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आंदोलन

जेल में बंद सत्याग्रहियों के लिए आवाज़ उठाने वाले लोगों को भी यूपी पुलिस ने किया गिरफ्तार

Vikash Rana
16 Feb 2020 8:07 AM GMT
जेल में बंद सत्याग्रहियों के लिए आवाज़ उठाने वाले लोगों को भी यूपी पुलिस ने किया गिरफ्तार
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जब हम लोग उपवास स्थल पर पहुंचे तो पुलिस ने हम पर बर्बरता पूर्वक लाठीचार्ज करके गिरफ्तार किया गया और हम लोगों को प्रताड़ित किया गया। हम पर भी वही धारा लगाई गई है जो जेल में बंद हमारे साथियों प लगाई गई है लेकिन हमें देर शाम तक निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया...

रिज़वाना तबस्सुम की रिपोर्ट

जनज्वार। सत्याग्रही पदयात्रियों को यूपी पुलिस द्वारा गाज़ीपुर से गिरफ्तार कर जेल में बंद करने के विरोध में आज उपवास करने जा रहें दर्जन भर लोगों को भी पुलिस ने शनिवार को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार होने वालों में एनएसयूआई, समाजवादी छात्र संगठन और छात्र युवा अधिकार मंच के छात्र नेता शामिल है। हालांकि देर शाम तक सभी लोगों को छोड़ दिया गया।

ये सत्याग्रह पदयात्रा चौरीचौरा, गोरखपुर से राजघाट नई दिल्ली तक निकाली जानी थी। ‘नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा’ 200 किलोमीटर की यात्रा करके 11 फरवरी को गाजीपुर पहुंची, जहां स्वागत करने के स्थान पर पुलिस ने सत्याग्रही पदयात्रियों को शांति को भंग किए जाने समेत धारा 107/16 और 151 के तहत गिरफ्तार किया गया था।

देर शाम छूटने के बाद गाजीपुर जिले के शमीम बताते हैं कि, 'बेवजह गिरफ्तार किए गए साथियों के लिए हम सभी लोगों ने एक सामूहिक उपवास रखा था। हमारी बस एक छोटी सी मांग थी कि हमारे सत्याग्रही साथियों को रिहा किया जाय। शमीम बताते हैं कि, जब हम लोग उपवास स्थल पर पहुंचे तो पुलिस ने हम पर बर्बरता पूर्वक लाठीचार्ज करके गिरफ्तार किया गया और हम लोगों को प्रताड़ित किया गया। हम पर भी वही धारा लगाई गई है जो जेल में बंद हमारे साथियों पर लगाई गई है लेकिन हमें देर शाम तक निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया।

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पुलिस की गिरफ्तारी से बाहर आए बीएचयू के छात्र नेता विकास सिंह बताते हैं कि, 'ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है कि उपवास करने पर आपको गिरफ्तार किया गया हो, ये पहली बार हो रहा है कि आप उपवास पर जाए और आपको गिरफ्तार कर लिया जाये। विकास बताते हैं कि, 'हम लोगों को तमाम राजनीतिक दबाव के बाद छोड़ा गया वरना नहीं छोड़ा जाता। विकास ये भी कहते हैं कि, हम सबको उसी धारा में गिरफ्तार किया गया है जिसमें हमारे साथी चार दिन से जेल में बंद है तो हम लोगों को कैसे छोड़ा गया? ये सब पुलिस के दोहरे रवैये को दर्शाता है। अपनी बात को बढ़ाते हुए विकास कहते हैं कि सत्याग्रह यात्रा रुकेगी नहीं, ये चलती रहेगी। जेल से साथियों के छूटने के बाद ये यात्रा वापस से शुरू होगी।

त्याग्रह पदयात्रा में कुछ दिन तक शामिल रहे बीएचयू के छात्र विकास सिंह बताते हैं कि बीते बुधवार को जब इनकी ज़मानत की अर्जी स्थानीय एसडीएम के यहां लगायी गयी तो उसने बेल बॉल्ड भरने का जो आदेश दिया था। जेल में बंद 10 सत्याग्रहियों के खिलाफ़ एसडीएम (सदर) ग़ाज़ीपुर ने ज़मानत की शर्त रखी है कि प्रतिव्यक्ति 2.5 लाख के दो बेल बॉन्ड भरे जाएं और साथ ही हर बंदी के लिए गारंटर के तौर पर दो राजपत्रित अधिकारी ज़मानत दें। जिसके बाद इन सभी सत्याग्रहियों 13 फरवरी से जेल में भूख हड़ताल शुरू किया है।सत्याग्रहियों ने जेल से देशवासियों के नाम लिखा एक खुला पत्र

