बंगाल में भाजपा की इतनी बड़ी सफलता में वामपंथी वोटरों का सबसे बड़ा योगदान
पश्चिम बंगाल में किसी कम्युनिस्ट समर्थक या नेता से बात कर लीजिए, वह बड़े गर्व से कहता है, सीपीएम के सब लोगों ने बीजेपी को वोट दिया है और विधानसभा में भी ऐसा ही होगा। मतलब विधानसभा में अगर बीजेपी मजबूत हुई तो सीपीएम समर्थक बीजेपी को राज्य विधानसभा में पहुंचायेंगे और कम्युनिस्ट मजबूत रहे तो बीजेपी उनका समर्थन करेगी…
जनज्वार। 2019 लोकसभा चुनाव में जब पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी को पहली बार आश्चर्यजनक ढंग से यहां की 42 में से 18 लोकसभा सीटें मिलीं तो किसी को सहज विश्वास नहीं हुआ। विश्वास इसलिए नहीं हुआ क्योंकि यह वाम और ममता बनर्जी का गढ़ माना जाता रहा है।
माना यह भी जाता रहा है कि यहां के लोग किसी भी हाल में भाजपा को वोट नहीं देंगे। मगर सोच के बिल्कुल उलट था कि भाजपा ने यहां से उस बाउंड्री को भी क्रास किया जहां तक वह खुद अंदाजा लगा रही थी। दूसरा सच यह भी था कि लोग तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बुरी तरह खफा थे।
इसमें भी ज्यादा अविश्वनीय था कि भाजपा के इस जादुई परिणाम को हासिल करने में सबसे बड़ा योगदान या कहें रोल निभाया देश की सबसे बड़ी वामपंथी पार्टी सीपीएम ने। देश के लिए किसी युग परिवर्तन की तरह था कि लाल आखिरकार भगवा के साथ एकता को मजबूर हुआ।
शायद इसी सच्चाई को छुपाने के लिए वामपंथी समर्थक व बुद्धिजीवी देश के अन्य हिस्सों में झुठलाते रहे, पर सच तो सच है। आप सुनिए और देखिये कि कैसे लाल झंडे वाले वोटर भगवा के नीचे एकजुट हुए। कैसे जो कल तक वामपंथी वोटर था वह ममता बनर्जी की पार्टी को हराने के लिए भाजपा के साथ उन नीतियों पर एक हो रहा है, जिसका विरोध ही वामपंथ का पहला कदम है।
पश्चिम बंगाल में किसी कम्युनिस्ट समर्थक या नेता से बात कर लीजिए, वह बड़े गर्व से कहता है, सीपीएम के सब लोगों ने बीजेपी को वोट दिया है और विधानसभा में भी ऐसा ही होगा। मतलब विधानसभा में अगर बीजेपी मजबूत हुई तो सीपीएम समर्थक बीजेपी को राज्य विधानसभा में पहुंचायेंगे और कम्युनिस्ट मजबूत रहे तो बीजेपी उनका समर्थन करेगी।
लोगों की जुबान से आप भी खुद सुनिये कि वामपंथी वोटर भाजपा के वोट बैंक में हुए तब्दील। बंगाल से जनज्वार के फाउंडर एडिटर अजय प्रकाश की ग्राउंड रिपोर्ट