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भोपाल के स्वराज भवन में पहली बार कैनवास पर उभरे 'बच्चे'
बाल मज़दूरी, बाल यौन शोषण, बच्चों से भीख मंगवाने, उनसे जबर्दस्ती काम करवाने, रेप और बच्चों के अधिकारों का हनन जैसे मुद्दे इस प्रदर्शनी का विषय रहे...
बाल संरक्षण के मुद्दे पर दो दिवसीय चित्र प्रदर्शनी का शुक्रवार 27 सितंबर को हुआ समापन
भोपाल। कूची, रंग और कैनवास। इनके बीच शायद पहली बार बच्चे आये हैं। भोपाल के स्वराज भवन में अनुभा मानिकपुरी और उनकी टीम ने बाल संरक्षण के मुद्दे पर युवाओं की चिंताओं को कैनवास पर उतारा है। यहां 26—27 सितंबर को 2 दिवसीय पेंटिंग प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।
राजधानी के हमीदिया कॉलेज में एमए फाइन आर्ट्स की छात्रा अनुभा आवाज संस्था और यूनिसेफ के द्वारा शुरू की गई सेफ सिटी यूथ फेलो हैं। 3 माह की अपनी फ़ेलोशिप में अनुभा ने शहर में बच्चों की जो स्थिति देखी, महसूस किया उसे खूबसूरत रंगों के साथ कैनवास पर उतारा है।
अनुभा की दो दिवसीय पेंटिंग प्रदर्शनी का शुक्रवार 27 अगस्त को समापन हुआ। बाल मज़दूरी, बाल यौन शोषण, बच्चों से भीख मंगवाने, उनसे जबर्दस्ती काम करवाने, रेप और बच्चों के अधिकारों का हनन जैसे मुद्दे इस प्रदर्शनी का विषय रहे।
प्रदर्शनी का मकसद व्यापक समुदाय तक बाल संरक्षण के मुद्दे को ले जाना है। अनुभा मानिकपुरी, शिवली राजपूत, जितेंद्र परमार, बंसी मंसारे, हितेश जाटव सहित 12 युवा चित्रकारों ने भी बाल संरक्षण के मुद्दे पर अपनी पेंटिंग्स रखीं। अनुभा की यह पहली चित्र प्रदर्शनी है।
प्रदर्शनी में बड़ी संख्या में भोपाल के स्कूल-कॉलेजों से आए स्टूडेंट्स और जन संगठनों, लोगों ने भाग लिया।