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जनज्वार विशेष

गोरखपुर मेडिकल काॅलेज में 6 महीने से नहीं मिली सैलरी

Janjwar Team
22 Aug 2017 10:13 AM GMT
गोरखपुर मेडिकल काॅलेज में 6 महीने से नहीं मिली सैलरी
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हर साल धरना-प्रदर्शन करने पर ही मिलती है सैलरी, बिना धरना संविदा, ठेका कर्मियों को नहीं करता मेडिकल काॅलेज प्रबंधन भुगतान

जनज्वार, गोरखपुर। स्त्री और प्रसूति विभाग में कार्यरत और काॅलेज से एमडी कर रहे डाॅक्टर खेतेंद्र को जून से ही स्टाईपेंड नहीं मिला है। खेतेंद्र के मुताबिक कुल 36 डाॅक्टर बीआरडी पीजी से एमडी कर रहे हैं, पर अब तक किसी को पेमेंट नहीं हुई। ईलाज के साथ यह तनाव एक कर्मचारी की कार्यक्षमता को बहुत प्रभावित करता है, लेकिन यह कभी मुद्दा नहीं बना। कर्मचारी की पहल की ऊर्जा उसकी अपने संतुष्ट जीवन शैली से ही आएगी।

अस्पताल में नर्सों से जुड़ी समस्याएं उठाने वाली शालिनी मिश्रा कहती हैं, ‘हमें अप्रैल से सैलरी नहीं मिली। कांट्रैक्ट रिन्यू करने के लिए प्रिंसिपल राजीव मिश्रा की पत्नी पूर्णिमा शुक्ला 2 महीने की सैलरी मांगती थीं। कांट्रैक्ट तभी रिन्यू हुआ, जब हमने धरना दिया। मैटरनिटी लीव पर जाने पर सैलरी काट ली जाती है। नर्सें यहां 10 दिन का बच्चा लेकर काम करती हैं। क्या इतने तनाव और जिल्लत में कोई अपने काम का सबसे अच्छा दे पाएगा?’

गौरतलब है कि मेडिकल काॅलेज के 90 फीसदी कर्मचारी संविदा पर हैं। डाॅक्टरों का बहुतायत भी 80 फीसदी संविदा पर काम करता है।

2010 से संविदा पर काम कर रही नर्स सुमन कहती हैं, ‘मैं ट्रामा में हूं। हर कीमत पर जान बचानी हमारी प्राथमिकता होती है। बहुत कम संसाधन में हम लोग काम करते हैं, लेकिन अगर यहां काम करके पेट भी नहीं पाल सकें तो क्या फायदा।’

सुमन के अनुसार कांट्रैक्ट लेटर पर हर साल 10 फीसदी सैलरी बढ़ने की बात लिखी है। 2010 से अब 7 साल बीत चुके, जितने में ज्वाइन किया उतना ही है। वहीं बिंद्रा अपनी नौकरी का रिन्युअल बचाने के लिए घूस दे चुकी हैं।

टीवी विभाग में कार्यरत एक नर्स रोते हुए कहती हैं, ‘यह संक्रमण विभाग है और मैं अपने 10 दिन के बच्चे को लेकर आती रही हूं, क्योंकि मैटरनिटी लीव पर रहने पर उतने दिन की सैलरी काट ली जाती है। 13 हजार की सैलरी में से अगर कट जाएगा तो खाएंगे क्या।’

वार्ड ब्वाय शैलेश जानकारी देते हैं, ‘अकाउंट आॅफिस में उदय प्रताप शर्मा और आलोक मिश्रा हैं। वह मेडिकल लीव को पास करने का 1 हजार और मैटरनिटी लीव देने का 10 हजार चार्ज करते हैं। और वह भी कई महीनों बाद भुगतान करते हैं। हमारे अधिकार की इन छुट्टियों में भी घूस इसलिए देनी पड़ती है, क्योंकि नहीं देने पर लीव विदाउट पे कर दिया जाता है।’

