Begin typing your search above and press return to search.
आंदोलन

यूपी के पूर्व आईजी ने किया आह्वान, देश पर बोझ बनी मोदी सरकार को उतार फेंको

Prema Negi
19 Nov 2018 5:20 PM IST
यूपी के पूर्व आईजी ने किया आह्वान,  देश पर बोझ बनी मोदी सरकार को उतार फेंको
x

आरएसएस आज तक आदिवासी को आदिवासी नहीं कहता क्योंकि आदिवासी को पहचान देते ही उसकी हिन्दुत्व की राजनीति का माडल और सिद्धांत ध्वस्त हो जाता है। आरएसएस का राजनीतिक माडल मूलतः कारपोरेट की सेवा के लिए है....

पढ़िए क्यों कहते हैं पूर्व पुलिस महानिरीक्षक एसआर दारापुरी कि देश पर बोझ बन चुकी मोदी सरकार को है उतार फेंकने की जरूरत

जनज्वार। वाराणसी के चंदौली ​जनपद के चकिया में जमीन अधिकार आंदोलन के तहत आयोजित गांधी पार्क में 17 नवंबर को वनाधिकार सम्मेलन में बोलते हुए पूर्व आईजी एसआर दारापुरी ने कहा कि "देश पर बोझ बनी है मोदी सरकार आज इनको उतार फेंकना किसानों मजदूरों के लिए बहुत जरूरी है।'

पूर्व पुलिस महानिरीक्षक ने आगे कहा कि मोदी की भाजपा सरकार हर मोर्चे पर फेल हो चुकी है। यह सरकार जहां किसान मजदूर विरोधी है, वहीं आदिवासी विरोधी भी है। इस लिए इस सरकार के खिलाफ चौतरफा लड़ाई लड़नी होगी।

इसी सम्मेलन में बोलते हुए माकपा के पूर्व विधायक दीनानाथ सिंह यादव ने कहा, मोदी—योगी की सरकार देश—प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मूर्ति लगाकर व शहर का नाम बदल कर रोजी—रोटी, रोजगार, शिक्षा के अधिकार के सवाल को भटका रही है।

वहीं वनाधिकार सम्मेलन में बोलते हुए स्वराज अभियान के राज्य समिति सदस्य दिनकर कपूर ने कहा आरएसएस की हिन्दुत्व की राजनीति से आदिवासी और वनाश्रित सावधान रहें। आरएसएस आज तक आदिवासी को आदिवासी नहीं कहता क्योंकि आदिवासी को पहचान देते ही उसकी हिन्दुत्व की राजनीति का माडल और सिद्धांत ध्वस्त हो जाता है। इतना ही नहीं आरएसएस का राजनीतिक माडल मूलतः कारपोरेट की सेवा के लिए है।

दिनकर कपूर ने कहा आरएसएस और इसके राजनीतिक संगठन भाजपा की ताकत बढ़ने का मतलब आदिवासियों व वनवासियों की बड़े पैमाने पर तबाही है। जहां-जहां इनकी सरकारें हैं वहां आदिवासियों की बेदखली, उनका उत्पीड़न और हत्याएं हो रही हैं। आज जो कारपोरेटपरस्त राजनीति चल रही है उसमें दल चाहे जो हो वह जनता को कुछ नहीं दे सकते। नौगढ़ चकिया शहाबगंज के तमाम गांवों में हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी आदिवासियों व वनवासियों की वन विभाग बेदखली कर रहा है। उनका उत्पीड़न करने वाले अधिकारी हाईकोर्ट की अवमानना कर रहे हैं। वह अपनी इस उत्पीड़न की कार्यवाही पर रोक लगाएं अन्यथा उनके विरूद्ध हाईकोर्ट में अवमानना का मुकदमा होगा। 29- 30 नवंबर को दिल्ली में वनाधिकार कानून को लागू कराने के लिए मार्च होगा।

वनाधिकार सम्मेलन में स्वराज अभियान के नेता व मजदूर किसान मंच के प्रभारी अजय राय, माकपा के जिला सचिव राम अचल यादव, भाकपा के जिला सचिव शुकदेव मिश्रा, लालचन्द यादव, लालमनी विश्वकर्मा, रामनारायण राम गीता राय, रामेश्वर प्रसाद, राम दुलार वनवासी, अजीत पासवान, सुनील राजभर ने सम्बोधित किया। वनाधिकार सम्मेलन की अध्यक्षता किसान सभा के प्रभारी परमानन्द कुशवाहा, स्वराज अभियान के अखिलेश दूबे, खेत मजदूर यूनियन के शिव मूरत राम ने की। वनाधिकार सम्मेलन का संचालन माकपा के तहसील सचिव शम्भुनाथ यादव व प्रस्ताव अजय राय ने पेश किया।

Next Story

विविध