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जनज्वार विशेष

अपने बच्चों को कूड़ेदान में फेंक रहीं हैं माताएं, वेनेजुएला में भयंकर आर्थिक संकट

Janjwar Team
1 March 2020 7:58 PM IST
अपने बच्चों को कूड़ेदान में फेंक रहीं हैं माताएं, वेनेजुएला में भयंकर आर्थिक संकट
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आर्थिक संकट के बीच एक चैरिटी ने 2018 में बताया था कि बच्चों को सड़कों और सार्वजनिक भवनों के प्रवेश द्वार पर छोड़ने के मामलों में 70 प्रतिशत वृद्धि हुई है। वेनेजुएला की सरकार ने हाल के वर्षों में कोई आधिकारिक आंकड़े जारी नहीं किए हैं और न ही संचार मंत्रालय और न ही बच्चों के अधिकारों के साथ काम करने वाले सरकारी निकाय ने इसपर कोई जवाब दिया है...

जनज्वार। आर्थिक मोर्चे पर भारी मंदी के दौर से गुजर रहे वेनेजुएला में लोग अपने नवजात बच्चों को कूड़ेदान में डालने को मजबूर हो रहे हैं। वेनेजुएला की राजधानी कराकस में अपने अपार्टमेंट ब्लॉक के पास एक नवजात शिशु का शव मिलने के बाद इसको लेकर आर्टिस्ट एरिक मेजिकानो को द्वारा संकेत बनाए गए हैं जिनमें लिखा गया है, 'बच्चों को यहां डंप करना मना है।'

मेजिकानो का कहना है कि उन्होंने लोगों को इस तथ्य के प्रति सचेत करने के लिए अभियान चलाया है कि वेनेजुएला में 'वह सबकुछ सामान्य होता जा रहा है जिसे कभी भी सामान्य नहीं माना जाना चाहिए।'

संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम के एक अध्ययन के अनुसार, देश की अर्थव्यवस्था फ्रीफॉल में है और वेनेजुएला के प्रत्येक तीन में से एक व्यक्ति न्यूनतम पोषण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त भोजन देने के लिए संघर्ष कर रहा है।

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र्थिक संकट के बीच एक चैरिटी ने 2018 में बताया था कि बच्चों को सड़कों और सार्वजनिक भवनों के प्रवेश द्वार पर छोड़ने के मामलों में 70 प्रतिशत वृद्धि हुई है। वेनेजुएला की सरकार ने हाल के वर्षों में कोई आधिकारिक आंकड़े जारी नहीं किए हैं और न ही संचार मंत्रालय और न ही बच्चों के अधिकारों के साथ काम करने वाले सरकारी निकाय ने इसपर जवाब दिया है।

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक नेल्सन विलस्मिल काराकस के सबसे गरीब क्षेत्रों में से एक में बाल संरक्षण परिषद के सदस्य हैं। वे बताते हैं कि आर्थिक मंदी के चलते खराब वित्त पोषित दत्तक प्रणाली (बच्चों को गोद लेने की प्रणाली) का सामना करना पड़ता है, हताश माता-पिता कभी-कभी शॉर्टकट का सहारा लेते हैं।

सी ही कहानी एक बच्चे टोमास (वास्तविक नाम नहीं) की भी है। टोमास की मां कराकस में रहती थी और बहुत ग़रीब थी। उसे लगा कि वह बच्चे को नहीं पाल सकेंगी। ऐसे में टोमास के जन्म के समय मौजूद रहे गायनेकोलॉजिस्ट मदद के लिए आगे आए।

न्होंने बताया कि ऐसा पहली बार नहीं है, जब वो किसी ऐसी मां से मिले, जिसे लगता है कि वह अपना बच्चा नहीं पाल पाएगी। वह बताते हैं कि तक़रीबन हर बार ऐसा होता है कि अपने बच्चे को पहली बार दूध पिलाते समय मांओं का मन बदल जाता है, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता। फिर आपको उपाय खोजना पड़ता है।

न्होंने अपनी एक मरीज़ से संपर्क किया। करीब 40 साल की तानिया (बदला हुआ नाम) एक बच्चा चाहती हैं, लेकिन वह गर्भवती नहीं हो पा रही हैं। वह टोमास और उसकी मां की मदद करना चाहती हैं, लेकिन काफी सोच-विचार के बाद उन्होंने अपना फ़ैसला बदल लिया। उन्होंने अपने एक परिचित जोड़े से संपर्क किया, जो ग्रामीण वेनेज़ुएला में अपने घर में टोमास को अपने बच्चे की तरह पालने के लिए राजी हो गए।