सबसे बड़ी त्रासदी सफाई कर्मचारियों की है। सफाई, ट्राली और लिफ्टमैन को काम पर रखने वाली एजेंसी ‘बाॅम्बे इंटेलीजेंस सिक्योरिटी’ ने 6 महीने से सैलरी नहीं दी है। पिछले 15 वर्षों से अस्पताल के बच्चा वार्ड के सफाई कर्मचारी 50 वर्षीय त्रिभुवन बताते हैं, ‘हमें 3500 रुपए मिलते हैं, लेकिन वह भी नहीं मिलते। बॉम्बे एजेंसी की ओर से 150 सफाई कर्मचारी हैं, जिनमे से 144 महिलाएं हैं।’ यह पूछने पर कि बिना सैलरी घर कैसे चलता है तो बताते हैं कि मरीजों की सफाई कर कुछ पैसा मिल जाता है, उसी से काम चलता है। इसमें से भी हमारा मेठ सबसे रोज 50 रुपया लेता है। मैंने इस बारे में प्रिंसिपल आॅफिस पर भी हंगामा किया, पर कोई सुनवाई नहीं हुई।

अस्पताल में 12 लिफ्टमैन भी हैं। ट्रालीमैन रामविलास को हर्ष इंटरप्राइजेज ने रखा है। कहा जाता है यह पूर्णिमा शुक्ला का है। इसने पुराने कर्मचारियों को हटाकर नई भर्ती के नाम पर 62 लोगों से 50-50 हजार रुपया लिया गया है।

सफाईकर्मी रामबदन कहते हैं, ‘साहब, बेकारी ने हमें बेचारा बना दिया है। नहीं तो सोचिए कि नौकरी 4 हजार की, मिलती 6 महीने में और इसी को पाने के लिए 50 हजार घूस। लेकिन कई लोग हैं, जो दे चुके हैं। अब वे पत्रकारों से मिलकर मैडम से पैसा निकालने में लगे हैं।’

आरोपी की सफाई
अकाउंटेंट उदय प्रताप शर्मा को गोरखपुर जिलाधिकारी ने अपनी जांच में आर्थिक गड़बड़ियों का दोषी पाया है। उदय फोन पर कहते हैं, पैसा हम मैडम पूर्णिमा शुक्ला के कहने पर लेते थे, वही एक-एक फाइल भेजती थीं, लेकिन उनपर कोई कार्यवाही क्यों नहीं हो रही।

पूर्व सैनिक कल्याण निगम के गोरखपुर हेड एसपी सिंह
मेडिकल काॅलेज को 119 नर्स प्रोइवड करने वाली संस्था ‘पूर्व सैनिक कल्याण निगम’ के गोरखपुर हेड एसपी सिंह बताते हैं, 'हमारी ओर से 119 नर्स और 40 गार्ड मेडिकल काॅलेज में नौकरी पर हैं। पिछले वर्ष मार्च में मुझे प्रिंसिपल ने रिन्युअल के समय अपने घर बुलाया और खुद घर में अंदर घुस गए। उनकी पत्नी आईं और मुझसे पूरे बजट पर 10 प्रतिशत मांगा। मैंने कह दिया हम कोई कमीशन नहीं दे पाएंगे, क्योंकि हम किसी से कोई कमीशन नहीं लेते। हम पूर्व सैनिकों की संस्था हैं, वैसे भी हम केवल 10 फीसदी ही सिविलियन रखते हैं। बाद में नर्सों ने आंदोलन किया तो पैसा रिलीज हुआ।'

सहारनपुर मेडिकल कॉलेज में भी 6 महीने से नहीं मिली है सैलरी
पूर्व सैनिक कल्याण निगम की ओर से सहारनपुर मेडिकल कॉलेज में भी नर्स और गार्ड उपलब्ध कराये जाते हैं। वहां भी मार्च, 2017 से संविदा पर काम कम रहे कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिली है।

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