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ग्राउंड रिपोर्ट : यूपी के देवरिया में करोड़ों का स्ट्रीट लाइट घोटाला, 500 रुपये का बल्व लगा 5,000 में
देवरिया की ग्राम पंचायतों में मनमानी कीमतों पर लगाई गई स्ट्रीट लाइट्स, वैध कनेक्शन के लिए पूरे जनपद से किसी ने भी नहीं किया आवेदन, आरटीआई कार्यकर्ता ने किया खुलासा..
जनज्वार, गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में ग्राम पंचायतों के द्वारा करोड़ों रुपए के स्ट्रीट लाइट मनमानी कीमत पर लगा दिए गए हैं। इससे सरकार को दोहरा नुकसान हो रहा है। पहला यह कि इन स्ट्रीट लाइट्स की कीमत बाजार की स्ट्रीट लाइट्स की कीमत से ज्यादा अदा की गई है। इसके लिए ना निविदा नियमों का पालन किया गया और ना ही कोई कोटेशन, जबकि सरकारी आदेश के मुताबिक अगर एक लाख रुपये से ज्यादा की धनराशि खर्च की जाएगी, उसके लिए बकायदा निविदा प्रकाशित करनी होगी। निविदा में वही सारे नियम और शर्ते लागू होंगी जो अन्य विभागों में हैं।
साल 2017 में देवरिया की ग्राम पंचायतों में जब धड़ल्ले से स्ट्रीट लाइट्स को लगाया जा रहा था तब 8 अगस्त 2017 को देवरिया के खंड विकास अधिकारी/ जन सूचना अधिकारी विकासखंड सलेमपुर से कुल 5 बिंदुओं पर आरटीआई के तहत सूचना मांगी गई। यह आरटीआई देवरिया के दीपक कुमार दीक्षित की ओर लगाई गई।
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आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक किसी भी ग्राम पंचायत ने बिजली विभाग से वैध कनेक्शन नहीं लिया है जबकि दिनांक 7 अक्टूबर 2018 को देवरिया के जिला पंचायत राज कार्यालय द्वारा (पत्रांक 3715/ 7 पंचायत/ लेखा/ रा वी-14 वा वी/2018-19) सभी सहायक विकास अधिकारी पंचायत को आदेश जारी किया गया है कि बिजली विभाग से बिना वैध कनेक्शन लिए किसी ग्राम पंचायत में स्ट्रीट लाइट लगाई जाती है तो वह सचिव और प्रधान की व्यक्तिगत जिम्मेदारी मानी जाएगी।
दीपक कुमार दीक्षित ने जनज्वार को बताया कि मैने आरटीआई के तहत जनसूचना मांगी थी कि जनपद में जो स्ट्रीट लाइट्स और एलईडी बल्ब लगाए जा रहे हैं, उसकी कीमत क्या है और जो लगाए जा रहे हैं उसके लिए विद्युत विभाग से उसके लिए वैध कनेक्शन लिया जा रहा है या नहीं। इसपर मुझे जानकारी मिली कि बिना विद्युत विभाग से वैध कनेक्शन लिए बिना अगर स्ट्रीट लाइट लगाई जाती है तो उसके लिए ग्राम प्रधान जिम्मेदार होंगे, लेकिन मुझे बिजली विभाग से जो सूचना मिली है उसके मुताबिक बिजली विभाग के पास पूरे जनपद से कनेक्शन के लिए कोई आवेदन नहीं आया।
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आरटीआई कार्यकर्ता दीपक दीक्षित आगे कहते हैं, 'इससे पता चलता है कि पूरे जिले में कहीं भी वैध कनेक्शन नहीं लिया गया है। एलईडी बल्व और स्ट्रीट लाइट्स दोगुने दामों पर लगाए गए हैं। कई ग्राम पंचायतों में देखा गया है कि कहीं बल्ब और स्ट्रीट लाइट्स बंद पड़े हैं और कहीं इन्हें लगाया ही नहीं गया है। सरकार ने आरटीआई का जवाब तो दिया लेकिन जमीन पर कुछ नहीं हुआ।'
