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CAA विरोधी आंदोलन के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के दो छात्र गिरफ्तार, एक को जेल भेजा गया
सीएए विरोधी आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए राजद्रोह समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा गया अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का छात्र फरहान अंसारी, दूसरा छात्र रवीश कुमार छह घंटे बाद हुआ रिहा, रवीश के पिता अलीगढ़ पुलिस में करते हैं नौकरी...
जनज्वार ब्यूरो। नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के दो छात्रों फुरहान जुबेरी और रवीश अली खान को गुरुवार 28 मई को गिरफ्तार किया गया। दोनों छात्रों को जेल भेज दिया गया। हालांकि रवीश को छह घंटे बाद रिहा कर दिया गया।
अन्य छात्रों और कार्यकर्ताओं के बाद यह गिरफ्तारियां ऐसे समय में हुईं हैं जब कोरोनावायरस के प्रसार के चलते चौथे चरण का लॉकडाउन जारी है।
फरहान मास्टर इन सोशल साइंस में अंतिम वर्ष का छात्र है जबकि रवीश वर्तमान में उसी पाठ्यक्रम में ग्रेजुएशन कर रहा है। दिसंबर 2019 के सीएए विरोधी आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए फरहान को गिरफ्तार किया गया है। जबकि रवीश अपने एएमयू के एक पूर्व कैबिनेट सदस्य के साथ कुछ निजी काम से मंद्रक के पास गाड़ी चला रहा था जहां पुलिस ने सिविल ड्रेस में उसकी गाड़ी रोक दी।
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रवीश ने 'द क्विंट' को बताया, हम तेजी से गाड़ी चला रहे थे, पुलिस ने हमारी कार को रोका और हमारी कार की तरह इस तरह से बैरिकेड फेंका कि गाड़ी के किनारे का शीशा टूट गया और मेरे हाथ पर लगा। मुझे चोटें आईं हैं लेकिन गंभीर चोटें नहीं है।
रवीश ने कहा कि वह जानता था कि वे फरहान को जेल भेज देंगे क्योंकि उसके खिलाफ आरोप हैं। हालांकि उनके खिलाफ कोई मामला नहीं होने के चलते उन्हें स्टेशन में लगभग छह घंटे के बाद रिहा कर दिया गया।
Ravish Ali Khan (Photo Via Facebook)
रवीश ने कहा, मुझे डर था कि वे मेरे ऊपर भी कुछ आरोप लगाएंगे क्योंकि मैं भी सीएए के विरोध में सक्रिय रहा हूं। मेरा कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें यकीन था कि सीएए और एनआरसी के संबंध में ये गिरफ्तारियां हो रही हैं।
फरहान भी विश्वविद्यालय समन्वय समिति का हिस्सा था और सीएए के विरोध में एक सक्रिय चेहरा था। उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश देने की अवज्ञा), 147 (दंगा करने पर सजा), 307 (हत्या का प्रयास), 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए आक्रमण या आपराधिक बल), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर आपराधिक बल इस्तेमाल करना), 506 (आपराधिक धमकी), 336 (जीवन या दूसरों की व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालना), 124 ए (राजद्रोह), 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
अपनी गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए एसएचओ मद्रक पुलिस स्टेशन ने 'द क्विंट' को बताया, 'फरहान को उनके खिलाफ सभी सात आरोपों में जेल भेज दिया गया है।' रवीश ने बताया कि उनके पिता भी अलीगढ़ पुलिस में काम करते हैं, इसलिए स्थानीय पुलिस उन्हें पहचानती है। रवीश ने कहा, 'फरहान और मुझे, दोनों को कई बार पुलिस और सीए के विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने की चेतावनी और धमकियां दी गईं।
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उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने 'अंतिम चेतावनी' दी है। रवीश ने दावा किया कि पुलिस ने उससे कहा, 'हम आपको अभी जाने दे रहे हैं, लेकिन अपने व्यवहार की जांच करें अन्यथा अगली बार जब हम जाने नहीं देंगे।'
बता दें कि पुलिस पर आरोप लग रहे हैं कि कोरोना वायरस की महामारी में लॉकडाउन का इस्तेमाल सीएए एनआरसी विरोधी आवाजों को दबाने के लिए किया जा रहा है। पुलिस ने हाल ही में बहुत सारे कार्यकर्ताओं और छात्रों को गिरफ्तार किया है जिन्होंने कुछ महीनों पहले सीएए विरोधी प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था।