत्या और उसको धार्मिक उन्माद का रंग देना साफ-साफ इशारा करता है कि संघ द्वारा इस विचारधारा का पालन-पोषण वैचारिक रूप से किस तरह किया जा रहा है। इसको बड़े शातिराना तरीके से जाहिलपने के शिकार लोगों के मन में स्थापित किया जा रहा है।
7 दरिंदों ने मंदिर में किया 4 दिन तक बच्ची का सामूहिक बलात्कार, हत्या पर सोए रहे भगवान
संघ की शाखा में जाने वाले एक छोटे बच्चे ने बताया कि वहां देशभक्ति के गाने सुनाए जाते हैं। हैरानी की बात नहीं, दरअसल यह इंसानी भावनाओं को मोड़ने की शुरुआत है। देशभक्ति के गानों और भारत माता की जयकारा के नारे लगाकर पहले भावुकता को बढ़ाया जाता है फिर भारत माता और धर्म के नाम पर हुए फर्जी अत्याचारों की बात की जाती है। धर्म विशेष यानी मुस्लिमों के आतंक, बर्बरता की झूठी—सच्ची ऐतिहासिक कहानियां सुनाकर सारी हिंदूवादी भावनाओं को नफरत में बदलने का काम किया जाता है। शाखाओं में तैयार हो रही पीढ़ी मुस्लिम नाम से ही नफरत करने लगती है।
7 दरिंदों ने मंदिर में किया 4 दिन तक बच्ची का सामूहिक बलात्कार, हत्या पर सोए रहे भगवान
संघ की शाखाओं में सिखाया—पढ़ाया जाता है धर्म खतरे में, देश खतरे में, गौमाता खतरे में, हिंदू समाज खतरे में है और इस काल्पनिक खतरे से हमें निपटना है, यानी कि मुसलमानों से निपटना है। मानसिक रूप से अच्छी तरह से परिवर्तित नफरत की विचारधारा से पोषित तथाकथित देशभक्त अपनी देशभक्ति स्वाभाविक ही निहत्थे मुसलमानों को मारकर उनकी बच्चियों से बलात्कार करके ही निकालेगा।
आसिफा के पिता कहते हैं हम बेटी को तलाशने सिर्फ मंदिर नहीं गए, सोचा वहां भगवान बसते हैं
पिछले 95 सालों से संघ अपनी इस विचारधारात्मक नफरत को कहां कहां और कैसे कैसे फिट कर चुका होगा, इसकी सहज ही कल्पना की जा सकती है। संघ की पैठ हर जगह है। पुलिस में, प्रशासनिक अफसरशाही में, सेना में और शैक्षणिक संस्थाओं में हर जगह। खतरा बड़ा है।
बलात्कारियों का राष्ट्र बनता भारत, हैरान करते हैं ये आंकड़े
देश इस समय अघोषित तानाशाही के साथ फासीवाद को झेल रहा है, इसके साथ यह भी कड़वा सच है कि यह खतरा आज या कल अचानक नहीं उठा, इसकी जड़ें भारत की आजादी की लड़ाई के साथ साथ उन पुरानी हजारों सालों की श्रेष्ठती की ग्रंथि में छुपी है। आर्यों की श्रेष्ठता की ग्रंथि 1919 में हिटलर के उभार के साथ ही उभरी, उससे प्रेरणा लेते हुए 1925 में संघ की स्थापना की गई।
बलात्कारी विधायक है पुराना संघी, इसलिए योगी नहीं कर रहे उस पर हाथ डालने की हिम्मत
इस खतरनाक संगठन को गांधी की हत्या का बड़ा और ऐतिहासिक अपराध करने के बाद भी तत्कालीन जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल द्वारा अभयदान दिया गया। बेशक उस समय किए गए सहयोग और फलने-फूलने के भरपूर मौके के कारण ही यह यहां तक पहुंचा है।
दलितों के रैडिकल उभार ने भाजपा के समरसता सिद्धांत को टांग दिया है उल्टा
एक लाइन में कहें तो संघ के इतने फलने—फूलने में कांग्रेस का योगदान ज्यादा रहा। संप्रदाय विशेष से नफरत वाली स्थिति में देश को पहुंचाने में कांग्रेस की खासी भूमिका रही। देश के हर जागरूक, संवेदनशील इंसान को हर हाल में आवाज उठानी होगी। कठुवा और उन्नाव जैसी घटनाएं समाज को और शर्मसार न करें, इसका एकमात्र तरीका सामाजिक चेतना के फैलाव के साथ इन घटनाओं का कड़ा प्रतिरोध। नहीं तो यह घटनाएं बढ़ती रहेंगी और समाज को तोड़ती रहेंगी।