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जनज्वार विशेष

निर्भया के दुष्कर्मी अक्षय ठाकुर की फांसी पर क्या कहा उसके गांव वालों ने

Prema Negi
21 March 2020 7:15 AM GMT
निर्भया के दुष्कर्मी अक्षय ठाकुर की फांसी पर क्या कहा उसके गांव वालों ने
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निर्भया के चार दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर के बिहार के औरंगाबाद स्थित करमा लहंग गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है। आज शनिवार की सुबह तक औरंगाबाद के पैतृक गांव पहुंचने की उम्मीद है...

अक्षय ठाकुर के गांव से आलोक कुमार की रिपोर्ट

बिहार के औरंगाबाद जिले के किसी निवासी को फांसी दिए जाने का यह पहला मामला है। वह भी निर्भया सामूहिक दुष्कर्म व हत्याकांड जैसे जघन्य अपराध के लिए। शुक्रवार की सुबह दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी पर लटकाए जाने के बाद औरंगाबाद के करमा लहंग गांव स्थित उसके गांव में मातमी सन्नाटा पसरा है। वहां चूल्हे भी खामोश हैं। अब गांव के लोग शव का इंतजार कर रहे हैं। अक्षय का अंतिम संस्कार गांव में ही किया जाएगा। शनिवार की सुबह तक औरंगाबाद के पैतृक गांव पहुंचने की उम्मीद है।

विदित हो कि बीते 16 दिसंबर 2012 की रात दिल्ली में एक फिजियोथिरेपिस्ट युवती निर्भया (काल्पनिक नाम) के साथ चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। घटना के दौरान उसके साथ जबरदस्त दरिंदगी भी की गई थी। इसे निर्भया नहीं झेल पायी। इलाज के दौरान सिंगापुर में उसकी मौत हो गई। घटना के बाद जबरदस्त जनाक्रोश फूट पड़ा। पुलिस ने कांड के छह आरोपितों को गिरफ्तार किया, जिनमें एक नाबलिग कुछ सालों की सजा काटकर छूट गया तो एक आरोपित ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली।

दोषी पाए गए शेष चार को 20 मार्च की सुबह मौत की सजा दे दी गई। इनमें बिहार के औरंगाबाद का मूल निवासी अक्षय ठाकुर भी शामिल था। अक्षय के घर में उसके पिता सरयू सिंह, माँ मालती देवी, उसकी पत्नी पुनीता देवी 10 साल का बेटा प्रियांशु है, जो काफी मर्माहत है। खबर के मुताबिक अक्षय की पत्नी पुनीता देवी दिल्ली गयी हुई है।

शुक्रवार की सुबह दिल्ली की तिहाड़ जेल में निर्भया कांड के चार दोषियों पवन गुप्ता ; 25 सालद्ध, विनय शर्मा ; 26 सालद्ध,अक्षय ठाकुर (31 साल) और मुकेश सिंह (32 साल) को फांसी पर लटका दी गयी। फांसी के बाद अक्षय ठाकुर के शव का पोस्टमार्टम कराकर दोपहर बाद शाम परिजनों को सौंप दिया गया। अक्षय की पत्नी पुनीता देवी व अन्य स्वजन शव लेकर पैतृक गांव औरंगाबाद के लिए निकल चुके हैं। अक्षय के पिता सरयू सिंह के रिश्तेदार प्रभु सिंह ने बताया कि शव एंबुलेंस से लाया जा रहा है। ग्रामीण अक्षय के शव का इंतजार कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार अंतिम संस्कार गांव में ही किया जाएगा।

निर्भया गैंगरेप और हत्या में फांसी के फंदे पर झूले दोषी अक्षय ठाकुर की पत्नी मां और पिता

पत्नी को मलाल नहीं हो सकी अंतिम मुलाकात

इसके पहले गांव से अंतिम मुलाकात करने दिल्ली गई पत्नी पुनीता की अक्षय से न तो मुलाकात हो सकी न कोई बात हुई। इसका उसे मलाल है। वह रह-रहकर कह रही है कि एक बार तो मिला दिया जाता। पुनीता गुरुवार रात जिस वक्त अक्षय से अंतिम मुलाकात करने तिहाड़ जेल पहुंची, मिलने का समय समाप्त हो चुका था। इस कारण जेल प्रशासन ने उसे अंतिम मुलाकात की अनुमति नहीं दी।