उन्होंने आगे बताया, आरटीआई के जवाब में आगे लिखा गया है स्ट्रीट लाइट का मूल्य जिला अधिकारी के द्वारा गठित समिति द्वारा तय किया जाएगा लेकिन ग्राम पंचायतों में ना तो विद्युत विभाग से कनेक्शन लिया गया है और ना ही स्ट्रीट लाइट का मूल्य। मनमाने रूप से स्ट्रीट लाइटों का भुगतान हुआ है ग्राम पंचायतों में कहीं 5000 रुपये प्रति स्ट्रीट लाइट के हिसाब से भुगतान हुआ है तो किसी 4500 रुपये तो कहीं 4000 रुपया प्रति स्ट्रीट लाइट के हिसाब से भुगतान किया गया है।
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दीपक दीक्षित ने बताया कि मैने 17 नवंबर 2019 को उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव के नाम शपथ पत्र लगाकर शिकायती/प्रार्थना पत्र प्रेषित किया। इसकी प्रति ग्राम विकास आयुक्त, पंचायती राज निदेशक, उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ, मंडलायुक्त गोरखपुर, जिलाधिकारी देवरिया, मुख्य विकास अधिकारी देवरिया, अधिशासी अभियंता पूर्वांचल विद्युत वितरण खंड सलेमपुर देवरिया को शिकायती प्रार्थना पत्र शासन को भेजी।
उन्होंने आगे कहा, 'इस मामले की सघन जांच जरूरी है, जब कोई कार्यवाही नहीं हुई तो 9 सितंबर 2019 को मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार जन सुनवाई पोर्टल पर शिकायती प्रार्थना पत्र भेजा जिसकी जनसुनवाई संदर्भ संख्या 400. 190. 190. 16153 है, जांच तो नहीं हुआ लेकिन इस क्रम में देवरिया के जिला पंचायत राज अधिकारी द्वारा देवरिया के जिलाधिकारी को 25 नवंबर 2019 को पत्र भेजा गया कि जांच के लिए जनपद के सभी सहायक पंचायत विकास अधिकारी को जांच आख्या के लिए पत्र भेज दिया गया है। इसलिए इस शिकायत को निश्चित किया जाए जिसकी आज तक जांच पूरी नहीं हुई। एक तरफ ग्राम सचिवों द्वारा जनपद के लगभग 1000 से ऊपर ग्राम पंचायतों में मनमाने ढंग से अधिक दामों पर स्ट्रीट लाइट लगाकर सरकारी पैसा डकार लिया गया है, दूसरी तरफ बिजली विभाग को भारी राजस्व की क्षति पहुंचाई जा रही है।
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इसके बाद जब कमरिया गांव के ग्राम प्रधान से जनज्वार ने इसको लेकर सवाल किए तो उन्होंने कहा कि पचास प्रतिशत बल्व जलते हैं और पचास प्रतिशत जो खम्भे पर थे, जल नहीं रहे हैं। घरों पर जो बल्व लगे हैं केवल वो ही जल रहे हैं। कोई रिपेयरिंग नहीं हो रही है। उनसे जब पूछा गया कि क्या आपको मालूम है कि इन स्ट्रीट लाइट्स और बल्वों की वास्तविक कीमत कितनी है तो उन्होंने इनकार किया।
इनकी कीमत पूछने पर उन्होंने कहा करीब 1700-1800 का एक बल्व होगा। बाजार में यह बल्व 800-900 रुपये में भी मिल जाएगा। जनज्वार ने जब कई लोगों से पूछा कि आपके गांव में सरकारी बल्ब लगे हैं तो सभी ने एक स्वर में इनकार किया। जहां कहीं लगे भी वहां के लोग इससे खुश नजर नहीं आए।