मर्दों की गैरमौजूदगी में रात को पूछड़ी में घरों में घुसा पुलिस प्रशासन, बेदखली का आदेश चस्पां-गांव में पसरा मातम
रामनगर। संयुक्त संघर्ष समिति ने वन एवं पुलिस प्रशासन द्वारा उत्तराखण्ड स्थित रामनगर के ग्राम पूछड़ी में ग्रामीणों को आतंकित करने पर रोक लगाने की मांग की है।
समिति ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि बीते 16 अक्टूबर की रात्रि में वन प्रशासन बगैर महिलाकर्मियों को साथ लिए देवीदत्त तिवारी एवं रमेश चंद तिवारी की गैर मौजूदगी में उनके घरों में पहुंचा। घर में मौजूद महिलाओं द्वारा यह कहने पर कि घर में कोई मर्द नहीं है और रात्रि का समय है तो उसके बाद वन प्रशासन ने भारी पुलिस बल मौके पर बुला लिया और रात्रि में ही उनके घरों में जबरन नंबर डाल दिए। आज भी दिनदहाड़े वन प्रशासन द्वारा भारी पुलिस बल साथ लाकर उनके घर की दीवारों पर बेदखली के आदेश चस्पां किए गए।
वन एवं पुलिस प्रशासन की जा रहीं ये कार्रवाईयां लोकतांत्रिक मर्यादाओं एवं कानूनों का उल्लंघन है। ग्रामीणों ने कहा कि बार-बार पुलिस के फ्लैग मार्च से हमारा खाना-पीना तथा नींद हराम हो गई है। पूरे देश में जहां लोग दीपावली की तैयारी कर रहे हैं, हमारे घरों में मातम पसरा हुआ है।
मुनीष कुमार ने कहा कि हिंदू हित के के नाम पर सत्ता में आई भाजपा सरकार हिंदूओं को ही उजाड़ रही है। बेदखल किए जा रहे 151 परिवारों में ज्यादातर हिंदू ही हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू-मुसलमान एकजुट होकर अपने घरों को बचाने के लिए संघर्ष जारी रखेंगे।
सरस्वती जोशी ने मांग की कि उत्तराखंड सरकार बरसों से वनग्रामों में निवास कर रहे ग्रामीणों को पुलिस प्रशासन का भय दिखाकर उन्हें आतंकित करने पर पर तत्काल रोक लगाए। रोहित रुहेला ने कहा कि हम पहले भी जिला प्रशासन से निवेदन कर चुके हैं कि प्रशासन ग्रामीणों की बैठक बुलाए और बैठ कर ग्रामीणों से बात करें।
ललित उप्रेती ने कहा कि सरकार एवं वन प्रशासन अपनी ही जनता के साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार कर रहा है, जो कि बेहद शर्मनाक है। आंदोलन की आगामी रणनीति के लिए रविवार 20 अक्टूबर को समिति ने ग्राम पूछड़ी में बैठक बुलाई है।