कोर्ट परिसर में चिल्लाने लगी पुनीता और खुद को पीटा

पुनीता के अंतिम मुलाकात के लिए जाने में विलंब का करण अक्षय की फांसी रोकने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट में दायर याचिका थी। उसकी सुनवाई के दौरान वह रोने लगी। कोर्ट परिसर में ही वह चिल्लाने लगी कि उसका पति निर्दोष है, जिसके पीछे समाज पड़ा है। फिर वह खुद को ही चप्पल से पीटने लगी और बेहोश हो गई। वहां से जब तक वह तिहाड़ जेल गई, मुलाकात का समय समाप्त हो चुका था। इसे लेकर अक्षय के गांव के लोगों की सुहानुभूति पुनीता के साथ है।

मिली-जुली प्रतिक्रियाओं के बीच परिवार के प्रति संवेदना

करमा लहंग गांव के लोगों ने अक्षय का जो रूप देखा है, उसके अनुसार उनकी सोच है। अधिकांश यह मानने को तैयार नहीं कि उसने ऐसा घृणित कृत्य किया होगा। ग्रामीणों के एक वर्ग को अक्षय के कृत्य को लेकर आश्चर्य भी था। हां, मिली-जुली प्रतिक्रियाओं के बीच यह एक बात समान्य रही कि लोगों को अक्षय के स्वजनों के प्रति संवेदना है। खासकर उसकी पत्नी व नाबालिग बेटे के प्रति संवेदना उमड़ रही है।

रमा लहंग के रामजन्म ठाकुर कहते हैं कि अक्षय बहुत ही नेक इंसान था। पता नहीं भगवान ने उसे किस पाप की सजा दी। पास खड़ीं महिलाओं ने कहा कि बेचारी पुनीता पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। अब नौ साल के बेटे के सिर से पिता का साया उठ गया है।

शहरी इलाके में फांसी के समर्थन में दिखे लोग

औरंगाबाद जिला की बात करें तो दिनभर अक्षय की फांसी की ही चर्चा होती रही। कोई कह रहा था कि कांड के कुछ समय बाद ही फांसी की सजा दे देनी चाहिए थी। मामले को इतने दिन लटकाकर दोषियों को फांसी व स्वजनों को यातना देना उचित नहीं था। कुछ लोग जघन्य जेसिका हत्याकांड, विधायक दिलीप सेंगर मामला, मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड और सुरेंद्र कोहली के जघन्य अपराध की घटनाओं के उदाहरण देकर पूछ रहे थे कि क्या अ.या का मामला उक्त घटनाओं से बड़ा था? हालांकि, औरंगाबाद शहर में महिलाओं व युवाओं ने फांसी को न्यायसंगत बताया। औरंगाबाद ओवरब्रिज के समीप से ऑटो से जा रहीं आकांक्षा व सानिया ने कहा कि ऐसे अपराध के लिए भला फांसी से कम सजा क्या हो सकती थी?

अभी शव का इंतजार, फिर फूटेगा भावनाओं का ज्वार

बहरहाल, अक्षय ठाकुर को लेकर औरंगाबाद में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। मिली-जुली भावनाओं का यह ज्वार शनिवार को अक्षय का शव आते ही फिर फूटेगा। गांव में शव का इंतजार किया जा रहा है।बिहार में निर्भया के दोषी अक्षय के गांव से रिपोर्ट ‘गांव वाले बोले- दुख तो हुआ, लेकिन चलिए निजात मिली‘ दोषी के माता-पिता ने घर का दरवाजा नहीं खोला।अक्षय का गांव औरंगाबाद से 35 किमी दूर है, यहां गुरुवार रात से ही बस अक्षय के बारे में बातें हो रहीं।गुरुवार को मीडियाकर्मियों को वीडियो बनाने पर गांव के कुछ युवकों ने लाठी लेकर खदेड़ दिया था।

