Begin typing your search above and press return to search.
संस्कृति

तीन दिवसीय नाट्य उत्सव दिल्ली में कल से

Janjwar Team
9 Aug 2017 4:30 PM GMT

'थियेटर ऑफ रेलेवेंस' वो नाट्य दर्शन है, जो थियेटर को लेकर एक नई, आधुनिक और जरूरी समझ हमारे समक्ष रखता है कि थियेटर सिर्फ कला, मनोरंजन या नाट्यकर्मियों की आत्मसंतुष्टि का साधन नहीं है, बल्कि यह जीवन को सँवारने, चेतना जगाने और जीवन यात्रा को सही रास्ता दिखाने में महत्वपूर्ण और सार्थक भूमिका निभाता है...

दिल्ली। 'थिएटर ऑफ़ रेलेवंस' नाट्य दर्शन के 25 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में 10,11,12 अगस्त, 2017 को दिल्ली में होने वाले 3 दिवसीय नाट्य उत्सव का शुभारंभ रंग चिन्तक मंजुल भारद्वाज के प्रसिद्ध नाटक गर्भ के मंचन से होगा।

अश्विनी नांदेडकर, योगिनी चौक, सायली पावसकर, कोमल खामकर, तुषार म्हस्के अभिनीत नाटक 'गर्भ' मनुष्य के मनुष्य बने रहने का संघर्ष है। नाटक मानवता को बचाये रखने के लिए मनुष्य द्वारा अपने आसपास बनाये (नस्लवाद, धर्म, जाति, राष्ट्रवाद के) गर्भ को तोड़ता है। नाटक समस्याओं से ग्रसित मनुष्य और विश्व को इंसानियत के लिए, इंसान बनने के लिए उत्प्रेरित करता है, क्योंकि खूबसूरत है ज़िन्दगी!

मंजुल भारद्वाज लिखित एवं निर्देशित नाटक 'गर्भ' का मंचन 10 अगस्त, 2017 को शाम 6.30 बजे भाई वीर सिंह मार्ग नई दिल्ली में स्थित गोल मार्किट के 'मुक्तधारा ऑडिटोरियम' में होगा।

'थियेटर ऑफ रेलेवेंस' नाट्य दर्शन के सृजन के 25 वर्ष पूरे हो रहे हैं। यह वो नाट्य दर्शन है, जो थियेटर को लेकर एक नई, आधुनिक और जरूरी समझ हमारे समक्ष रखता है कि थियेटर सिर्फ कला नहीं है, सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं है, सिर्फ नाट्यकर्मियों की आत्मसंतुष्टि का साधन नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन को सँवारने, हमारी चेतना को जगाने और हमारी जीवन यात्रा को सही रास्ता दिखाने में महत्वपूर्ण और सार्थक भूमिका निभाता है।

यह नाट्य दर्शन थियेटर को सीधा जीवन से कनेक्ट करता है। बिना थियेटर के कोई जीवन नहीं हो सकता। इसीलिए यह नाट्य दर्शन मानता है कि दर्शक पहला रंगकर्मी है और यह नाट्य दर्शन थियेटर के प्राचीन तय मानदंडों तक सीमित नहीं रह जाता, बल्कि उसके आगे, बहुत आगे चलकर नाट्य मंचन को विभिन्न नाट्य प्रस्तुति शैलियों से मुक्ति की राह देता है। थियेटर को बन्द सुसज्जित नाट्यगृहों, ओपन थियेटर या नुक्कड़ नाटक से लेकर, गली, मोहल्ले, कमरों, कहीं भी, कभी भी आकार दे देता है। यहाँ तक की जीवन के रोजमर्रा के पलों में भी थियेटर को उतार देता है, और हर किसी को जीवन को देखने, महसूसने और समझने का स्वर्णिम अवसर प्रदान करता है।

ऐसे जरूरी और आधुनिकतम नाट्य दर्शन के 25 वर्ष पूरे होने पर इस नाट्य दर्शन के सर्जक मंजुल भारद्वाज आधुनिक भारतीय नाट्य जगत के गढ़ नई दिल्ली में तीन दिनों का नाट्य महोत्सव 10, 11 और 12 अगस्त 2017 कर रहे हैं। इस शुभ और ऐतिहासिक अवसर पर मंजुल भारद्वाज द्वारा लिखित और निर्देशित 3 नाटक मंचित किये जाएँगे। पहला दिन 'गर्भ', दूसरे दिन 'अनहद नाद – अनहर्ड साउंड ऑफ यूनिवर्स' और तीसरा नाटक 'न्याय के भंवर में भंवरी'.

Janjwar Team

Janjwar Team

    Next Story

    विविध