मरते भारतीयों के बीच पुष्पवर्षा सिर्फ संसाधनों की बर्बादी : शशि थरूर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा थालियां बजाने, दीये जलाने की अपील को लेकर थरूर ने कहा, 'मैंने उनकी पूरी तरह से सराहना की। लेकिन उस समय मेरा प्रश्न यह था कि क्या यह पर्याप्त है? क्या कोविड-19 से संबंधित अधिक महत्वपूर्ण मुद्दे नहीं हैं जिन्हें पीएम को राष्ट्र के साथ साझा करना चाहिए था?'....
सानू वी. जॉर्ज की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो। संयुक्त राष्ट्र के पूर्व अवर महासचिव 64 वर्षीय शशि थरूर ने जब से राजनीति के एक अनजान क्षेत्र में कदम रखा है, उनके पास पीछे मुड़कर देखने का कोई कारण नहीं रहा है। उनकी गिनती सबसे लोकप्रिय कांग्रेस सांसदों में होती है। लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में रह रहे थरूर 'राष्ट्रवाद' पर अपनी नवीनतम पुस्तक को पूरा करने में व्यस्त हैं। थरूर ने कोविड-19 से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर आईएएनएस से खुलकर बात की।
थरूर ने सरकार द्वारा कोविड-19 के बहाने राज्यों की निगरानी करने की बात कही है, क्या उन्हें ऐसा डर है, यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'हां, मुझे वर्तमान माहौल को लेकर चिंता है। सरकार ने इस महामारी का बहाना बनाकर लॉकडाउन के कारण पत्रकारों पर आरोप लगाए, प्रदर्शनकारी छात्रों को गिरफ्तार किया, सभाओं पर प्रतिबंध लगाया, अदालतों के कामकाज पर रोक लगा दी। कई लोगों को जमानत नहीं मिल रही है, ऐसे कई कारण हैं जिनके कारण मुझे चिंता है। आरोग्य सेतु एप पर तो सरकार का पूरा नियंत्रण है, यह कई अनकही कहानियों का खुलासा करेगा।'
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा थालियां बजाने, दीये जलाने की अपील को लेकर थरूर ने कहा, 'मैंने उनकी पूरी तरह से सराहना की। लेकिन उस समय मेरा प्रश्न यह था कि क्या यह पर्याप्त है? क्या कोविड-19 से संबंधित अधिक महत्वपूर्ण मुद्दे नहीं हैं जिन्हें पीएम को राष्ट्र के साथ साझा करना चाहिए था?'
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लॉकडाउन को लेकर दूसरे देशों और अपने देश की स्थिति को लेकर थरूर ने कहा, 'प्रत्येक देश की अपनी वास्तविकता है। भारत ने उन देशों से पहले कठोर लॉकडाउन लगाया। यह सही काम था, हालांकि यह बेहतर नियोजित हो सकता था और लोगों को आवश्यक व्यवस्था करने के लिए अधिक समय दिया जाना चाहिए था। योजना और नोटिस के साथ, यह शायद 10 दिन पहले आ सकता था, लेकिन जैसा कि हम जानते हैं, हमारे लॉकडाउन का प्रभाव अस्थायी है, क्योंकि हर दिन मामलों की संख्या बढ़ रही है।'