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चहेते फार्मेसिस्ट से एक जनप्रिय राजनेता बने प्रकाश पंत का यूं जाना
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ऐसे दौर में जब लोग राजनीति में स्वच्छ छवि वाले नेताओं का सूखा पड़ता जा रहा है, उस समय प्रकाश पंत जैसे सर्वप्रिय नेता और जनता के हितैषी व्यक्ति का आकस्मिक निधन उनके परिवार-पार्टी या उत्तराखंड की ही नहीं, पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है...
हेम पंत, सामाजिक कार्यकर्ता और स्वतंत्र टिप्पणीकार
जुलाई 2017 में GST लागू हुआ, उस महीने के अंतिम हफ्ते में रुद्रपुर के एक होटल में लगभग 250 व्यापारी और उद्योगकर्मियों को तत्कालीन वित्तमंत्री प्रकाश पन्त GST के बारे में समझा रहे थे। लगभग 1 घण्टे में उन्होंने तार्किक तरीके से, पुष्ट आंकड़ों की मदद से अपनी बात रखी और लोगों के प्रश्नों के स्वयं उत्तर दिए। उनके बाद कर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी अपनी बात रखने के लिए आए।
कर अधिकारी ने अपनी बात इन शब्दों से शुरू की - "जिस तरह से मंत्री जी ने GST के बारे में आपको समझाया है, उसके बाद मेरे कहने के लिए कुछ नहीं बचता" मात्र 59 साल के ऐसे योग्य और अनुभवी राजनेता का असमय निधन उत्तराखंड राज्य के लिए बहुत बड़ी क्षति है।
11 नवम्बर 1960 को एक सामान्य परिवार में जन्मे प्रकाश पंत ने द्वाराहाट से फार्मेसी की पढ़ाई के बाद फार्मासिस्ट के तौर पर लगभग 4 साल तक सरकारी सेवा की। अपने बचपन में निष्काम भाव से प्रकाश पंत को पिथौरागढ़ शहर और आसपास के गांवों में गरीबों की सेवा करते हुए मैंने भी उन्हें देखा। तब पंत जी हमारे गांव-पड़ोस में देर शाम तक बीमार, अशक्त लोगों को दवाई देते हुए और इंजेक्शन लगाते हुए अक्सर दिख जाते थे।
पिथौरागढ़ सेना छावनी में ठुलीगाड़ नामक जगह पर एक छोटे से कमरे में उनकी फार्मेसी क्लिनिक पर जितनी भीड़ लगती थी, उतनी शायद ही पिथौरागढ़ शहर के किसी डॉक्टर के पास लगती होगी। उनकी बहुत कम मूल्य की और अक्सर मुफ़्त भी दवाइयों के बारे में ग्रामीण लोग अक्सर कहते थे - "हमको तो पंत जी के हाथ की दवाई ही असर करती है।" सौम्यता, मधुर मुस्कान, कोमल स्वर और लोगों के बीच घुल—मिलकर रहना उनका मूल स्वभाव था और यह अंत तक बना रहा।
अपनी सरकारी नौकरी के दौरान वह कर्मचारी यूनियन से जुड़े और उत्तराखंड के कई हिस्सों में विभिन्न जनआंदोलनों में सक्रिय रहे। बाद में नौकरी छोड़कर पिथौरागढ़ के जिला अस्पताल से थोड़ी सी दूरी पर 'पंत फार्मेसी' नाम से दवाइयों की दुकान शुरू की।
खड़कोट क्षेत्र से पिथौरागढ़ नगर पालिका के सदस्य बनकर उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। उत्तराखंड राज्य बनने से पहले वह उत्तर प्रदेश की विधान परिषद के सदस्य बने और सन 2000 में राज्य स्थापना के बाद उत्तराखंड विधानसभा के प्रथम विधानसभा अध्यक्ष निर्वाचित किए गए। 2002 से 2007 और 2017 से मृत्युपर्यन्त पिथौरागढ़ के विधायक रहे।
उनके जीवन में 2 बार उत्तराखंड राज्य के मुख्यमंत्री बनने के मौके आए, लेकिन दोनों बार वह राजनीतिक समीकरणों के कारण चूक गए। समय-समय पर उत्तराखंड सरकार में वित्त, संसदीय कार्य, पर्यटन, पेयजल, आबकारी और गन्ना सहित अनेक मंत्रालयों में उत्कृष्ट कार्य किया। दिखावे और सिफारिशी नेतागिरी से वह यथासम्भव दूर रहते थे और राज्यभर में धरातल पर सार्थक कार्य कर रहे लोगों के बारे में खुद जानकारी जुटाकर मिलने की कोशिश करते थे।
देहरादून में प्रकाश पंत के मंत्री आवास के वेटिंग रूम में चिपकाई गई एक निवेदनपूर्वक पर्ची से उनके सरल स्वभाव का अंदाजा आसानी से लग जाता है। इस पर्ची पर लिखा है "कृपया मेरे सामने मेरी प्रशंसा व दूसरों की आलोचना न करें।"
पिथौरागढ़ शहर और आसपास के ग्रामीण लोगों के लिए प्रकाश पन्त एक पारिवारिक सदस्य जैसे थे। लगभग 35 वर्षों की निस्वार्थ सेवा के कारण अपने क्षेत्र के युवाओं, बुजुर्गों और महिलाओं के बीच वह एक चहेते नेता के रूप में लोकप्रिय रहे। पिथौरागढ़ में इंजीनियरिंग कॉलेज, हवाई सेवा, पेयजल योजनाओं और हर गांव में उनके व्यक्तिगत प्रयासों से किए गए अनेक छोटे-बड़े विकास कार्यों के कारण वह अपने क्षेत्र की जनता के दिलों पर राज करते हैं। कुशल-तार्किक वक़्ता और अध्ययनशील प्रकाश पंत को उत्तराखंड ही नहीं पूरे देश के राजनीतिक परिदृश्य में एक साफ छवि के राजनेता के रूप में पहचाना जाता है।
राजनीति में रहते हुए भी वह अन्य गतिविधियों में खासे सक्रिय रहे। एक कवि और लेखक के रूप में उन्होंने 4 चर्चित पुस्तकें लिखीं। राष्ट्रीय स्तर की निशानेबाजी प्रतियोगिताओं में भाग लिया और पदक भी जीते। अपने सार्वजनिक जीवन में वह जनता के लिए सदैव उपलब्ध रहे। राज्य या देश के किसी भी स्थान पर उनसे कोई भी आसानी से मिल सकता था।
उत्तराखंड राज्य के वरिष्ठतम मंत्री के पद पर रहते हुए भी वह अपने मोबाइल पर हर पल लोगों की समस्याएं सुनते थे और यथासम्भव समाधान भी करते थे। छोटे-बड़े कार्यक्रमों में सिर्फ एक फोन के बुलावे पर राज्य के कोने-कोने में पहुंचने वाले नेता के रूप में लोग उनको लंबे समय तक याद रखेंगे।
ऐसे दौर में जब लोग राजनीति में स्वच्छ छवि वाले सेवाभावी लोगों की कमी होती जा रही है, उस समय प्रकाश पंत जैसे सर्वप्रिय नेता और जनता के हितैषी व्यक्ति का आकस्मिक निधन उनके परिवार-पार्टी या उत्तराखंड की ही नहीं, पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है।