Begin typing your search above and press return to search.
विमर्श

वालमार्ट की खरीद से भारत में होंगे 20 से 22 करोड़ परिवार प्रभावित

Janjwar Team
10 May 2018 10:58 AM GMT
वालमार्ट की खरीद से भारत में होंगे 20 से 22 करोड़ परिवार प्रभावित
x

वालमार्ट और फ्लिपकार्ट के सौदे से वालमार्ट ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों के जरिए भारत के बाजार पर इन विदेशी कंपनियों का प्रभुत्व कायम हो जाएगा...

गिरीश मालवीय

कल का दिन इतिहास में भारत के छोटे और मध्यम वर्ग के व्यापारियों की बर्बादी के नयी इबारत लिखे जाने के रूप में याद किया जाएगा। कहने को तो यह मात्र एक सौदा है, लेकिन फ्लिपकार्ट ओर वालमार्ट की यह डील भारत के रीटेल मार्केट की तस्वीर पूरी तरह से बदलकर रख सकती है।

पूरी दुनिया मे वॉलमार्ट लोकल मार्केट को बर्बाद करने के लिए कुख्यात रहा है। वॉलमार्ट का इतिहास यह रहा है कि वो बहुत कम कीमत पर सामान बेचकर छोटे-मोटे कारोबारियों को अपने रास्ते से हटा देती है। उसके पास न पैसे की कमी है ओर न राजनीतिक संपर्कों की। दुनियाभर के बाज़ारों में उसकी सीधी पहुँच है। ऐसे में वो दूसरे देशों का सस्ता सामान विशेषकर चीन से भारत में डंप कर चुटकियों में देश के लघु ओर मध्यम श्रेणी के उद्योगों को बर्बाद कर सकता है।

स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक अरुण ओझा का यह अनुमान बिल्कुल सच है कि इस सौदे से छोटे कारोबारियों का कारोबार चौपट हो जाएगा और इससे देशभर में 20-22 करोड़ परिवार प्रभावित होंगे। वालमार्ट और फ्लिपकार्ट के सौदे से वालमार्ट ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों के जरिए भारत के बाजार पर इन विदेशी कंपनियों का प्रभुत्व कायम हो जाएगा।

अभी वालमार्ट देश के नौ राज्यों के 19 शहरों में 21 होलसेल स्टोर खोल चुकी है ओर 50 नये स्टोर्स खोलने की वह घोषणा कर चुकी है। इस डील के बाद आप खुद अनुमान लगा लीजिए कि भारत के रिटेल मार्केट कैप पर इस कम्पनी का कितना बड़ा कब्जा होने जा रहा है।

स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन कहते हैं कि विदेशी निवेश इक्विटी के जरिए होना चाहिए, लेकिन रिटेल कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए उचित नहीं है।

अमेरिकी वॉलमार्ट ने साढ़े नौ खरब रुपए में खरीदी भारत की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट

उनकी चिंता बिल्कुल जायज है, क्योंकि ई कॉमर्स के क्षेत्र में कोई स्पष्ट नियम अभी तक नहीं बनाए गए हैं। जिसकी जैसी मर्जी होती है वह अपने हिसाब से किसी भी ऑनलाइन सेल लगा लेता है। फ्लिपकार्ट सिर्फ कहने के लिए एक प्लेटफॉर्म है, लेकिन वह जिस तरह से छोटे व्यापारियों का धंधा छीन रहा है वह देश में बेकारी की समस्या को ओर गहनतर करता जा रहा है।

मूल रूप से ई कॉमर्स प्लेटफार्म में B2B बिजनेस के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी गयी थी। एफडीआई पॉलिसी 2016 की धारा 2,3 की उपधारा 9 कहती हैं कि ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस मॉडल सिर्फ तकनीकी प्लेटफार्म उपलब्ध कराएगा और किसी भी रूप में सीधे अथवा अप्रत्यक्ष रुप से कीमतों को प्रभावित नहीं करेगा और न ही कोई असमान प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाएगा, लेकिन वास्तविकता में क्या होता है सब अच्छी तरह से जानते हैं।

खुदरा कारोबारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) भी अब खुलकर इस सौदे के विरोध में उतर पड़ा है उसका कहना है ‘इस सौदे को मंजूरी नहीं मिलनी चाहिए, क्योंकि इससे ई-कामर्स क्षेत्र में लागत से भी कम दाम पर कारोबार करने और बाजार बिगाड़ने वाले मनमाने तरीके से कीमत तय करने को बढ़ावा मिलेगा जो पहले ही गलत व्यापारिक तरीकों की जकड़ में है.’

लेकिन बात सिर्फ छोटे व्यापारियों के नुकसान तक ही सीमित नहीं है। इस सौदे में सरकारी खजाने का भी बड़ा नुकसान होता दिख रहा है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने फ्लिपकार्ट कंपनी को ईमेल भेजकर कहा है कि उसकी संपत्ति भारत में है, इसलिए टैक्स की देनदारी बनती है। चूँकि भारत में मौजूद संपत्ति का सौदा हो रहा है इसलिए विदहोल्डिंग टैक्स लगेगा। विदेशी भी भारत में मौजूद संपत्ति का सौदा करे तो ये टैक्स लगता है अनुमान है कि इस सौदे पर 10-20 फीसदी तक विदहोल्डिंग टैक्स लग सकता है।

लेकिन इस सौदे में अभी तक किसी भी प्रकार की टेक्स लायबिलिटी की बात कम्पनी ने नही मानी हैं। अश्विनी महाजन इस सौदे के बारे में कह रहे है कि "डील सिंगापुर में हुई, बेंगलुरु में अनाउंस हो रही है और दिल्ली में अप्रूवल लिया जा रहा है, इससे भारत में एक भी पैसा नहीं आएगा।"

लिखकर रख लीजिए, यह सौदा थोड़े दिनों में छोटे और मझोले व्यापार के ताबूत की आखिरी कील साबित होगा, क्योंकि मोदी सरकार ने उन्हें मृत्युशैया तक पहुंचाने में कोई कोर कसर बाकी तो पहले ही नहीं छोड़ी है।

Janjwar Team

Janjwar Team

    Next Story

    विविध