गांव की मुखिया बताती हैं कि अक्षय के एक गलत काम के कारण पूरा परिवार नरक भोग रहा है। दिल्ली से करीब 900 किमी दूर बिहार के औरंगाबाद से 35 किमी दूर अक्षय का गांव करमा लहंग है। सुबह-सुबह जब यहां पहुंचा तो मातमी सन्नाटा पसरा हुआ था। बुजुर्ग और युवा अलग-अलग झुंड बनाकर बातें कर रहे थे। मेरे कुछ पूछने से पहले ही एक युवक ने मुझसे पूछा- ‘कहां जाना है।‘दूसरे ने पूछा- ‘मीडिया वाले हैं क्या?‘ मैंने कहा- ‘नहीं। गांव में एक रिश्तेदार के यहां आया हूं। आगे जाना है।

ब पूछा गया, ‘गांव में कुछ हुआ है क्या? तो जवाब मिला- ‘कुछ नहीं। निर्भया वाले मामले में गांव के लड़के अक्षय को फांसी हुई है। कल से (गुरुवार से) मीडिया वाले तंग किए हैं। बार-बार आकर कुछ न कुछ पूछते रहते हैं।‘जब बातचीत आगे बढ़ी तो एक युवक ने बताया- ‘यही पास में घर है अक्षय का। जानता था उसे। दुख भी हो रहा है लेकिन, चलिए निजात मिली। जब से निर्भया का मामला हुआ है तब से पूरा गांव तंग था। हमारे रिश्तेदार भी आते थे तो पूछते थे कि अक्षय का घर कौन सा है? उसका घर देखने के लिए जाते हैं। बड़ी शर्म आती थी। गलत काम तो किया था, उसी की अब सजा मिली है।‘

अक्षय ने जैसा किया, उसे वैसी सजा मिल रही है

गांव की मुखिया मालती देवी से बातचीत हुई। वह कहती हैं- ‘अक्षय ने जैसा किया उसे वैसी ही सजा मिल रही है। गांव के लड़के को फांसी हो रही है इसका दुख जरूर है। अक्षय के चलते उसका परिवार भी नरक भोग रहा है। अक्षय की पत्नी पुनीता देवी अपने बेटे को लेकर दिल्ली गई है। पुनीता के साथ अक्षय का बड़ा भाई विनय भी दिल्ली गया है। घर में माता-पिता और एक भाई है।'

एक लड़के की गलती से पूरा गांव बदनाम हो गया

मुखिया से बातचीत करके आगे बढ़ा तो देखा कि खेत के पास कुछ युवक बैठे हैं। युवकों ने पूछा किस काम से आए हैं? मैंने जैसे ही अक्षय का नाम लिया युवकों का हाव-भाव बदल गया। एक ने कहा- ‘क्यों हमारे जख्म पर नमक रगड़ने चले आते हैं आप लोग। अक्षय का इस गांव से कोई नाता नहीं है। उसने हमारे गांव की इज्जत मिट्टी में मिला दी। 7-8 साल पहले हमारे गांव को लोग इज्जत की नजर से देखते थे। इस गांव के कई युवक अपने दम पर आगे बढ़े। जब से निर्भया का मामला सामने आया है, यहां आने वाला हर कोई अक्षय के बारे में पूछता है। एक लड़के ने गलती की और पूरा गांव बदनाम हो गया। हमारे रिश्तेदार भी अब घर आने से कतराते हैं।'

और फिर लोग लाठी लेकर आ गए

बात हो ही रहा था इसी दौरान गांव के चार-पांच लोग और जुट गए। उन्होंने युवकों से कहा कि मीडियावालों से बात करने की जरूरत नहीं है। लोग हमारा तमाशा बनाने आ गए हैं। एक युवक ने गुस्से में कहा- ‘चले जाइए, नहीं तो आपके साथ गलत हो सकता है। बाहर से आए हैं इसलिए अभी तक लिहाज रखा है।' ये बातें चल ही रही थी कि चार मीडियाकर्मी और वहां आ गए। मीडियाकर्मी मोबाइल से वीडियो बनाने लगे। यह देख ग्रामीण आक्रोशित हो गए। एक युवक ने बोला लाठी लाओ, ये लोग ऐसे नहीं मानेंगे। तभी पांच-छह लोग लाठी लेकर आ गए। यह देख हमने तुरंत गांव छोड़ना ही उचित समझा।

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