मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में चीफ जस्टिस बोले, कोर्ट के आदेशों से खेल रही है सीबीआई
उच्चतम न्यायालय ने बिहार सरकार और सीबीआई को लगाई कड़ी लताड़, सीबीआई के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव को थमाया अवमानना नोटिस और दिया 12 फरवरी को पेश होने का आदेश
वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट
जनज्वार। बिहार के शेल्टर होम मामले में नीतीश सरकार को फटकार लगाने के साथ ही उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई को भी लताड़ लगाई है। मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि आप दुर्भाग्यशाली बच्चों के साथ इस तरह बर्ताव करते हैं। आप इस तरीके की चीजों की इजाजत नहीं दे सकते।
बिहार सरकार को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि हम सरकार नहीं चला रहे हैं, लेकिन हम ये जानना चाहते हैं कि आप कैसे सरकार चला रहे हैं? इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले का ट्रायल दिल्ली ट्रांसफर कर दिया। अब दिल्ली की साकेत के पाक्सो कोर्ट में इसका ट्रायल होगा। कोर्ट ने कहा कि दो हफ्ते में सारे रिकॉर्ड ट्रांसफर हो जाएं और ट्रायल छह महीने में पूरा हो जाना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि न्याय के हित में ट्रायल का ट्रांसफर किया जा रहा है। इस मामले में सीबीआई 17 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को पहले ही पंजाब की पटियाला जेल में ट्रांसफर किया जा चुका है।
इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव और एक अन्य अधिकारी को अवमानना का नोटिस भेजकर 12 फरवरी को व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट में पेश होने के लिए कहा है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने कड़े शब्दों में कहा कि पहली नजर में यही लग रहा है कि नागेश्वर राव ने सीबीआई अधिकारी एके शर्मा का ट्रांसफर कर कोर्ट की अवमानना की है। ट्रांसफर आदेश जारी करने से पहले राव को कोर्ट से सहमति लेनी चाहिए थी। सीबीआई सुप्रीम कोर्ट के आदेश से खेल रही है।
गौरतलब है कि नागेश्वर राव ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप केस मामले की जांच कर रहे एके शर्मा का पिछले दिनों तबादला कर दिया था, जबकि कोर्ट ने आदेश दिया था कि उस मामले से जुड़े अधिकारियों की यथास्थिति बनाए रखें। नागेश्वर राव ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप केस मामले की जांच कर रहे एके शर्मा का पिछले दिनों तबादला कर दिया था, जबकि कोर्ट ने आदेश दिया था कि उस मामले से जुड़े अधिकारियों की यथास्थिति बनाए रखें।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि दिल्ली से पटना दो घंटे का रास्ता है। हम चीफ सेक्रेटरी को भी कोर्ट में खड़ा कर सकते हैं। कोर्ट ने बिहार सरकार के वकील से कहा कि अगर सारी जानकारी नहीं दे सकते तो किसी अफसर को बुलाइए। अब बहुत हो गया। बिहार सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि 110 शेल्टर होम हैं, लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि हम मुश्किल वाले सवाल पूछेंगे। बेहतर होगा कि आप सारी जानकारी हासिल करें, वरना हम जानते हैं कि जानकारी कैसे हासिल करनी है?
हम दो घंटे में चीफ सेक्रेटरी को कोर्ट में खड़ा कर सकते हैं। कम से कम बच्चों को तो बख्श दीजिए। साथ ही सीजेआई ने कहा कि जिन लोगों ने यह किया है वो सजा से बच नहीं पाएंगे। कानून अपना काम करेगा। लेकिन शेल्टर होम में जो चल रहा था, उसे इजाजत नहीं दी जा सकती।
उच्चतम न्यायालय ने मामले की जांच कर रही सीबीआई की टीम की निगरानी कर रहे ज्वाइंट डायरेक्टर एक शर्मा के ट्रांसफर पर कड़ी नाराजगी जताई। चीफ जस्टिस ने कहा कि जब उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि बिना अनुमति के उनका ट्रांसफर नहीं होगा तो यह ट्रांसफर क्यों किया गया। क्या कैबिनेट कमेटी को बताया गया कि उच्चतम न्यायालय ने ट्रांसफर न करने के आदेश दिए हैं। केंद्र इस मामले पर उच्चतम न्यायालय में अपना जवाब देगा।
मुजफ्फपुर शेल्टर होम मामले में उच्चतम न्यायालय सुनवाई कर रहा है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने मामले के मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें ठाकुर ने अपने साथ पटियाला की जेल में मारपीट का आरोप लगाया था। इसके अलावा कोर्ट ने ठाकुर की उस याचिका को भी खारिज कर दिया था, जिसमें उसने बालिका गृह को तोड़े जाने पर रोक लगाने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम के बाद बिहार के 16 शेल्टर होम के मामलों को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया था।
इस मामले में शुरु से ही उच्चतम न्यायालय ने कड़ा रुख अपनाया है और बिहार सरकार को कई बार फटकार लगाई है। इस मामले के अंदर कई प्रभावशाली लोग शामिल हैं इसलिए इस मामले को दिल्ली ट्रांसफर किया है, ताकि मामले की निष्पक्ष जांच हो सके और गवाह भी इतनी दूर आएंगे तो निष्पक्ष गवाह देंगे। अगर किसी राज्य से ट्रायल को ट्रांसफर कहीं और किया जाता है तो इससे साफ जाहिर होता है कि निष्पक्ष सुनवाई की संभावना नहीं है इसलिए ट्रांसफर किया गया है।
मुजफ्फरपुर में एक एनजीओ द्वारा चलाये जा रहे आश्रयगृह में कई लड़कियों से कथित तौर पर बलात्कार और यौन उत्पीड़न किया गया। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की एक रिपोर्ट के बाद यह मामला पिछले साल मई में उजागर हुआ था।