गाजीपुर बॉर्डर से गिरफ़्तार सत्याग्रह पदयात्रियों ने जेल से देशवासियों के नाम एक खुला खत लिखा है। 13 फरवरी की शाम भारतवासियों को संबोधित करते हुए यह खत जेल से लिखा गया है। इस खत पदयात्रियों ने अपनी यात्रा का उद्देश्य, भूख हड़ताल और सीएए-एनआरसी प्रदर्शनों के दौरान उत्तर प्रदेश में हुई मौतों का उल्लेख किया है।

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त्याग्रहियों ने अपने पत्र की शुरुआत में लिखा है, ‘आज जब यह पत्र आपको लिख हैं तब हम 9 सत्याग्रही गाजी़पुर जिला के बैरक नं.10 व एक महिला साथी जो पेशे से पत्रकार हैं महिला बैरक में बंद हैं। यह बिना जाने की हमारा गुनाह क्या है और जिला प्रशासन हमें कब तक बंद रखेगा। हम सभी सत्याग्रहियों ने अनशन पर जाने का फैसला किया है, जहां हमने 13 फरवरी से अन्न का त्याग कर दिया है।'

जिलाधिकारी और जेल सुप्रिटेंडेंट को लिखे अपने पत्र में सभी पदयात्रियों ने रिहा होने तक इस भूख हड़ताल को जारी रखने की बात लिखी है। पत्र में ये भी लिखा गया था कि 'हमें बिना किसी उचित कारण के गिरफ्तार किया गया है, जो हमारे मानवाधिकार का उल्लंघन है, इसलिए जब तक हम रिहा नहीं हो जाते हमारा ये संघर्ष जारी रहेगा।'

क्यों शुरू की गई यह यात्रा

स यात्रा में साथ रहने वाले धनंजय सिंह बताते हैं कि यह यात्रा चौरी-चौरा से इसलिए शुरू की गई क्योंकि ‘यह वो जगह थी जहां 1922 में यानी लगभग सौ साल पहले अंग्रेजों के खिलाफ हुई हिंसा के कारण गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था। उस दिन ऐसे आज़ाद हिंदुस्तान की तासीर तय हो गई थी जहां हिंसा के लिए कोई जगह नहीं थी, फिर चाहे वो हमारा शोषक, हमारा दुश्मन ही क्यों न हो।’

यात्रा कर रहे कार्यकर्ताओं ने बताया कि छात्रों सामाजिक राजनैतिक कार्यकर्ताओं की साझा पहलकदमी से शुरू हुई यह यात्रा समाज में बढ़ रही असहिष्णुता, हिंसा, घृणा और कट्टरता के ख़िलाफ़ भाईचारे, प्रेम, सद्भाव और सहिष्णुता की अपील के साथ सड़कों पर गुजर रही है। नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा की शुरुआत चौरीचौरा के शहीद स्मारक से गत 2 फरवरी 2020 को हुई है। लगभग 200 किमी की पदयात्रा करके ये सत्याग्रही मऊ से आगे बढ़कर मंगलवार को गाजीपुर पंहुचे थे।

गिरफ्तार किए गए लोगों में अधिकतर बीएचयू के छात्र हैं, जिनमें प्रियेश पांडे, मुरारी कुमार, राज अभिषेक, अनंत प्रकाश शुक्ल, नीरज राय, अतुल यादव शामिल हैं। इनके साथ सामाजिक कार्यकर्ता मनीष शर्मा, शेष नारायण ओझा, रविंद्र कुमार रवि और जानी मानी महिला पत्रकार प्रदीपिका सारस्वत भी शामिल हैं। इस बारे में गाजीपुर (सदर) के एसडीएम से पूछने पर उन्होंने बताया कि इन सभी लोगों ने पदयात्रा के लिए कोई अनुमति नहीं ली थी। चंद लोगों की पदयात्रा से प्रशासन को क्या समस्या है, इस पर उनका कहना था कि फिलहाल तो 151और 107/16 के तहत गिरफ्तारी की जा रही है और मामले में जांच करके आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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