संदेह पैदा न हो इसलिए इस दंपत्ति को बच्चे को जल्द से जल्द रजिस्टर कराना था। तो तानिया ने टॉमस की मां की जगह अपनी दोस्त का नाम लिखाने के लिए एक अधिकारी को क़रीब 18,000 रुपए की रिश्वत दी। अब तानिया की दोस्त देहात में बने अपने घर में टोमास को पाल रही है। अभी जल्द ही टोमास अपने पैरों पर खड़ा होने लगा है और परिवार ने इसका जश्न भी मनाया।

तानिया कहती हैं कि उन्हें अपने किए पर कोई मलाल नहीं है और उन्होंने टॉमस की भलाई के लिए गोद लेने की आधिकारिक प्रक्रिया को नजरअंदाज किया। वह कहती हैं कि मैंने कभी ऐसा कुछ करने के बारे में नहीं सोचा, लेकिन वेनेजुएला में कानूनी तरीका काम नहीं आता। सार्वजनिक अनाथालय में टॉमस को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता।

टॉमस को उसकी मां की सहमति से ही किसी और के हवाले किया गया था, लेकिन वेनेज़ुएला में महिलाओं की निराशा का फायदा उठाने वालों की कमी नहीं है। ईसाबेल (वास्तविक नाम नहीं) जब दूसरी बार गर्भवती थीं तो उनके पति की मौत हो गई थी। ऐसी स्थिति में ईसाबेल के मन में बच्चा किसी और देने का खयाल आया। वह कहती हैं कि मैं बिल्कुल अकेली थी और मुझे डर लग रहा था कि मैं अपने बच्चे का पेट भी भर पाऊंगी या नहीं।

क परिचित व्यक्ति की सलाह पर वह कैरेबियाई आइलैंड त्रिनिडाड चली गईं। वहां उनकी मुलाकात कुछ ऐसे जोड़ों से हुई, जिनके बारे में ईसाबेल को बताया गया था कि वो बच्चा गोद लेने के इच्छुक हैं। ईसाबेल को बताया गया था कि किसी भी सूरत में आख़िरी फ़ैसला उन्हीं का होगा, लेकिन जल्द ही वह उस कोलंबियाई महिला के दबाव में आ गईं, जो सारा इंतज़ाम देख रही थीं।

बताती हैं कि मुझे बताया गया था कि सब कुछ कानूनी ढंग से होगा और मैंने अभी अपना बच्चा देने की बात नहीं कही थी। लेकिन त्रिनिडाड में मुझे महसूस हुआ कि मैं मानव तस्करों के जाल में फंस गई हूं। वह याद करती हैं कि मुझ पर हमेशा नज़र रखी जाती थी। मैं जिस घर में रह रही थी, मुझे वहां से निकलने की इजाज़त नहीं थी। वेनेज़ुएला की वापसी की जिस फ्लाइट टिकट का मुझसे वादा किया गया था, वो बनवाया ही नहीं गया था।

कुछ सप्ताह बाद ईसाबेल ने त्रिनिडाड के एक हॉस्पिटल में समय से पहले बच्चे को जन्म दिया। उन्होंने बच्चा अपने पास रखने का फ़ैसला किया, लेकिन तुरंत ही उस कोलंबियाई महिला और वकील होने का दावा करने वाले शख़्स ने दबाव बना लिया। ईसाबेल कहती हैं कि उन्होंने मुझसे कहा कि बच्चे के नए मां-बाप पार्किंग में इंतज़ार कर रहे हैं और अपना बच्चा देने के लिए मुझे अंग्रेज़ी में लिखे कुछ दस्तावेजों पर दस्तखत करने होंगे। मुझे पता भी नहीं था कि उन कागजों पर क्या लिखा था।

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हले तो ईसाबेल ने इनकार कर दिया, लेकिन कुछ सप्ताह बीतने के बाद उन्हें बंधक बनाने वालों उनसे खाना, दवाइयां और नैपीज़ छीनकर उन पर दबाव बढ़ा दिया। ईसाबेल रोते हुए कहती हैं कि आख़िरकार अपने बच्चे की जान बचाने और अपनी मदद के लिए वेनेजुएला लौटने के लिए मुझे अपना बच्चा उन्हें सौंपना पड़ा।

क गैर-सरकारी संस्था की मदद से ईसाबेल ने अपने बेटे को वापस पाने की कानूनी लड़ाई शुरू कर दी है। उनका बेटा अभी त्रिनिडाड प्रशासन के संरक्षण में है। अभी ईसाबेल को सप्ताह में सिर्फ़एक बार बेटे से मिलने की इजाजत है। ईसाबेल कहती हैं कि अपना बच्चा वापस हासिल किए बिना वह चुप नहीं बैठेंगी।

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